कोलकाता, तीन फरवरी (भाषा) कलकत्ता उच्च न्यायालय ने चिकित्सकों की एक टीम द्वारा एक बलात्कार पीड़िता का गर्भपात करने पर नाखुशी व्यक्त करते हुए उनसे स्पष्टीकरण मांगा है।
अदालत ने पूछा कि ऐसा (गर्भपात) करने के फायदे और नुकसान का पता लगाने के लिए केवल मेडिकल बोर्ड गठित करने के आदेश के बावजूद गर्भपात क्यों किया गया।
पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दाखिल एक रिपोर्ट में कहा गया है कि गर्भपात कर दिया गया है।
न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य ने शुक्रवार को कहा कि अदालत ने गर्भपात की अनुमति नहीं दी थी, बल्कि केवल इसके फायदे और नुकसान का पता लगाने के संबंध में एक रिपोर्ट मांगी थी।
न्यायमूर्ति भट्टाचार्य ने प्रक्रिया को अंजाम देने वाले संबंधित चिकित्सकों को यह स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया कि ऐसा करने के लिए अदालत के किसी भी निर्देश के बिना ‘‘इतनी जल्दबाजी में’’ गर्भपात क्यों किया गया।
अदालत ने निर्देश दिया कि नौ फरवरी को उसके समक्ष दाखिल की जाने वाली रिपोर्ट में बताया जाए कि क्या ऐसी तात्कालिकता का कोई विशेष कारण था।
न्यायमूर्ति भट्टाचार्य ने 29 जनवरी को पश्चिम बंगाल सरकार को एक मेडिकल बोर्ड बनाने का निर्देश दिया था, जो घटना के कारण गर्भवती हुई पीड़िता की स्थिति की जांच करेगा। पीड़िता गर्भपात कराना चाहती थी। अदालत ने इस संबंध में दो फरवरी को अदालत के समक्ष एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था।
याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत के समक्ष कहा था कि वह गंभीर मानसिक आघात झेल रही है और ऐसे में अदालत गर्भपात की अनुमति दे सकती है, जो 20 से 24 सप्ताह के बीच है।
भाषा शफीक माधव
माधव
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.