नयी दिल्ली, 16 मार्च (भाषा) केंद्रीय मंत्रिमंडल ने समझा जाता है कि कैदियों की पहचान संबंधी मसौदा विधेयक को बुधवार को मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें किसी अपराध के मामले में गिरफ्तार और दोषसिद्ध अपराधियों का रिकार्ड रखने के लिये अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग की अनुमति देने का प्रस्ताव किया गया है।
इससे अवगत सूत्रों ने बताया कि प्रस्तावित कैदियों की पहचान विधेयक के माध्यम से वर्ष 1920 के कैदियों की पहचान संबंधी कानून को बदलने का प्रस्ताव किया गया है ।
इसके तहत साल 1920 के कैदियों की पहचान संबंधी कानून को समाप्त किया जायेगा ।
सूत्रों ने कहा कि औपनिवशिक ब्रिटिश काल के वर्तमान कानून में दोषियों और अपराध के मामले में गिरफ्तार लोगों के शरीर के सीमित स्तर पर माप की अनुमति दी गई है जिसमें एक वर्ष या उससे अधिक सश्रम कारावास का प्रावधान होता है।
सूत्रों ने बताया कि मसौदा विधेयक में दोषियों और अपराध के मामले में गिरफ्तार लोगों के विभिन्न प्रकार का ब्यौरा एकत्र करने की अनुमति देने की बात कही गई है जिसमें अंगुली एवं हथेली की छाप या प्रिंट, पैरों की छाप, फोटो, आंखों की पुतली, रेटिना, लिखावट के नमूने आदि शामिल हैं ।
उन्होंने बताया कि इनका अधिक से अधिक ब्यौरा मिलने से दोष सिद्धि दर में वृद्धि होगी और जांचकर्ताओं को अपराधियों को पकड़ने में सुविधा होगी ।
समझा जाता है कि विधेयक को बजट सत्र के दौरान पेश किया जा सकता है।
भाषा दीपक
दीपक पवनेश
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