बुरहानपुर/भोपाल, 20 अप्रैल (भाषा) केंद्र सरकार की ‘हर घर जल योजना’ के तहत जिले के हर घर में नल के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए मध्यप्रदेश के बुरहानपुर को लोक प्रशासन पुरस्कार में प्रधानमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार के लिए चुना गया है।
अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को बताया कि यह पुरस्कार दिल्ली में 21 अप्रैल को राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस समारोह में जिले को प्रदान किया जाएगा।
बुरहानपुर की कलेक्टर भाव्या मित्तल ने पीटीआई भाषा को बताया, ‘‘167 पंचायतों के तहत 254 गांवों में एक लाख से अधिक घरों में नल का पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। जल जीवन मिशन के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाया जा रहा है क्योंकि उन्हें नल जल योजनाओं को चलाने और अंतिम उपयोगकर्ताओं से कर एकत्र करने का काम सौंपा गया है।’
मित्तल ने कहा, ‘इन महिलाओं को इस तरह के कर संग्रह पर कमीशन के रूप में 20 प्रतिशत मिल रहा है। लगभग 1,700 महिलाएं इस योजना को चला रही हैं, जिसकी निगरानी एक व्हाट्सएप ग्रुप द्वारा की जा रही है। महिलाएं सशक्त हो रही हैं।’
दहीनाला ग्राम पंचायत सचिव डोंगर सिंह अलावे ने कहा कि 360 में से 312 घरों में नल का पानी मिल रहा है, जो एक निर्धारित समय पर शुरू होता है, झिरी गांव में एक स्वयं सहायता समूह की सुनीता यादव ने कहा कि इस योजना ने पानी की समस्या को समाप्त कर दिया है।
झिरी की महिला सरपंच आशा कैथवास ने कहा कि देश में गांवों के बड़े पैमाने पर विकास के लिए इस तरह की और योजनाएं लागू की जानी चाहिए।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 अप्रैल के कार्यक्रम के दौरान प्रशासनिक अधिकारियों को संबोधित करेंगे।
अधिकारियों ने कहा कि संयोग से, राज्य की राजधानी भोपाल से 340 किलोमीटर दूर स्थित बुरहानपुर में मुगल काल के दौरान एक व्यापक भूमिगत जल प्रबंधन प्रणाली हुआ करती थी।
बुरहानपुर की मुगल-युग की भूमिगत जल प्रबंधन प्रणाली, जिसे ‘कुंडी भंडारा’ या ‘खूनी भंडारा’ कहा जाता है, ‘कुंडियों’ का एक नेटवर्क है या एक भूमिगत सुरंग के माध्यम से जुड़ी हुई संरचनाएं है जो पानी के वितरण को सुनिश्चित करने के लिए गुरुत्वाकर्षण पर काम करती हैं।
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘ ‘इन कुंडियों के माध्यम से सुरंग में प्रवेश करने के लिए एक लोहे की सीढ़ी या रस्सी का उपयोग किया जाता है। ये संरचनाएं अब भी काम कर रही हैं और जिले के निवासियों के एक हिस्से को पानी देती हैं। ये पर्यटकों के बीच भी लोकप्रिय हैं।’
भाषा दिमो रंजन
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