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Friday, 22 November, 2024
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ये दस कदम उठाकर मोदी देश को ले जा सकते हैं ऊंचाइयों पर

भारत को 2030 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बननी है, तो इसकी दर बढ़ानी ही होगी. बेशक यह सुनने में आसान लगता है. लेकिन सच्चाई विपरीत है.

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अपनी दूसरी पारी की शुरुआत कर चुके प्रधानमंत्री मोदी के सामने ऐसी चुनौतियां हैं. जिनका मुकाबला करके वह देश को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं. दिलचस्प बात यह है कि ये सभी कमोबेश अर्थव्यवस्था और अर्थनीति से जुड़ी हुई हैं. ये चुनौतियां वैसे तो आर्थिक दिखती हैं. लेकिन इनके राजनीतिक प्रभाव दूरगामी हैं.

नई सरकार बनते ही खबर आई कि भारत सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था नहीं रह गया है और उसका स्थान चीन ने फिर ले लिया. हमारे जीडीपी विकास की दर 7 प्रतिशत से गिरते-गिरते वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में 5.8 प्रतिशत हो गई है. अगर भारत को 2030 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बननी है, तो इसकी दर बढ़ानी ही होगी. बेशक यह सुनने में आसान लगता है. लेकिन सच्चाई है विपरीत.

पहला कदम-खपत बढ़ाना

जीडीपी में गिरावट की मुख्य वज़ह है खपत में कमी. उपभोक्ताओं ने अपनी जरूरत की चीजों की मांग घटा दी है. इसका असर मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री पर पड़ा है. भारतीय अर्थव्यवस्था खपत आधारित है न कि निर्यात आधारित. देश में खपत गिर रही है और उसे पटरी पर लाने के लिए सरकार को अपना खजाना खोलना ही होगा. इसके साथ ही टैक्सों में कटौती के जरिये जनता के पॉकेट में और पैसा डाला जाना चाहिए ताकि वह फिर से खर्च कर सके. उद्योगों को बढ़ावा देने की नीति अपनानी होगी और उन्हें टैक्स प्रोत्साहन भी देना पड़ेगा.

दूसरा कदम-जीएसटी सरलीकरण

इसी से जुड़ा है जीएसटी का मुद्दा. जिस जल्दबाजी में यह लागू किया गया उससे कई समस्याएं खड़ी हो गईं और बिज़नेस को धक्का लगा. जीएसटी के कई स्लैब और उसका जटिल फॉर्म कारोबारियों के लिए कठिनाई का सबब बन गया. मोदी सरकार-1 ने इस दिशा में प्रयास किया और अब उसे इसके सरलीकरण के लिए और भी कदम तुरंत उठाने होंगे. इससे ही उनमें विश्वास भरेगा और कारोबार में तेजी आएगी. भारतीय जनता पार्टी ने अपने घोषणापत्र में इसका जिक्र किया है और इसलिए उम्मीद है कि वह इस पर काम करेगी.

तीसरा कदम-रोजगार बढ़ाने के उपाय

इस समय उपभोक्ता खपत में कमी की बड़ा कारण है कि रोजगार का बाज़ार ठंडा है. इस समय बेरोजगारी की दर 45 साल के अधिकतम पर है. चुनाव खत्म हो गए हैं और सरकार के लिए यह बहुत बड़ा सिरदर्द साबित होने वाला है. इस समस्या का तुरंत समाधान आसान नहीं है लेकिन कई बड़े कदम उठाकर सरकार इस पर काबू कर सकती है. एक बार सही माहौल बन जाने के बाद बाज़ार में तेजी आ सकती है क्योंकि जिन लोगों ने अपनी खपत कम कर दी है वे नए सिरे से ऐसा कर सकते हैं.


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चौथा कदम-किसानों की मदद, सही मूल्य

भारत के किसान इस समय संकट से गुजर रहे हैं और उनके सामने जीवन-यापन का संकट है. कर्ज माफी उनकी समस्याओं का कोई हल नहीं है. प्रधान मंत्री मोदी ने चुनाव में कहा है कि किसानों की आय 2022 तक दुगनी करने का लक्ष्य है. इसके लिए एक प्रभावी कृषि नीति जिसमें उपज का डेढ़ गुना मूल्य दिलाना शामिल है, लागू होनी चाहिए. बेहतर टेक्नोलॉजी और इन्फ्रास्ट्रक्चर से किसानों की आय बढ़ाई जा सकती है.

पांचवां कदम-बैंकिंग सुधार

भारतीय बैंकिंग व्यवस्था इस समय संकट के दौर से गुजर रही है. सरकारी बैंकों के सामने एनपीए का संकट है जबकि प्राइवेट बैंकों का धंधा मंदा है. वहां से ऋण का उठाव कम होता जा रहा है यानी कारोबारी कम लोन ले रहे हैं. पिछले साल मार्च तक कमर्शियल बैंकों का एनपीए 10.3 खरब रुपए है. जिसका समाधान करना चाहिए. कमज़ोर बैंकों को और धन मुहैया कराना होगा. ताकि वे फिर से लोन दे सकें. मोदी सरकार को ऐसा माहौल बनाना होगा. जो नए बिज़नेस को प्रोत्साहित करे. पर्यावरण कानूनों और जटिल भूमि अधिग्रहण कानून ने देश में उद्योगों के विस्तार तथा नए उद्योग लगाने में बहुत बाधाएं डाली हैं. इनका समाधान ढूंढ़ना ही होगा.

छठा कदम- इंफ्रास्ट्रक्चर में मजबूती

अगर यह मोदी सरकार-1 का मजबूत पक्ष रहा है तो इस मोदी सरकार-2 का भी रहना चाहिए. इंफ्रास्ट्रक्चर में  दूरगामी निवेश आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा. इस समय देश में हर दिन 34 किलोमीटर राजमार्ग बन रहे हैं. लेकिन अभी भी कई महत्वाकांक्षी योजनाएं शेष हैं खासकर पूर्वोत्तर में. भारत को 2020 तक 1.7 खरब डॉलर निवेश की जरूरत है जिसका बड़ा हिस्सा विदेशों से निवेश के तौर पर आना चाहिए. अगर विदेशों से बड़े निवेश के ऑफर आते हैं तो भारतीय अर्थव्यवस्था को सहारा मिलेगा और तेजी आएगी.

सातवां कदम-निर्यात में बढ़ोतरी

निर्यात हमारी कमज़ोरी है और इस वज़ह से हमारा व्यापार संतुलन गड़बड़ा गया है और खपत के अभाव में विकास दर धीमी हो गई है. भारत का निर्यात इस समय धीमा पड़ गया है. अप्रैल महीने में 0.64 प्रतिशत घटकर 26.07 अरब डॉलर हो गया है जबकि आयात 4.48 अरब डॉलर बढ़कर 41.4 अरब डॉलर हो गया जिसका मतलब हुआ 15.33 अरब डॉलर का व्यापार घाटा.

मोदी सरकार-2 के लिए यह जरूरी है कि वह इस खाई को पाटे और इसके लिए आयात घटाना तथा निर्यात बढ़ाना होगा. इसके लिए बड़े कदम तो उठाने ही होंगे साथ ही निर्यात को बढ़ावा देना होगा. निर्यातकों की समस्य़ा न केवल धन की कमी है. बल्कि विश्व के कई देशों में तनाव भी है. अमेरिका-चीन में व्यापारिक टकराव का भारत पर क्या असर पड़ेगा, इसका अंदाजा लगाना कठिन है और सरकार को इसके लिए कुशन तैयार करना ही होगा.

आठवां कदम-लघु और मध्यम उद्योगों को मदद

लघु और मध्यम उद्योग यानी एसएमई देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और इसने न केवल बड़े पैमाने पर रोजगार दिया है. बल्कि, जीडीपी में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है. लेकिन इन पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया है. लघु उद्योगों के साथ खास बात है कि उनमें जितनी पूंजी लगाई जाती है. उससे जो रोजगार पैदा होता है उतना बड़े उद्योगों में नहीं होता है. मोदी सरकार-2 को इस दिशा में बड़े कदम उठाने होंगे. इस सेक्टर को सशक्त करके वह रोजगार को बढ़ावा देने के अलावा जीडीपी में बढ़ोतरी की जा सकती है. इतना ही नहीं चीन से आयातित माल का मुकाबला करने के लिए उन्हें टेक्नोलॉजी भी उपलब्ध करानी चाहिए.

नौवां कदम-डिजिटलाइजेशन

नरेन्द्र मोदी ने पहली बार प्रधान मंत्री बनने के बाद डिजिटल इंडिया का नारा दिया. लेकिन इस दिशा में काम आगे नहीं बढ़ पाया है. नोटबंदी ने एक मौका दिया था लेकिन उसका फायदा उठाने से हम चूक गए. अब अपने दूसरे कार्यकाल में मोदी सरकार इसे वरीयता दे. इससे न केवल सरकारी काम काज में पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा बल्कि एक औपचारिक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा. इसके लिए बेहतर इंटरनेट सेवा, बेहतर टेलीकॉम सेवाएं और आईटी सेक्टर में उपयुक्तमैन पॉवर उपलब्ध कराना जरूरी है.


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आई टी सेक्टर में इस समय जो कमियां हैं उन्हें दूर करके डिजिटल इंडिया की कल्पना को मूर्त रूप दिया जा सकता है.

दसवां कदम-रियल एस्टेट

रियल एस्टेट इस देश में कृषि के बाद रोजगार देने वाला दूसरा क्षेत्र है. इसका देश के जीडीपी में 5-6 प्रतिशत का योगदान है लेकिन इसमें इतनी क्षमता है कि 2025 तक यह जीडीपी में 13 प्रतिशत तक का योगदान कर सकता है. लेकिन इस समय भारत का रियल एस्टेट उद्योग मुश्किलों से गुजर रहा है. इसके लिए सरकार को उन्हें सस्ती दरों पर कर्ज मुहैया कराना होगा और सस्ती दरों पर जमीन भी. मकानों पर जो कर्ज दिया जाता है उसके ब्याज दरों में कटौती की जाए या फिर कोई और रास्ता निकाला जाए. बिल्डिंग के पुराने नियमों को भी बदला जाए और टैक्स नियमों में बदलाव किया जाए.

ये दस कदम उठाकर मोदी सरकार देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकती है और देश को दुनिया की तीसरी आर्थिक शक्ति बनाने में मदद कर सकती है.

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और यह उनके निजी विचार हैं.)

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