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Saturday, 21 December, 2024
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गरीबों और दलितों को दिया गया लालच? UP के फतेहपुर में धर्मांतरण को लेकर अस्पताल, NGO और बिशप को नोटिस

ब्रॉडवेल अस्पताल को पहले भी जांच में सहयोग करने और कागजात साझा करने के लिए नोटिस दिया जा चुका है. अस्पताल प्रबंधन का दावा है कि लाभार्थियों को दी जाने वाली मदद धर्मार्थ खाते में आती है.

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में दलितों और गरीबों के कथित धर्मांतरण मामले की जांच में उस समय एक नया मोड़ आ गया, जब पुलिस ने एक ब्रिटिशकालीन मिशनरी अस्पताल, एक एनजीओ और इवेंजेलिकल चर्च ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया.

यह नोटिस 1909 से काम कर रहे ब्रॉडवेल क्रिश्चियन अस्पताल के अध्यक्ष और एक क्लर्क, एनजीओ वर्ल्ड विजन इंटरनेशनल (डब्ल्यूवीआई) के फतेहपुर कार्यालय के कर्मचारियों और इवेंजेलिकल चर्च ऑफ इंडिया, प्रयागराज के बिशप को भेजे गए हैं.

Broadwell Christian Hospital has also received notice from police | Shikha Salaria | ThePrint
ब्रॉडवेल क्रिश्चियन हॉस्पिटल को भी पुलिस का नोटिस मिला है | शिखा सलारिया | दिप्रिंट

यह दूसरा मौका है जब ब्रॉडवेल अस्पताल को नोटिस भेजा गया है क्योंकि दिसंबर में उसके अधिकारियों को सीआरपीसी की धारा 91 (दस्तावेज या अन्य चीजें पेश करने के लिए सम्मन) के तहत जांच में सहयोग करने और दस्तावेज साझा करने के लिए नोटिस भेजा गया था.

पिछले हफ्ते ही, पुलिस ने प्रयागराज में एक प्रमुख ईसाई संस्थान सैम हिगिनबॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर, टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज (एसएचयूएटीएस) के चांसलर, वाइस-चांसलर और एक प्रशासनिक अधिकारी और इलाहाबाद बाइबिल सेमिनरी के वरिष्ठ पादरी पॉल सिगामोनी के खिलाफ इसी तरह की कार्रवाई की थी. इवेंजेलिकल चर्च ऑफ इंडिया, फतेहपुर इसी सेमिनरी के तहत कार्य करता है.

गौरतलब है कि दिप्रिंट ने रिपोर्ट दी थी कि कैसे विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के कार्यकर्ताओं के फतेहपुर के हरिहरगंज इलाके में स्थित एक चर्च में घुसने के बाद मॉन्डी थर्सडे (ईस्टर के पहले वाले गुरुवार) की प्रार्थना बाधित हो गई थी. वीएचपी ने वहां जुटे लोगों पर 90 हिंदुओं के कथित धर्मांतरण में शामिल होने का आरोप लगाया.

फतेहपुर के तीन पुलिस थानों ने 2022 की शुरुआत से अब तक कम से कम सात एफआईआर दर्ज की हैं और दर्जनों गिरफ्तारियां की हैं. प्रत्येक मामले में पुलिस की कार्रवाई विहिप और बजरंग दल की इन शिकायतों के आधार पर हुई है कि कुछ ईसाई लोग या समूह प्रलोभन, झांसा देकर या फिर जबरन हिंदुओं के धर्मांतरण की कोशिश कर रहे हैं.

पिछले साल 15 अप्रैल से 20 नवंबर के बीच पुलिस ने हरिहरगंज चर्च से जुड़े 41 लोगों को गिरफ्तार किया, जो कथित तौर पर वैश्विक ईसाई चैरिटी संगठन डब्ल्यूवीआई से जुड़े हैं.

पुलिस के मुताबिक, जिन 56 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, उनमें 36 को अग्रिम जमानत मिल गई है. 15 जेल में हैं जबकि तीन फरार हैं. कई आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर बहस करने वाले वकील दिलीप चंद्र त्रिवेदी ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट में जल्द ही दो और जमानत याचिकाएं आने वाली हैं.

पुलिस का दावा है कि बकरियां, साइकिलें बांटकर प्रलोभन दिया

हरिहरगंज मामले के जांच अधिकारी कोतवाली थाने के एसएचओ अमित कुमार मिश्रा ने कहा कि ब्रॉडवेल के चेयरमैन डॉ सैमुअल मैथ्यू और क्लर्क परमिंदर सिंह को 4 जनवरी को नोटिस भेजे गए, जबकि डब्ल्यूवीआई कार्यालय और इवेंजलिकल चर्च ऑफ इंडिया की दीवारों पर रिमाइंडर नोटिस चिपकाए गए.

मैथ्यू और परमिंदर सिंह को सीआरपीसी की धारा 41 (हाजिर न होने पर किसी व्यक्ति के खिलाफ साक्ष्य हासिल करने के लिए बिना वारंट गिरफ्तारी) के तहत नोटिस जारी किया गया था.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘अस्पताल के पास मरीजों के इलाज और टीके लगाने का लाइसेंस है, बकरियां, साइकिलें और किराने का सामान बांटने का नहीं. अस्पताल के अधिकारियों ने माना कि ये सामान उन्होंने हरियापुर गांव में 16 लोगों को दिया था. हमने उनसे लिखित में सूची ली है. उनके पास हर ब्लॉक में उनके मिशन पर काम करने वाले लोग हैं, और उनमें से ज्यादातर दलित और गरीब हैं.’

दिप्रिंट को हासिल हुई सूची में फतेहपुर के असलपुर, हरियापुर, मणिपुर, धुंधेरा, जिंदापुर, दुदुआ कॉलोनी, संगांव और ब्राह्मण तारा सहित विभिन्न गांवों के 16 लोगों के नामों का उल्लेख है. नौ लोगों को पेटी-शॉप का सामान दिया गया, दो लोगो को एक-एक बकरी मिली और एक को मोबाइल एसेसरी दी गई थी. चार लोगों को मोबाइल रिपेयर टूल, ‘रिपेयरिंग टूल’, एक ठेला और एक कियोस्क मिला.

मिश्रा ने कहा कि डब्ल्यूवीआई पहले से ही ‘संदिग्ध’ था क्योंकि नोटिस के बावजूद अब तक इसके प्रबंधन की तरफ से कोई भी पुलिस के सामने पेश नहीं हुआ है.

उन्होंने दावा किया, ‘फतेहपुर कार्यालय का प्रबंधक फरार है. 31 गांवों में कई लोगों के धर्मांतरण के पीछे उनका ही हाथ है. फतेहपुर कार्यालय में सात लोग हैं, और उन्हें फिर से नोटिस जारी किया गया है.’ साथ ही जोड़ा कि अगर वे फरार रहते हैं तो उनके नाम प्राथमिकी में जोड़े जाएंगे.

लेकिन ब्रॉडवेल प्रबंधन का कहना है कि लाभार्थियों को दी जाने वाली मदद धर्मार्थ कार्य के तहत उसके ‘आय सृजन कार्यक्रम’ का हिस्सा है.

डॉ. मैथ्यू ने दिप्रिंट को फोन पर बताया कि ग्रामीणों को सामान वितरण स्थानीय एसडीएम और ग्राम प्रधान की जानकारी में चलाई जाने वाली सामुदायिक आय सृजन योजना का एक हिस्सा था.

उन्होंने बताया, ‘वे (पुलिस) इसे धर्मांतरण के लिए लालच देने से जोड़कर देख रहे हैं, जो पूरी तरह से गलत है. कार्यक्रम के तहत गरीब ग्रामीणों को आजीविका कमाने के लिए बकरियों का एक जोड़ा दिया जाता है. साइकिलें दी जाती हैं और छोटी-मोटी दुकानें खोलने में सहायता दी जाती है.

यह कहते हुए कि वह देहरादून में हैं और वहां आने में असमर्थ हैं, डॉ मैथ्यू ने दावा किया कि पुलिस को इसके बारे में सूचित किया जा चुका है. उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस बिना सर्च वारंट के अस्पताल पहुंची और कंप्यूटर की हार्ड डिस्क ले गई.

अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. ए. जेसुडोस ने दिप्रिंट को यह भी बताया कि मदद डेढ़ साल पहले की गई थी, जिसके लिए अस्पताल प्रबंधन को हरियापुर ग्राम प्रधान से सराहना का प्रमाणपत्र भी मिला था.


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डब्ल्यूवीआई, पादरी को नोटिस

फतेहपुर पुलिस ने डब्ल्यूवीआई के फतेहपुर कार्यालय की दीवार पर रिमाइंडर नोटिस भी चस्पा किया है.

The Fatehpur office of World Vision International | Special Arrangement
वर्ल्ड विजन इंटरनेशनल का फतेहपुर कार्यालय | विशेष प्रबंधन

मिश्रा ने दिप्रिंट को बताया, ‘इससे जुड़े सात लोग फरार हैं और नोटिस जारी किए जाने के बावजूद सामने नहीं आ रहे हैं. वे फतेहपुर के कम से कम 31 गांवों में धर्मांतरण के मामले में पहले से ही संदिग्ध हैं. अधिकांश धर्मांतरित लोग दलित और गरीब हैं.’

फतेहपुर स्थित इवेंजेलिकल चर्च ऑफ इंडिया को नोटिस जारी करके समाज, सदस्यता, और अन्य ब्योरा मांगे जाने के कुछ ही दिनों बाद चर्च की दीवार पर भी इसी तरह के नोटिस चिपकाए गए थे.

चर्च के लीगल ऑफिसर एडविन जॉन वेस्ले ने कहा कि चर्च के बिशप पॉल सिगामोनी को सीआरपीसी 41 की धारा के तहत एक नोटिस मिला, जिसके कुछ दिनों बाद एक नोटिस जारी कर 25 साल पुराने चर्च का विवरण मांगा गया था.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘समाज, स्थानीय चर्च के बैंक खाते और सदस्यता का विवरण मांगने के लिए पहले एक नोटिस जारी किया गया था. हमने यह कहते हुए जवाब दिया था कि हमारे पास सदस्यता ब्योरा नहीं है क्योंकि चर्च सभी के लिए खुला है. इलाहाबाद सूबे के बिशप रेव पॉल सिगामोनी को सीआरपीसी की धारा 41 के तहत नोटिस मिला है, जिसमें पुलिस के सामने अपना बयान देने के लिए पेश होने को कहा गया है.’

उन्होंने कहा, ‘पुलिस को सूचित कर दिया गया था कि वह शहर से बाहर है क्योंकि उनके भाई की मृत्यु हो गई है और वह उनके अंतिम संस्कार में व्यस्त है. इसके बाद वह जांच में शामिल होंगे. हम सहयोग कर रहे हैं….एफआईआर में नामजद लोगों को गलत तरीके से फंसाया गया है.’

लीगल ऑफिसर ने कहा कि प्राथमिकी विहिप के एक नेता की तरफ से दर्ज कराई गई थी, जबकि उत्तर प्रदेश के धर्मांतरण विरोधी कानून में साफ कहा गया है कि किसी भी पीड़ित व्यक्ति, उसके भाई-बंधुओं या सगे रिश्तेदारों, अथवा विवाह या गोद लेने से संबंधित किसी अन्य व्यक्ति को ही शिकायत दर्ज कराने का अधिकार है.

‘येशु दरबार ट्रस्ट की फंडिंग की जांच हो रही’

एसएचयूएटीएस के तीन अधिकारियों को पिछले हफ्ते पुलिस के सामने पेश होने के लिए नोटिस जारी किया था, लेकिन चांसलर जेट्टी ए. ओलिवर और वाइस-चांसलर बिशप राजेंद्र बी. लाल ने अभी तक ऐसा नहीं किया है. प्रशासनिक अधिकारी विनोद बी. लाल ने 29 दिसंबर को अपना बयान दर्ज कराया था.

मिश्रा ने बताया, ‘ओलिवर ने हमें सूचित किया है कि वह बीमार है और बाद में एक बयान देंगे. वहीं लाल अभी तक सामने नहीं आए हैं. हमने पाया है कि लाल की तरफ से चलाए जा रहे येशु दरबार ट्रस्ट के एक बैंक खाते को गृह मंत्रालय ने 2016-17 में बंद कर दिया था. हम इस बात की जांच कर रहे हैं कि उन्होंने इस खाते में आए पैसों का क्या किया. वे (ओलिवर और लाल) येशु दरबार समेत कई संगठनों के साथ जुड़े हैं.’ साथ ही कहा कि ट्रस्ट फतेहपुर के देवीगंज स्थित एक चर्च से सीधे जुड़ा है.

दिप्रिंट ने ताजा घटनाक्रम के संबंध में ओलिवर और लाल को एक ईमेल भेजा, लेकिन रिपोर्ट प्रकाशित किए जाने तक उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया था. उनका बयान आने पर इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.

(अनुवाद: रावी द्विवेदी | संपादन : ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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