लखनऊ: 2017 से 2022 के बीच, उत्तर प्रदेश के 17 जिलों में खनिज ढोने के लिए बुलडोजर, एंबुलेंस, शव वाहन और ई-रिक्शा का इस्तेमाल किया गया बताया गया, यह कम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया (कैग) की रिपोर्ट से सामने आया. 83,000 से ज्यादा ऐसे “अनुपयुक्त” वाहनों का इस्तेमाल—कम से कम कागजों पर—दिखाया गया, यह खुलासा कैग की ऑडिट रिपोर्ट में हुआ जो इस महीने की शुरुआत में विधानसभा में पेश की गई.
चूना पत्थर, डोलोस्टोन, ग्रेनाइट, बालू और मोटी बालू जैसे खनिज बुंदेलखंड और पूर्वी यूपी में खनन और ढुलाई किए जाते हैं. कैग ने पाया कि 2017-18 से 2021-22 के बीच, 45 पट्टाधारकों को दिए गए क्षेत्र से बाहर लगभग 269 हेक्टेयर में अवैध खनन हुआ. कथित अवैध खनन को छुपाने के लिए रिकॉर्ड पर अतिरिक्त वाहन दिखाए गए, लेकिन उनके फर्जी पंजीकरण नंबर से गड़बड़ी उजागर हुई.
दिप्रिंट ने राज्य के भूविज्ञान और खनन निदेशक, माला श्रीवास्तव से टिप्पणी के लिए संपर्क किया, लेकिन कॉल का जवाब नहीं मिला. खनन विभाग की जिम्मेदारी खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास है.
कैग की यूपी में खनन और अवैध खनन के सामाजिक-आर्थिक असर पर रिपोर्ट के अनुसार, “अनुपयुक्त” वाहनों को दिखाया गया कि उन्होंने इस अवधि में एक दिन में कई बार खनिज ढोए.
रिपोर्ट में बताया गया कि 407 एम्बुलेंस से 11,809 घन मीटर खनिज ढोए गए दिखाए गए, जिनके लिए 767 ट्रांजिट पास जारी हुए. इसके अलावा, 12,763 मोटर कारें बताई गईं, जिनके लिए 28,116 ट्रांजिट परमिट जारी हुए, और 3,66,811 घन मीटर खनिज ढोना दिखाया गया. नौ शव वाहन से 485 घन मीटर खनिज ढोने की बात कही गई. इसके अलावा, 3,625 बसें, 29,525 ई-रिक्शा, 1,621 बुलडोजर, और अन्य वाहन इस्तेमाल दिखाए गए.
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि 85,928 वाहनों के फर्जी पंजीकरण नंबर पाए गए, जिनमें से 81,280 वाहन सरकार के “वाहन” डाटाबेस में दर्ज ही नहीं थे. 3,883 वाहनों की नंबर प्लेट पर सात अंकों से कम पाए गए, और 765 वाहनों में केवल अंक ही दर्ज पाए गए.
कैग ने कहा कि ये वाहन खनिज ढोने के लिए बने ही नहीं हैं, इसलिए माना जा सकता है कि इन वाहनों से खनिज ढोए ही नहीं गए. यह तरीका संभवतः खनिजों के ओवरलोडिंग को वैध दिखाने के लिए इस्तेमाल हुआ.
जिन 17 जिलों में गड़बड़ी की रिपोर्ट मिली उनमें बुंदेलखंड के चित्रकूट, फतेहपुर, हमीरपुर, बांदा और महोबा, पश्चिम यूपी के बागपत, बुलंदशहर, गौतमबुद्ध नगर, सहारनपुर, संभल और शामली, मध्य यूपी के कानपुर, प्रयागराज और कौशांबी, और पूर्वी यूपी के सिद्धार्थनगर और सोनभद्र शामिल हैं.
दिप्रिंट को जानकारी मिली कि कैग ने गूगल अर्थ और सैटेलाइट इमेजरी का इस्तेमाल कर पट्टा क्षेत्र से बाहर और बिना खनन अनुमति के अवैध खनन के मामले पाए.
‘निगरानी में नाकामी’
कैग रिपोर्ट में बताया गया कि राज्य और जिला स्तर पर “गैरकानूनी” खनन और “फर्जी” गाड़ियों के इस्तेमाल पर निगरानी नाकाम रही। रिपोर्ट में कहा गया कि पट्टाधारक बिना ज़रूरत के ई-ट्रांज़िट पास जारी कर रहे थे.
रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार, 85,928 फर्जी पंजीकरण नंबर वाली गाड़ियों के लिए 4,48,637 ई-ट्रांज़िट पास जारी किए गए, जिनसे 24,51,021 घन मीटर खनिज का “परिवहन” दिखाया गया. खनिजों के परिवहन में की गई गड़बड़ियों को चिह्नित करते हुए कैग रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि कई बार एक ही ट्रांज़िट पास का इस्तेमाल अलग-अलग गाड़ियों से बार-बार किया गया.
कैग ने कहा कि राज्य के भूविज्ञान और खनन निदेशालय इन गतिविधियों की निगरानी करने में नाकाम रहा। साथ ही जिला खनन अधिकारियों ने गैरकानूनी खनन पकड़ने के लिए तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया.
चित्रकूट, हमीरपुर और सोनभद्र में पांच मामले सामने आए, जहां 30.40 हेक्टेयर ज़मीन पर बिना पट्टे के खनन किया गया. ऐसे मामले भी मिले जहां ईंट भट्ठा मालिकों ने नियमों का पालन नहीं किया और उन पर कोई जुर्माना या कार्रवाई नहीं हुई.
हमीरपुर के जिला खनन अधिकारी विकास सिंह परिमार ने दिप्रिंट से कहा, “हम कैग रिपोर्ट से वाकिफ हैं और खामियों को दूर करने पर काम कर रहे हैं. हम उठाए गए सवालों का जवाब भी देंगे. हमीरपुर में मुख्य रूप से मोटी रेत का परिवहन हो रहा है और हम खामियों को दुरुस्त कर रहे हैं.”
चित्रकूट के जिला खनन अधिकारी रणबीर कुमार सिंह ने कहा, “कैग ऑडिट रिपोर्ट 2017 से 2022 तक की अवधि को कवर करती है. इसके बाद कई सुधार किए गए हैं. हम इस पर अपना जवाब तैयार कर रहे हैं.”
कैग रिपोर्ट ने राज्य में विपक्ष का विरोध भी भड़का दिया है. कांग्रेस की अराधना मिश्रा ‘मोना’ ने दिप्रिंट से कहा, “कैग रिपोर्ट राज्य में गैरकानूनी खनन से जुड़े कई चौंकाने वाले तथ्य उजागर करती है. खनिजों के परिवहन में एंबुलेंस और बुलडोज़र का इस्तेमाल हो रहा है. सरकार को जवाब देना चाहिए.”
सपा प्रवक्ता मनोज काका ने कहा कि यह रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी के पहले कार्यकाल की है, लेकिन दूसरे कार्यकाल में भी हालात वैसे ही हैं. उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “कैग ऑडिट रिपोर्ट सरकार की ‘भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस’ की कहानी को उजागर करती है और इसी वजह से सरकार पूरी तरह चुप है.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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