नयी दिल्ली, तीन मार्च (भाषा) मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना से जुड़े काम में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है और इसके तहत 27 फरवरी, 2025 तक 386 किलोमीटर तक खंभों का आधार (पियर फाउंडेशन) तैयार करने समेत 272 किमी लंबे ‘वायडक्ट’ का काम पूरा कर लिया गया है जबकि इसकी कुल लंबाई 508 किलोमीटर है।
‘नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड’ (एनएचएसआरसीएल) ने सोमवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि पटरी बिछाने का काम अभी शुरू किया जाना बाकी है।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गत शनिवार को इसकी प्रगति की समीक्षा करने के लिए अहमदाबाद का दौरा किया और निर्माण कार्य की गति पर संतोष व्यक्त किया।
एनएचएसआरसीएल के अनुसार, 386 किलोमीटर तक ‘पियर फाउंडेशन’ का काम पूरा होने के अलावा, 372 किलोमीटर की दूरी तक खंभे तैयार करने का काम पूरा हो गया है और 305 किलोमीटर पर ‘गर्डर कास्टिंग’ भी की गई है।
सिविल इंजीनियरिंग कार्य में लगे विशेषज्ञों ने बताया कि ‘पियर फाउंडेशन’ पहला चरण है जिसके तहत जमीन के नीचे एक बड़े व्यास वाले बेलनाकार स्तंभ के लिए आधार खोदा जाता है। जब इस स्तंभ को कंक्रीट और धातु का उपयोग करके जमीन के ऊपर बनाया जाता है तो इसे ‘पियर कार्य’ कहा जाता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, दो खंभों (पियर) को जोड़ने के लिए उनके ऊपर रखे गए कंक्रीट के ‘सुपरस्ट्रक्चर’ को ‘गर्डर कास्टिंग’ के रूप में जाना जाता है और जब ऐसी संरचनाओं की एक श्रृंखला तैयार हो जाती है, तो इसे ‘वायडक्ट’ कहा जाता है।
एनएचएसआरसीएल ने कहा कि 305 किलोमीटर तक गर्डर कास्टिंग का काम पूरा हो चुका है और ‘ट्रैक बेड’ (जिस पर अंततः पटरी बिछाई जाएगी) गुजरात में 112 किलोमीटर तक तैयार किया जा चुका है।
एनएचएसआरसीएल की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘गुजरात में ओवरहेड विद्युतीकरण का काम शुरू हो गया है।’’
अधिकारियों ने कहा कि हालांकि अभी पटरी बिछाने का काम शुरू नहीं हुआ है, लेकिन जल्द ही यह काम शुरू हो जाएगा क्योंकि इससे जुड़े सभी अन्य बुनियादी ढांचे का काम पूरा हो चुका है। परियोजना की कुल लंबाई 508 किलोमीटर है, जिसमें से 352 किलोमीटर गुजरात और दादर एवं नगर हवेली में है और शेष 156 किलोमीटर महाराष्ट्र में है।
इसमें कहा गया है, ‘‘जिन 12 स्टेशनों की योजना बनाई गई है उनमें मुंबई, ठाणे, विरार, बोईसर, वापी, बिलिमोरा, सूरत, भरूच, वडोदरा, आनंद, अहमदाबाद और साबरमती शामिल हैं।’’
विज्ञप्ति में बताया गया है कि, ‘‘गुजरात के आठ में से छह स्टेशनों पर ढांचागत काम पूरा हो चुका है और महाराष्ट्र में तीन ‘एलिवेटेड स्टेशनों’ पर काम शुरू हो चुका है। जहां तक 12वें स्टेशन यानी मुंबई का सवाल है, उसका ‘बेस स्लैब’ डाला जा रहा है।’’
एनएचएसआरसीएल के अनुसार, 508 किलोमीटर लंबे मार्ग पर 13 नदी पुल हैं और ये सभी तैयार हो चुके हैं।
एनएचएसआरसीएल के अधिकारियों ने कहा, ‘‘वलसाड जिले में पार, औरंगा और कोलक जैसी तीन नदियों और नवसारी जिले में पूर्णा, मिंधोला, अंबिका, वेंगानिया, कावेरी और खरेरा जैसी छह नदियों पर पुल बनकर तैयार हैं। खेड़ा जिले में मोहर, वत्रक, मेशवा जैसी अन्य तीन नदियों और वडोदरा जिले में धाधर नदी पर भी पुल रिकॉर्ड समय में बनकर तैयार हो गए हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जहां बुलेट ट्रेन सड़कों और राजमार्गों को पार करेगी वहां छह स्टील पुल और पांच ‘प्रीस्ट्रेस्ड’ कंक्रीट पुल भी बनकर तैयार हैं। इसके अलावा मार्ग के दोनों ओर 130 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक शोर पर नियंत्रण के लिए अवरोधक लगाए गए हैं।’’
अधिकारियों ने यह भी बताया कि महाराष्ट्र के पालघर जिले में मार्ग पर सात पर्वतीय सुरंगें हैं और उन सभी का निर्माण ‘न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड’ (एनएटीएम) के माध्यम से किया जा रहा है।
महाराष्ट्र में बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स और शिलफाटा के बीच 21 किलोमीटर लंबी सुरंग की प्रगति पर अद्यतन जानकारी देते हुए एनएचएसआरसीएल के अधिकारियों ने कहा कि कार्य में उल्लेखनीय प्रगति हो रही है। इस सुरंग का सात किलोमीटर हिस्सा ठाणे क्रीक में समुद्र के नीचे है।
भाषा संतोष माधव
माधव
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