मुंबई, 21 जनवरी (भाषा) मुंबई की एक अदालत ने बुल्ली बाई ऐप्प मामले में गिरफ्तार तीन विद्यार्थियों को यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया कि उन तीनों ने ‘नारीत्व को अपमानित’ करने का घोर अपराध किया है, इसलिए समाज के व्यापक हित में अभियुक्तों की निजी स्वतंत्रता में कटौती की जा सकती है।
बुल्ली बाई ऐप्प पर कई मुस्लिम महिलाओं का ब्योरा सार्वजनिक किया गया था और लोगों को उनकी ‘बोली’ लगाने के लिए आमंत्रित किया गया था।
बांद्रा मेट्रोपोलिटन कोर्ट मजिस्ट्रेट कोमलसिंह राज ने 20 जनवरी को अभियुक्तों – विशाल कुमार झा, श्वेता सिंह और मयंक रावत- को जमानत देने से इनकार कर दिया था। हालांकि, इस बाबत विस्तृत आदेश शुक्रवार को उपलब्ध कराया गया।
सिंह और रावत को जहां मुंबई पुलिस के साइबर प्रकोष्ठ ने पांच जनवरी को उत्तराखंड से गिरफ्तार किया था, वहीं झा को चार जनवरी को ही बेंगलुरु से गिरफ्तार किया गया था।
मजिस्ट्रेट ने एक आदेश में कहा, ‘‘इसमें कोई संदेह नहीं कि आरोपी कम उम्र के विद्यार्थी हैं और उन्हें जीने औ स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार उपलब्ध है, लेकिन ये अधिकार कुछ तार्किक प्रतिबंधों के तहत होते हैं। उन्हें गैर-जमानती अपराध से संबंधित साक्ष्य जुटाने के लिए गिरफ्तार किया गया है, इसलिए उनकी गिरफ्तारी किसी कानून का उल्लंघन करके नहीं की गयी है।’’
मजिस्ट्रेट ने कहा, ‘‘उन्होंने नारीत्व को बदनाम करने वाले गंभीर कृत्य किए हैं। समाज का बड़ा हित दांव पर है। इसलिए, कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता में कटौती की जा सकती है।’’
इस बीच अभियुक्त विशाल कुमार झा ने अपनी जमानत के लिए सत्र न्यायाधीश का दरवाजा खटखटाया है और उनकी याचिका की सुनवाई सोमवार को होने की संभावना है।
वकील शिवम देशमुख के जरिये दाखिल जमानत याचिका में अभियुक्त ने कहा है कि उन्हें इस मामले में ‘गलत तरीके से फंसाया गया है।’
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सुरेश अनूप
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