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मंगलवार, 24 जून, 2025
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आवासीय उपयोग के लिए परिवर्तित कृषि भूमि खरीदना कानून के खिलाफ नहीं : उच्च न्यायालय

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बेंगलुरु, 28 मई (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा है कि कृषि भूमि का भू-उपयोग बदलकर आवासीय कर दिया जाता है और इसके बाद कोई इस जमीन को खरीदता है, तो यह कर्नाटक अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (चुनिंदा जमीन के हस्तांतरण का निषेध) के प्रावधानों के खिलाफ नहीं है।

अदालत ने रामंगरा के शेषगिरिहल्ली गांव में ‘तिब्बती चिल्ड्रन विलेज’ द्वारा तीन एकड़ जमीन की खरीद को वैध माना, जो मूल रूप से अनुदान भूमि थी। इस भूमि को आवासीय उपयोग के लिए परिवर्तित होने के बाद खरीदा गया था।

कानून के मुताबिक अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति को अनुदान दी गई कृषि भूमि हस्तांतरित नहीं की जा सकती। गिरियप्पा को यह भूमि वर्ष 1978 में अनुदान के रूप में मिली थी, लेकिन वर्ष 1996 में उसने यह भूमि टी प्रसन्ना गौड़ा को हस्तांरित कर दी। गौड़ा ने कर्नाटक भूमि सुधार कानून के तहत भूमि का उपयोग बदलवाकर आवासीय करा लिया और इसे एक पंजीकृत सोसायटी ‘तिब्बती चिल्ड्रन विलेज’ को हस्तांतरित कर दिया।

इसके बाद गिरियप्पा के उत्तराधिकारियों ने वर्ष 2006 में भूमि हस्तांतरण को चुनौती दी, लेकिन सहायक आयुक्त ने सोसायटी के पक्ष में फैसला सुनाया।

लेकिन उपायुक्त ने सहायक आयुक्त के फैसले को दरकिनार करते हुए भूमि को गिरियप्पा के उत्तराधिकारियों के नाम बहाल करने का फैसला सुनाया। उपायुक्त के इस फैसले को कर्नाटक उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी, जिस पर यह फैसला सुनाया गया।

उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति बीएम श्याम प्रसाद की पीठ ने 23 मई को इस मामले में याचिका दाखिल करने की मंजूरी देते हुए सोसायटी के पक्ष में फैसला सुनाया।

भाषा संतोष अर्पणा

अर्पणा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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