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Saturday, 4 May, 2024
होमदेशयूपी में पुलिस बर्बरता पर स्वरा भास्कर-जीशान आयूब ने स्वतंत्र जांच की मांग की

यूपी में पुलिस बर्बरता पर स्वरा भास्कर-जीशान आयूब ने स्वतंत्र जांच की मांग की

मेरठ में पुलिस की गोली से मारे गए व्यक्तियों के पीड़ित परिवारों से मिलकर लौटीं कविता कृष्णन ने कहा, 'मेरठ में विरोध प्रदर्शनों के दौरान जो लोग पुलिस की गोली से मरे वो मजदूरी करने वाले लोग थे.'

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नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी है. प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में गुरुवार को एक साथ हुई तीन प्रेस कॉन्फेंसों में दिल्ली व यूपी पुलिस की कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं. स्वराज इंडिया पार्टी के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने यूपी पुलिस द्वारा सामाजिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिए जाने पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा, ‘ये प्रेस कॉन्फ्रेंस हम लखनऊ में कर सकते थे, लेकिन जिस तरह से वहां सामाजिक कार्यकर्ताओं और वकीलों को अरेस्ट किया जा रहा है उस हिसाब से हम अपनी रिपोर्ट भी पेश नहीं कर पाते.’

इस बीच सीपीआई(एमएल) की पोलित ब्यूरो सदस्य कविता कृष्णन, स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव, सामाजिक कार्यकर्ता हर्श मंदर और यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के फाउंडर नदीम खान मेरठ से एक फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट के साथ लौटे हैं. पीप्लस यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स के बैनर तले राधिका व हरीश धवन ने जामिया में पुलिसिया बर्बरता पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग की है, साथ ही उन्होंने कहा है कि जो पुलिस कर्मी इसमें शामिल थे उन्हें जामिया पुलिस थाने व आस-पास के थानों से हटाया जाए ताकि छात्र उस दिन हुई घटना के सदमें से निकल सकें. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बॉलीवुड एक्ट्रेस स्वरा भाष्कर और एक्टर जीशान अयूब भी मौजूद थे. उन्होंने बॉलीवुड के अन्य कलाकारों का एक वीडियो और एक साझा बयान जारी करते हुए कहा कि हम यूपी में हो रही पुलिस बर्बरता की स्वतंत्र जांच की मांग करते हैं.

मेरठ में पुलिस की गोली से मारे गए व्यक्तियों के पीड़ित परिवारों से मिलकर लौटीं कविता कृष्णन ने कहा, ‘मेरठ में विरोध प्रदर्शनों के दौरान जो लोग पुलिस की गोली से मरे वो मजदूरी करने वाले लोग थे. कोई अपने काम से घर लौट रहा था तो कोई नमाज से. कोई भी धरनों का हिस्सा नहीं था. लेकिन पुलिस ने जिस तरह से मुसलमानों को मारने के उद्देश्य से गोलियां चलाई है वो साफ जाहिर है. इसे यूपी पुलिस का आतंक बताते हुए कहती हैं, ‘मारे गए मुसलमानों की लाशें तक उनकी पत्नियों या माओं को देखने नहीं दी गई. पुलिस ने उन्हें कहीं और दफनाने का दबाव बनाया. रातभर परिवार सोते नहीं हैं. पहरे दिए जा रहे हैं. यूपी पुलिस योगी सरकार से अवॉर्ड पाने के लिए आपसी कंपीटिशन कर रही है.’

फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट के मुताबिक अब तक इन विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर यूपी में 925 लोग हिरासत में लिए गए हैं. साथ ही एक लाख से ज्यादा अज्ञात लोगों पर एफआईआर हो चुकी हैं. कविता कृष्णन साफ आरोप लगाती हैं कि इसमें सीधे-सीधे होम मिनिस्ट्री और अमित शाह शामिल हैं. उनका ये भी कहना है कि पीड़ित परिवारों को पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट्स तक नहीं दी जा रही हैं. साथ ही रिपोर्ट में बताया गया है कि हिरासत में लिए गए लोगों को पुलिस द्वारा टॉर्चर भी किया गया है.

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पांच मुख्य मांगे उठाई गई हैं. ये मांगें हैं- राज्य द्वारा प्रायोजित आतंक बंद किया जाए, बेगुनाहों को रिलीज किया जाए और एक लाख गुमनाम लोगों को खिलाफ हुई एफआईआर रद्द हों, सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस पूरे मामले की स्वतंत्र कानूनी जांच हो, नेशनल ह्यूमन राइट्स इस पूरे मामले को स्वत: संज्ञान ले, इन्क्वारी के बाद दोषी पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया जाए, जो मारे गए या गंभीर रूप से घायल लोगों को मुआवजा दिया जाए, शांतिपूर्वक प्रदर्शन की इजाजत दी जाए और पीएम मोदी आश्वासन दें कि देश में एनआरसी लागू नहीं किया जाएगा.

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इस दौरान योगेंद्र यादव ने पुलिसिया कार्रवाई के एक खास पैटर्न पर ध्यान खींचते हुए बताया, ‘पूरे उत्तर प्रदेश में किसी भी शांति पूर्वक प्रदर्शन की इजाजत नहीं दी गई, जो लोग लीड कर सकते थे या हिंसा होने से रोक सकते थे उन्हें पहले ही अरेस्ट किया गया, पहले तो सीएए के खिलाफ प्रर्दशन नहीं करने दिया फिर बिना वॉर्निंग के फायरिंग की गई, फायरिंग करने से पहले पुलिस ने ही लाठीचार्ज किया, ना ही आंसू गैस चलाई, ना ही वॉटर कैनन इस्तेमाल किया. सीधे लोगों के ऊपरी हिस्सों पर गोलियां बरसाई.’

पुलिस पर हुए हमलों के एक सवाल के जवाब में वो कहते हैं कि एक भी केस ऐसा नहीं मिला जहां पुलिस ने अपने बचाव में गोलियां चलाई हों, ज्यादातर भागते लोगों को गोलियां लगी हैं. पुलिस को खतरे से बचने के लिए अपना बचाव करने का हक है कि लेकिन आम लोगों को इस तरह मारने का हक नहीं.

इस दौरान उन्होंने आर्मी चीफ रावत के एक बयान पर तंज कसते हुए कहा, ‘पहले तो हमारा देश पाकिस्तान या बांग्लादेश नहीं है कि आर्मी चीफ देश की राजनीति पर टिप्पणी करें. लेकिन, अगर उन्होंने कर ही दी है तो मैं उनकी बात से सहमत हूं कि लीडरशिप जनता को गलत दिशा में नहीं ले जाती है, लगता है कि वो ये बात देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर कह रहे हैं.’

नागरिकता संशोधन कानून को लेकर विरोध के स्तर जितने तेज हुए, पुलिसिया कार्रवाई भी उतनी ही सख्त हुई है. सबसे बुरी खबरें उत्तर प्रदेश से आईं. जहां पुलिस लोगों के घरों में तोड़फोड़ करती दिखी तो कहीं उपद्रवी पुलिस पर गोलियां दागते दिखे.

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