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Saturday, 18 May, 2024
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सरकार बोली, 1987 से पहले जन्मे या जिनके माता-पिता का जन्म 1987 के पहले हुआ, भारतीय हैं

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और हाल में बने कानून के बारे में सोशल मीडिया पर कई संस्करण प्रसारित किए जाने के बीच यह स्पष्टीकरण आया है .

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नयी दिल्ली: देशभर में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर चल रहे प्रदर्शन के बीच आज गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि नागरिकता साबित करने के लिए कहकर किसी भारतीय नागरिक को अनावश्यक रूप से परेशान नहीं किया जाएगा.

‘भारतीय नागरिकों को माता-पिता/दादा-दादी के जन्म प्रमाणपत्र जैसे 1971 के पहले के रिकार्डों से विरासत साबित नहीं करनी होगी.’

गृहमंत्रालय के प्रवक्ता ने यह कहा, ‘भारत की नागरिकता जन्म तिथि या जन्म स्थान या दोनों से संबंधित कोई भी दस्तावेज देकर साबित की जा सकती है. आने वाले समय में गृह मंत्रालय नागरिकता साबित करने की प्रक्रिया को आसान बनाने की ओर काम कर रहा है.’

प्रवक्ता ने बताया कि एक सूची में बहुत सारे आम दस्तावेजों को शामिल करने की संभावना है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी भारतीय नागरिक अनुचित रूप से परेशान न हो या उसे असुविधा न हो.


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एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि भारत में जिनका जन्म 1987 के पहले हुआ या जिनके माता-पिता की पैदाइश 1987 के पहले की है, वो कानून के मुताबिक भारतीय नागरिक हैं और नागरिकता कानून 2019 के कारण या देशव्यापी एनआरसी होने की स्थिति में चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है .

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नागरिकता कानून के 2004 के संशोधनों के मुताबिक असम में रहने वालों को छोड़कर देश के अन्य हिस्से में रहने वाले ऐसे लोग जिनके माता या पिता भारतीय नागरिक हैं, लेकिन अवैध प्रवासी नहीं हैं, उन्हें भी भारतीय नागरिक ही माना जाएगा .

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और हाल में बने कानून के बारे में सोशल मीडिया पर कई संस्करण प्रसारित किए जाने के बीच यह स्पष्टीकरण आया है .

अधिकारी ने कहा कि जिनका जन्म 1987 के पहले भारत में हुआ हो या जिनके माता-पिता का जन्म उस साल के पहले हुआ है, उन्हें कानून के तहत भारतीय माना जाएगा . असम के मामले में भारतीय नागरिक होने की पहचान के लिए 1971 को आधार वर्ष बनाया गया है .

यह ट्वीट ऐसे समय में आया है जब एक सप्ताह पहले संसद से नागरिकता संशोधित विधेयक पारित हुआ और पिछले सप्ताह राष्ट्रपति ने उसे अपनी मंजूरी दी.

संशोधित नागरिकता कानून के अनुसार 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आ चुके पाकिस्तान,अफगानिस्तान और बांग्लादेश के हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, पारसियों और ईसाइयों तथा वहां धार्मिक उत्पीड़न झेल रहे इन समुदाय के लोगों को अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा और उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी.

(भाषा के इनपुट्स के साथ)

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