कोलकाता, 19 मई (भाषा) कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 25 अप्रैल को अदालत परिसर के निकट वकीलों के साथ धक्का-मुक्की करने के आरोप में आठ लोगों के खिलाफ सोमवार को अवमानना का आदेश जारी किया।
अदालत के पहले के निर्देश के अनुपालन में कोलकाता पुलिस आयुक्त ने तीन न्यायाधीशों की विशेष पीठ के समक्ष घटना पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की।
पीठ ने कथित अवमाननाकर्ताओं को मामले की अगली सुनवाई के दिन यानी 16 जून तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
अदालत ने पाया कि कथित अवमाननाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व उनके अधिवक्ताओं द्वारा किया गया लेकिन किसी ने भी पीठ के समक्ष हलफनामा दायर नहीं किया था।
पीठ ने दो मई को कोलकाता पुलिस आयुक्त को वकीलों के साथ कथित धक्का-मुक्की की घटना पर रिपोर्ट दाखिल करने और वकीलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था।
तीन न्यायाधीशों की विशेष पीठ ने कोलकाता पुलिस आयुक्त को मामले की जांच करने और वकीलों के साथ धक्का-मुक्की के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान करने का निर्देश दिया था।
पीठ ने पुलिस आयुक्त को वकीलों की सुरक्षा और यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया था कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
पुलिस आयुक्त को उच्च न्यायालय परिसर के पास किरण शंकर रॉय रोड और ओल्ड पोस्ट ऑफिस स्ट्रीट जंक्शन पर हुई घटना की सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखने के लिए भी कहा गया था।
मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगनम ने वरिष्ठ अधिवक्ता विकास रंजन भट्टाचार्य सहित कई वकीलों के साथ हुई धक्का-मुक्की की इस घटना पर स्वत: संज्ञान लेते हुए न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी, न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की सदस्यता वाली तीन न्यायाधीशों की विशेष पीठ गठित की।
पीठ ने दो मई को कहा था कि प्रथम दृष्टया उसका मानना है कि न्याय के समुचित प्रशासन में हस्तक्षेप और न्यायपालिका को बदनाम कर आपराधिक अवमानना की गई है।
भाषा जितेंद्र वैभव
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