नई दिल्ली: भारतीय राष्ट्र समिति (बीआरएस) की एमएलसी के. कविता ने बृहस्पतिवार को दिल्ली आबकारी नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समन पर पूछताछ के लिए नहीं पहुंचीं. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और अदालत में खुद के महिला होने की दलील देते हुए ईडी को खुद उनके घर पर पूछताछ आने की मांग की है.
बीआरएस नेता अर्जेंट सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं, यह दावा करते हुए कि उन्हें एक महिला होने के नाते ईडी के कार्यालय नहीं बुलाया जा सकता और जांच एजेंसी के प्रतनिधियों को इसके बजाय उनके पास आना चाहिए. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ईडी के समन को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर 24 मार्च को सुनवाई के लिए राजी हो गया था, लेकिन उन्हें अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था.
मामला अभी भी शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित होने के नाते कविता ईडी के समक्ष पूछताछ के तीसरे दौर के लिए पेश नहीं हुईं.
सूत्रों के मुताबिक, कविता ने जरूरी कागजात जांच एजेंसी को भेज दिए हैं जो कि उनके कानूनी प्रतिनिधि से मांगे गए थे.
ईडी ने बीआरएस एमएलसी को आज पेश होने को कहा था.
कविता से ईडी की पूछताछ को लेकर उनके दिल्ली स्थित आवास के बाहर बाहरी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है.
कोर्ट उनकी याचिका पर दिल्ली आबकारी नीति मामले में 24 मार्च को सुनवाई के लिए सहमत हो गया है.
कविता जो कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी हैं, वह यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं कि नियम के मुताबिक एक महिला होने के नाते उन्हें ईडी ऑफिस के लिए समन नहीं किया जा सकता, उनसे पूछताछ उनके घर पर की जानी चाहिए.
कविता के वकील ने कहा कि एक मिहला को पूछाताछ के लिए ईडी ने समन किया है, यह ‘पूरी तरह से कानून के खिलाफ’ है.
कविता के वकील ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष दी गई याचिका में इसका उल्लेख किया है और इस पर तत्काल सुनवाई की मांग की है. कोर्ट इसे 24 मार्च को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमत हो गया है.
अदालत ने वकील से पूछा कि मामले में किस तरह के अर्जेंसी है, तो वकील ने जवाब में कहा कि कविता को कल ईडी ऑफिस में पेश होने के लिए कहा गया है.
वकील वंदना सहगल के जरिए दायर की गई याचिका में कविता ने शीर्ष अदालत से ईडी के 7 और 11 मार्च के समन को रद्द करने का आग्रह किया है, यह कहते हुए कि उन्हें उनके आवास के बजाय एजेंसी के कार्यालय में पेश होने के लिए कहना आपराधिक न्यायशास्त्र के स्थापित सिद्धांतों के खिलाफ है, सीआरपीसी की धारा 160 के प्रावधान का उल्लंघन होने से यह कानून में पूरी तरह से टिकने के काबिल नहीं है.
उन्होंने यह भी मांग की है कि ईडी की सारी प्रक्रियाएं, जिनमें बयानों की रिकॉर्डिंग शामिल है, उचित सीसीटीवी कैमरों लगाकर, साथ-साथ उनके वकील की उपस्थिति में ऑडियो या वीडियोग्राफी की जानी चाहिए.
उन्होंने 11 मार्च 2023 के ज़ब्ती के आदेश को रद्द करने और ज़ब्ती को अमान्य घोषित करने की भी मांग की है.
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