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Wednesday, 18 December, 2024
होमदेशरिश्वतखोरी के आरोपी IAS विजय दहिया की करनाल आयुक्त पद पर तैनाती के 5 दिन बाद पुरालेख विभाग में तबादला

रिश्वतखोरी के आरोपी IAS विजय दहिया की करनाल आयुक्त पद पर तैनाती के 5 दिन बाद पुरालेख विभाग में तबादला

दहिया अब हरियाणा सरकार के पुरालेख विभाग में आयुक्त एवं सचिव होंगे, 28 नवंबर को ज़मानत मिलने के बाद उन्हें बहाल कर दिया गया.

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गुरुग्राम: रिश्वतखोरी के एक कथित मामले में ज़मानत पर बाहर चल रहे हरियाणा के आईएएस अधिकारी विजय सिंह दहिया की करनाल डिवीजन के आयुक्त के पद पर तैनात किए जाने के पांच दिन बाद उनका तबादला कर दिया गया. वे अब हरियाणा सरकार के पुरालेख विभाग में आयुक्त एवं सचिव के रूप में कार्य करेंगे.

लगभग 50 दिन जेल में बिताने के बाद 28 नवंबर 2023 को दहिया को ज़मानत मिल गई और बाद में उन्हें फिर से नौकरी पर बहाल कर दिया गया.

बहाली के तुरंत बाद उन्हें करनाल डिवीजन का आयुक्त बनाए जाने पर, जिसमें वह जिला भी शामिल है जहां मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का विधानसभा क्षेत्र स्थित है, से तनाव बढ़ गया.

हरियाणा सरकार द्वारा शनिवार को जारी स्थानांतरण आदेशों के अनुसार, 2001 बैच के आईएएस अधिकारी दहिया, वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका (1991 बैच) को पुरालेख विभाग में आयुक्त और सचिव के प्रभार से मुक्त करेंगे. आईएएस खेमका विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव हैं.

इस बीच, अंबाला मंडल की आयुक्त रेनू फुलिया को करनाल मंडल का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है.

टिप्पणी के लिए दिप्रिंट द्वारा संपर्क किए जाने पर हरियाणा सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दहिया के स्थानांतरण को “नियमित स्थानांतरण” बताया.

दहिया को हरियाणा भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने पिछले साल अक्टूबर में अप्रैल में दर्ज रिश्वतखोरी के एक कथित मामले में गिरफ्तार किया था. वह उस समय राज्य युवा सशक्तिकरण और उद्यमिता विभाग के आयुक्त और सचिव थे.

एसीबी के अनुसार, हरियाणा कौशल विकास मिशन के तहत एक स्किल सेंटर को 50 लाख रुपये के भुगतान को मंजूरी देने के लिए कथित तौर पर 5 लाख रुपये की रिश्वत मांगने के आरोप में उन पर जांच चल रही है, जिसकी देखरेख उनके विभाग द्वारा की जाती थी.

दहिया से टिप्पणी लेने की कोशिश की गई थी, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया. अपनी ज़मानत याचिका में आईएएस अधिकारी ने कहा था कि उनका नाम अवैध रूप से आरोपी के रूप में शामिल किया गया था, जबकि रिश्वत मांगने या स्वीकार करने के कोई सबूत नहीं थे.

उन्होंने कहा कि एफआईआर दर्ज करने से पहले तथ्यों का पता लगाने के लिए कोई प्रारंभिक जांच नहीं की गई थी.


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‘चौंका देने वाला’

राज्य की राजनीति पर लिखी किताब “गुस्ताखी माफ, हरियाणा” के लेखक और हरियाणा स्थित राजनीतिक विश्लेषक पवन कुमार बंसल ने कहा करनाल डिवीजन कमिश्नर के रूप में दहिया की पोस्टिंग को “चौंकाने वाली” बताया.

उन्होंने कहा, “जब विजय सिंह दहिया कौशल विकास विभाग, हरियाणा के आयुक्त और सचिव थे, तब उन्हें एक फर्म के बिलों को मंजूरी देने के लिए रिश्वत लेने के आरोप में भ्रष्टाचार निवारण (पीसी) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था.”

उन्होंने कहा, “पीसी अधिनियम की धारा 17-ए के तहत, किसी लोक सेवक पर मुकदमा चलाने के लिए सरकार की मंजूरी ज़रूरी है. ऐसी मंजूरी देने की शक्ति संभागीय आयुक्त को सौंपी गई है. यह वास्तव में चौंकाने वाला था कि हरियाणा सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे एक व्यक्ति को ऐसे पद पर तैनात किया जहां वे समान आरोपों के लिए गिरफ्तार अन्य लोगों के भाग्य का फैसला कर सकते हैं.”

बंसल ने यह भी कहा कि दहिया की दूसरी पोस्टिंग का आदेश “इतनी जल्दी में जारी किया गया है” कि राज्य सरकार ने विशेष रूप से जो इस काम को कर सकता हो, उसकी तलाश करने की बजाए रेनू फुलिया को करनाल का प्रभार सौंप दिया, जो पहले से ही अंबाला डिवीजन की कमिश्नर हैं.

बंसल ने कहा, “एक डिवीजन का आयुक्त एक बहुत ही जिम्मेदार पद है और अधिकारी को 4 से 5 जिलों की देखभाल करनी होती है. फिर भी, सरकार ने करनाल डिवीजन का प्रभार अंबाला डिवीजन के आयुक्त को दे दिया है क्योंकि सरकार ने यह महसूस करने के बाद जल्दबाजी में काम किया कि दहिया को डिवीजनल कमिश्नर के रूप में तैनात करना और वह भी खट्टर के निर्वाचन क्षेत्र में, एक बड़ी गलती थी.”

राजनीतिक विश्लेषक हेमंत अत्री ने कहा कि 10 दिन पहले बहाल किए गए व्यक्ति को मुख्यमंत्री के जिले वाले मंडल में तैनात करना या तो अज्ञानता का कार्य है या अति आत्मविश्वास का.

अत्री ने कहा, “हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर हमेशा दावा करते हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी जीरो टॉलरेंस नीति है, लेकिन दहिया की खट्टर के अपने निर्वाचन क्षेत्र में पोस्टिंग बिल्कुल विपरीत अर्थ निकाल रही थी.”

(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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