कोलकाता, 23 फरवरी (भाषा) कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल निर्वाचन आयुक्त को राज्य में 108 नगरपालिकाओं में से प्रत्येक में जमीनी हालात की समीक्षा करने और अर्द्धसैन्य बलों की तैनाती पर फैसला लेने का बुधवार को निर्देश दिया। इन नगरपालिकाओं के लिए 27 फरवरी को चुनाव होना है।
मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति आर भारद्वाज की खंडपीठ ने कहा कि अगर आयुक्त अर्द्धसैन्य बलों की तैनाती के खिलाफ फैसला लेते हैं तो वह यह सुनिश्चित करने के लिए व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होंगे कि चुनावों में हिंसा नहीं हो और निष्पक्ष तरीके से मतदान हो।
अदालत भारतीय जनता पार्टी की पश्चिम बंगाल ईकाई के एक नेता की याचिका समेत अन्य याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त को नगरपालिकाओं में मौजूदा स्थितियों पर सूचना एकत्रित करने का निर्देश देते हुए पीठ ने उन्हें 24 घंटे के भीतर गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक के साथ संयुक्त बैठक करने का भी निर्देश दिया।
उच्च न्यायालय ने आयुक्त से 108 नगरपालिकाओं में से प्रत्येक में ‘‘अर्द्धसैन्य बलों की तैनाती करने/नहीं करने के अपने फैसले के समर्थन में प्रासंगिक परिस्थितियों का जिक्र’’ करते हुए लिखित में एक फैसला लेने का निर्देश दिया है।
राज्य निर्वाचन आयोग को 27 फरवरी को अर्द्धसैन्य बलों की तैनाती का निर्देश देने का अनुरोध करते हुए याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि आतंक की स्थिति बनी हुई है और जिन नगरपालिकाओं में चुनाव होने हैं, उनमें से तकरीबन 10 प्रतिशत में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार निर्विरोध जीत गए हैं क्योंकि अन्य उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल करने नहीं दिए गए।
याचिका का विरोध करते हुए निर्वाचन आयोग के वकील ने अदालत में कहा कि 10 फरवरी का उसका पहले का आदेश बिधाननगर चुनावों के लिए अर्द्धसैन्य बलों को तैनात करने के लिए जमीनी स्थिति के आकलन पर आधारित था।
उन्होंने दावा किया कि इस महीने की शुरुआत में चार नगर निगमों के चुनावों के दौरान हिंसा की छिटपुट घटनाएं ही हुई।
आयोग के वकील ने उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल करने से गैरकानूनी रूप से रोके जाने के आरोपों को भी खारिज किया।
याचिकाकर्ताओं ने यह भी दावा किया कि निर्वाचन आयोग पक्षपातपूर्ण तरीके से काम कर रहा है और चुनाव की तारीखों की घोषणा करने के बावजूद राज्य सरकार आदर्श आचार संहिता के खिलाफ जाकर मतदाताओं को लुभाने के लिए नयी योजनाएं चला रही है।
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘हम राज्य निर्वाचन आयोग को यह जांच करने का निर्देश देते हैं कि क्या आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए योजनाओं को अनुमति दी गयी और अगर वे संहिता का उल्लंघन करती हैं तो चुनावों तक उनके क्रियान्वयन की अनुमति नहीं दी जाए।’’
उसने निर्वाचन आयोग से नगरपालिका चुनावों के लिए पर्यवेक्षकों को नियुक्त करने का भी निर्देश दिया।
अदालत ने आयोग को सभी मुख्य और सहायक बूथों के संदिग्ध स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए कदम उठाने और उनकी फुटेज संरक्षित रखने का निर्देश दिया है।
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