नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट शुक्रवार को पेश हुआ. इसे पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शिक्षा से जुड़े बजट की भी जानकारी दी. देश में विश्वस्तरीय शिक्षा संस्थान बनाने के लिए सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 में 400 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है.
नई शिक्षा नीति के साथ हत्वपूर्ण क्षेत्रों में अनुसंधान के लिए एनआरएफ
वहीं, महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अनुसंधान के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एनआरएफ) का गठन करने की घोषणा की गई. युवाओं के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘खेलो इंडिया के तहत खिलाड़ियों के विकास के लिए राष्ट्रीय खेल शिक्षा बोर्ड का गठन किया जाएगा.’
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वित्त मंत्री ने आश्वस्त किया कि सरकार देश की उच्च शिक्षा प्रणाली को विश्व की एक बेहतरीन शिक्षा प्रणाली बनाने के लिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लेकर आएगी. नई नीति में स्कूली और उच्च शिक्षा दोनों में बड़े बदलाव का प्रस्ताव किया गया है, जिसमें अन्य बातों के अलावा बेहतर प्रशासन, अनुसंधान और नए विचार पर भी जोर दिया गया है. इसके लिए राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एनआरएफ) क गठन किये जाने की भी घोषणा की गई है.
उन्होंने कहा, ‘एनआरएफ यह तय करेगा कि देश में राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और मूल विज्ञान के विषयों पर रिसर्च इको सिस्टम के प्रयासों और खर्चों में दोहराव के बिना सशक्त बनाया जा सके.’ उन्होंने कहा कि रिसर्च के लिए सभी मंत्रालयों में उपलब्ध फंड को एनआरएफ में इकट्ठा किया जाएगा और इसके लिए अतिरिक्त फंड की पर्याप्त व्यवस्था भी की जाएगी.
‘स्टडी इन इंडिया’ शुरू करने की है तैयारी, खेलो इंडिया का होगा विस्तार
वित्त मंत्री ने ‘स्टडी इन इंडिया’ कार्यक्रम शुरू करने की घोषणा करते हुए कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य विदेशी छात्रों को भारत के उच्च शिक्षा संस्थाओं में पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना है. उन्होंने कहा कि भारतीय उच्च शिक्षा आयोग के गठन के लिए एक बिल का मसौदा आने वाले साल में पेश किया जाएगा.
वित्त मंत्री ने कहा कि खेलो इंडिया योजना का पर्याप्त वित्तीय मदद के साथ विस्तार किया जाएगा और सभी स्तर पर खेलों को लोकप्रिय बनाने के लिए इस योजना के तहत खिलाड़ियों के विकास के लिए राष्ट्रीय खेल शिक्षा बोर्ड का गठन किया जाएगा.
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टॉप 500 के हवाले से शिक्षा सुधार का दावा
सरकार की हाल की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि पांच साल पहले तक एक भी भारतीय शिक्षा संस्थान विश्व के 200 शीर्ष विश्वविद्यालयों की सूची में नहीं था. आज देश के दो भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान और बेंगलुरू के भारतीय विज्ञान संस्थान ने इसमें अपनी जगह बना ली है. उन्होंने कहा कि देश की शिक्षा संस्थाओं द्वारा गुणवत्ता में सुधार और अपनी विश्वसनीयता को बेहतर तरीके से स्थापित करने के कारण ही यह संभव हो पाया है.
ऑनलाइन ओपन पाठ्यक्रम की पहल से छात्र समुदाय के वंचित वर्ग के लिए डिजिटल डिवाइड को पाटने में काफी मदद मिलने की भी बात कही गई. उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षण गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए वैश्विक अकादमिक नेटवर्क पहल (ज्ञान) कार्यक्रम की शुरुआत की गई है. इसका मुख्य उद्देश्य विश्व स्तर पर उपलब्ध वैज्ञानिकों और अनुसंधानकर्ताओं तक पहुंच बनाना है.