नई दिल्ली: कलकत्ता हाई कोर्ट ने बुधवार को बीरभूम हिंसा से जुड़ी स्वत: संज्ञान याचिका पर फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने पुलिस को 24 मार्च को केस डायरी लाने के निर्देश दिए हैं.
कोर्ट ने राज्य सरकार को भी गवाहों को सुरक्षा मुहैया कराने के निर्देश दिए हैं. साथ ही वारदात की जगह पर किसी भी चीज से छेड़छाड़ नहीं करने का निर्देश भी दिया है.
कोर्ट ने राज्य सरकार को डिस्ट्रिक्ट जज पुरबा भुरदावन की मौजूदगी में घटनास्थल को कवर करने के लिए सीसीटीवी कैमरे तुरंत लगाने को कहा है.
अदालत ने आगे सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (सीएफएसएल) को बिना किसी देरी के बीरभूम का दौरा करने और फोरेंसिक जांच के लिए आवश्यक सबूत जमा करने के भी निर्देश दिए हैं.
बता दें कि बुधवार को ही कोर्ट ने घटना का स्वत: संज्ञान लिया था और इस पर सुनवाई के लिए सहमत हुई थी.
वहीं, राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को ही बीरभूम की घटना को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया और कहा कि उनकी सरकार ‘निष्पक्ष’ तरीके से कार्रवाई करेगी.
बता दें कि बीरभूम जिले के एक गांव में कुछ मकानों में आग लगा दी गई जिसमें जल कर आठ लोगों की मौत हो गई थी.
ममता ने कहा कि वह स्थिति का जायजा लेने के लिए वो गुरुवार को घटनास्थल का दौरा करेंगी.
उन्होंने कहा, ‘बीरभूम की घटना के लिए जिम्मेदार सभी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, चाहे वे किसी भी राजनीतिक दल से संबंध रखते हों.’
ममता ने यह भी कहा कि उन्हें जिले का अपना दौरा एक दिन के लिए स्थगित करना पड़ा क्योंकि ‘अन्य राजनीतिक दल पहले से ही वहां जुटे हुए हैं.’
विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी के नेता घटनास्थल पर जाते समय ‘लंगचा’ (पड़ोसी बर्दवान जिले के शक्तिगढ़ क्षेत्र में बनने वाली मिठाई) का स्वाद लेने के लिए रुक गए.
बनर्जी ने आरोप लगाया कि हिंसा की ऐसी घटनाएं पेट्रोल और अन्य वस्तुओं की कीमतों में इजाफा जैसे चिंताजनक मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए रची गई साजिश का परिणाम हैं.
बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने घटनास्थल का दौरा करने के लिए मंगलवार को पांच सदस्यीय समिति का गठन किया था, जिसमें चार सांसद शामिल हैं.
भाषा के इनपुट से
यह भी पढ़ें: पाप स्वीकारना और 5 रुपए की किताब: आंध्र में अपने फॉलोअर्स के रेप के आरोपी ‘पादरी’ की गंदी दुनिया