scorecardresearch
Sunday, 5 May, 2024
होमदेशअपराधनागरिकता कानून के विरोध में दिल्ली गेट पर जिस सिपाही की कार जली उसने कहा- मैंने आज तक किसी को डंडा भी नहीं मारा

नागरिकता कानून के विरोध में दिल्ली गेट पर जिस सिपाही की कार जली उसने कहा- मैंने आज तक किसी को डंडा भी नहीं मारा

20 दिसंबर को दिल्ली गेट पर हुए प्रदर्शन और उसके बाद हिंसा का केंद्र बिंदु दरियागंज पुलिस थाने के सामने पार्क की गई एक जली हुई गाड़ी रही.

Text Size:

नई दिल्ली: 20 दिसंबर को दिल्ली गेट पर हुए प्रदर्शन और उसके बाद हिंसा का केंद्र बिंदु एक जली हुई गाड़ी  (मारुति सुजुकी सेलेरियो) रही. प्रदर्शन के वक्त ये गाड़ी दरियागंज पुलिस थाने के सामने पार्क की गई थी. ये गाड़ी दरियागंज थाने से लगभग चार सौ मीटर दूर तुर्कमान गेट पुलिस चौकी के एक पुलिस कॉन्सटेबल की थी.

घटना के अगले दिन जब दिप्रिंट घटनास्थल पर गया तो थाने के पास भारी सैन्य बल तैनात था. राहगीर जली हुई गाड़ी को देखते हुए जा रहे थे और प्रदर्शनकारियों को गालियों से नवाज रहे थे. गाड़ी के पास खड़े एक दिल्ली पुलिस के जवान से पूछने पर पता चलता है कि गाड़ी कॉन्स्टेबल रूप लाल की थी. चौकी के आस पास तैनात पुलिस वालों की नजर में सबसे पहले ये कॉन्सटेबल पीड़ित हैं.

दरियागंज के तुर्कमान गेट चौकी में रूप लाल तैनाती है. वो कल से ही मीडिया के कैमरों से बचने की कोशिश कर रहे हैं. 30 वर्षीय रूप लाल बिहार के गया से हैं. 2009-10 में उन्होंने दिल्ली पुलिस की नौकरी ज्वॉइन की थी. फिलहाल नरेला स्थित पुलिस क्वार्टर में उनकी बीवी और तीन बच्चे रहते हैं.

उस दिन के घटनाक्रम के बारे में बताते वो दिप्रिंट से कहते हैं, ‘मैं 19 दिसंबर को सुबह ही ड्यूटी पर आ गया था. फिर रात की ड्यूटी लग गई. उसके बाद मैं 20 की सुबह को अपने क्वार्टर पर गया था. फिर दोपहर होते ही थाने से फोन आया कि ड्यूटी पर आना है. मैं बिना खाए पिए ही सिविल ड्रेस में यहां तुर्कमान गेट चौकी पर आ गया. इलाके में धरना चल रहा था तो मैं दरियागंज थाने के पास बनी पुलिस कैंटीन में खाने चला गया. वहां से अपनी वर्दी भी इस्त्री करवानी थी. गाड़ी वहीं पार्क कर दी. मैं खाना खा रहा था तो मुझे जिंदाबाद के नारे सुनाई दिए लेकिन समझ नहीं आ रहा था कि भीड़ किस तरफ से आ रही है. मैं खाना खाकर बाहर निकला तो देखा कि पुलिस ने सड़क के दोनों तरफ बैरिकेडिंग लगा दी है. प्रदर्शनकारी अंदर थे. मैंने दोनों तरफ के बैरिकेड से घुसने की कोशिश की लेकिन दूसरे थानों की पुलिस और दिल्ली पुलिस के सुरक्षा बल आए हुए थे. वो पहचान नहीं रहे थे. मैंने बताया भी कि मैं दिल्ली पुलिस का ही सिपाही हूं लेकिन सिविल ड्रेस में था तो किसी पुलिस वाले ने अंदर नहीं जाने दिया. वहां चार-पांच गाड़ियां खड़ी थीं.’

वो आगे जोड़ते हैं, ‘मैंने सोचा कि ये थोड़ी देर में खत्म हो जाएगा तब गाड़ी ले जाऊंगा. लेकिन थोड़ी देर बाद फोन आया कि आपकी गाड़ी जल गई है. मुझे लगा कि ये मजाक है लेकिन जब पहुंचा तो गाड़ी राख हो चुकी हो थी. कबाड़ में देने लायक भी नहीं बची थी. मेरे इन्श्योरेंस के सारे कागजात उसी में थे. पिछले साल ही लोन पर गाड़ी ली थी. अभी एक साल की ही किश्त भरी थी. मैंने कागजों की फोटोज खींची हुई हैं, उसी आधार पर क्लेम करूंगा. उस दौरान बाकी गाड़ियां निकल गई थीं. सिर्फ मेरी ही गाड़ी जली. बाद में पता चला कि बीच में 5-10 मिनट के लिए प्रदर्शन थमा था तो बाकी गाड़ियां निकल गईं. मुझे किसी ने बताया ही नहीं.’

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

‘मेरे बच्चों का फोन आया तो वो घबराए हुए थे उन्हें लगा कि कहीं मैं गाड़ी में ना होऊं. फोन करके वो गुस्से में बोल रहे थे जिन्होंने गाड़ी जलाई है उनको मारो. मैंने तो आज तक किसी पर डंडा नहीं चलाया. हमें ऊपर से ऑर्डर आते हैं और हम अपनी ड्यू़टी करते हैं. मारने की मंशा तो नहीं होती.’

इस बातचीत के बाद पुलिस थाने वाले ब्रीफिंग के लिए निकल गए क्योंकि 22 तारीख को रामलीला मैदान में पीएम मोदी की रैली के साथ-साथ जामा-मस्जिद से लेकर जंतर-मंतर तक कई धरने प्रदर्शन भी हैं.

news on caa protest
दरियागंज थाना जहां लोगों को हिरासत में रखा गया था | फोटो, ज्योति यादव

क्या हुआ था 20 की शाम को?

उस दिन शाम के करीब 6:30 बजे दरियागंज पुलिस थाने के पास हुए इस लाठी चार्ज के बाद कम से कम 40 लोगों को डिटेन किया गया. डिटेन किए गए लोगों में 18 साल से कम उम्र के 8 बच्चे भी थे. रात 10 बजे तक थाने के बाहर परिवार वालों और वकीलों का जमावड़ा लगा रहा लेकिन पुलिस ने किसी को भीतर नहीं जाने दिया. इसके बाद प्रदर्शनकारी दिल्ली पुलिस के हेड क्वार्टर के बाहर धरने पर बैठ गए. आधी रात तक ये सब चलता रहा. उसके बाद पुलिस ने माइनर्स को छोड़ा और अस्पताल पहुंचाया.

इस पूरे घटनाक्रम के दो पक्ष निकलकर आते हैं. एक पुलिस का पक्ष और दूसरा उस भीड़ में शामिल लोगों का. पुलिस के मुताबिक जब प्रदर्शनकारी दिल्ली गेट पर पहुंचे तो उन्होंने हिंसा की और एक पुलिस वाले की गाड़ी जलाई. उसी के बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया लेकिन चश्मदीद बता रहे हैं कि वो गाड़ी किसने जलाई, किसी को नहीं पता क्योंकि लोग शांतिपूर्वक अपने घर लौटने की तैयारी में थे.

इस बारे में दरियागंज थाने के पास एक दुकानदार दिप्रिंट को बताते हैं, ‘लाठीचार्ज के बाद पुलिस ने राह से गुजर रहे आम लोगों को भी हिरासत में ले लिया. ये साफ जाहिर है कि पुलिस ने जिनको पकड़ा है उन्होंने आग नहीं लगाई है.’

पुलिस थाने के सामने एक अन्य दुकानदार ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया, ‘बाहर के लोग अचानक इस भीड़ में घुस गए और फिर एक गाड़ी को आग लगा दी. वो कोई और गाड़ी जला पाते उससे पहले ही पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया.’

दिल्ली गेट हिंसा में डिटेन किए गए 15 लोगों को दिल्ली पुलिस ने 21 दिसंबर को तीस हजारी कोर्ट में जज अरजिंदर कौर के सामने पेश किया. इस दौरान वकील रेबेका मेनन भी मौजूद थीं. पुलिस ने इन लोगों पर सेक्शन 147,148, 436, 427, 323, 353, 332,186,120B और 34 के तहत मामले दर्ज किए हैं. फिलहाल अरेस्ट हुए 15 लोगों को दो दिन की पुलिस कस्टडी में भेज दिया गया है.

share & View comments