हैदराबाद, 22 फरवरी (भाषा) तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने शनिवार को आरोप लगाया कि भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) और भाजपा राज्य में कराए गए जातिगत सर्वेक्षण के आंकड़ों में “खामी ढूंढ” रहे हैं, क्योंकि पिछड़ा वर्ग उनसे सत्ता में उनकी हिस्सेदारी के बारे में सवाल करेगा।
रेड्डी ने विपक्षी बीआरएस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा जातिगत सर्वेक्षण के आंकड़ों को “गलत” बताए जाने के मद्देनजर पिछड़ा वर्ग संघों के साथ बैठक की।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पिछले साल नवंबर-दिसंबर में कराया गया जातिगत सर्वेक्षण बहुत सावधानी से किया गया था।
रेड्डी ने आरोप लगाया कि भाजपा जातिगत सर्वेक्षण को “कमजोर” करने की कोशिश कर रही है, क्योंकि अगर कांग्रेस द्वारा किया गया सर्वेक्षण न्यायिक जांच में पास हो जाता है, तो इससे “सत्ता पर काबिज एक या दो जातियों” के हित प्रभावित होंगे।
बीआरएस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि पिछली बीआरएस सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान किए गए व्यापक परिवार सर्वेक्षण के विवरण का खुलासा नहीं किया, क्योंकि यह “त्रुटियों से भरा हुआ” था। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने सर्वेक्षण रिपोर्ट का इस्तेमाल केवल चुनावों के दौरान किया था, लोगों के लाभ के लिए नहीं।
रेड्डी ने चेतावनी देते हुए कहा, “विपक्षी दलों ने प्रक्रिया को विकृत करके पूरी व्यवस्था को बर्बाद करने की साजिश रची। पिछड़ा वर्ग बिरादरी को इसे गंभीरता से लेना चाहिए।”
उन्होंने कहा, “स्वतंत्र भारत में कभी किसी ने जातिगत जनगणना नहीं कराई। कुछ लोगों को डर है कि पिछड़े वर्गों की आबादी घोषित होने के बाद वे (पिछड़ा वर्ग) दावा ठोक देंगे।”
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जातिगत सर्वेक्षण का परिणाम 100 फीसदी सटीक है तथा उन्होंने सभी से “झूठ से गुमराह न होने” की अपील की।
मुख्यमंत्री ने पिछड़ा वर्ग के नेताओं से सर्वेक्षण पर बैठकें आयोजित करने और इसे स्वीकार करते हुए प्रस्ताव पारित करने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा, “जातिगत जनगणना सभी कमजोर वर्गों के लिए बाइबिल, भगवद गीता और कुरान है।”
भाषा प्रशांत दिलीप
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