ओटिंग, मोन, नागालैंड: अपने परिवारों के इकलौते कमाने वाले सदस्य, एक नवविवाहित और एक बेटा ‘जो बैसाखी जैसा था’— ये कुछ ऐसे साधारण नगा ग्रामीण थे जो नागालैंड के मोन जिले में सेना के एक अभियान और उसके बाद भड़की हिंसा के शिकार बने.
सेना के विशेष बलों और असम राइफल्स की तरफ से शनिवार शाम चलाया गया एक आतंकवाद विरोधी अभियान असफल रहने के दौरान छह नागरिक मारे गए. सुरक्षा बलों ने उन खनिकों को ले जा रहे एक पिकअप ट्रक को घेरकर उस पर गोलीबारी कर दी, जो एक कोयला खदान में काम करने के बाद शाम करीब 4.30 बजे लौट रहे थे.
ओटिंग गांव के सैकड़ों लोग साल में छह महीने कोयला खदानों में काम करते हैं, जिनसे उन्हें 300 रुपये से 500 रुपये तक दिहाड़ी मिलती है.
इस कार्रवाई से गुस्साए ग्रामीणों ने सुरक्षा बलों पर हमला बोल दिया, जिसके बाद सैन्य बलों की तरफ से की गई ‘जवाबी गोलीबारी’ में सात और नागरिक मारे गए. हालांकि, जैसा कि दिप्रिंट ने पहले खबर दी थी, ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें हमला करने के लिए उकसाया गया जब वे सुरक्षाबलों द्वारा मारे गए लोगों के शवों को हटा रहे थे.
दिप्रिंट ने मारे गए सभी 13 कोयला खनिकों में से 10 लोगों के परिवारों से मुलाकात की.
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थकवांग कोन्याक, 27 वर्ष
27 वर्षीय थकवांग कोन्याक और उसका 24 वर्षीय भाई शीवांग उस समय पिकअप ट्रक में ही थे, जब सुरक्षाबलों ने उसे घेरकर हमला बोला. इस हमले में थकवांग की जान चली गई, जबकि शीवांग घायल है और उसे डिब्रूगढ़ के असम मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एएमसीएच) में भर्ती कराया गया है.
उनके 56 वर्षीय पिता वांघन कोन्याक ने कहा, ‘हमें घटना के बारे में कुछ घंटों बाद रात करीब 8 बजे पता चला. हमने उनके लिए रात का खाना बनाकर रखा था.’
परिवार की आर्थिक स्थिति के कारण दोनों भाइयों ने स्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी.
वांघन ने बताया, ‘थकवांग तीन साल से खदान में काम कर रहा था. दोनों भाई ही परिवार का खर्च चलाते थे. वह बहुत ही अच्छा लड़का था और पूरी लगन से अपना काम करता था. वह गांव में घर बनवाना चाहता था.’
खवांग कोन्याक, 28 वर्ष
लेमेई कोन्याक ने बताया कि उसकी अपने 28 वर्षीय पति खवांग कोन्याक से आखिरी बार गुरुवार को बात हुई थी.
लेमेई ने बताया, ‘उसने मुझसे कहा था कि उसे क्रिसमस पर काफी पैसा मिल जाएगा यदि वो उस कोयले को बेच सके जो उसने इकट्ठा किया था.’
तभी शनिवार रात को उसे हमले के बारे में पता चला.
बांस की झोपड़ी में चार महीने के बच्चे को सीने से लिपटाए बैठी 20 वर्षीय लेमेई ने बताया, ‘उसे खदान में काम करते तीन-चार दिन हो चुके थे. वह अपना कुछ व्यवसाय शुरू करने की तैयारी कर रहा था और परिवार के लिए एक छोटा-सा घर बनाना चाहता था. अब तो बच्चे की देखभाल करने वाला भी कोई नहीं है.’
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शोमवांग कोन्याक, 33 वर्ष
53 वर्षीय चेमवांग कोन्याक कैंसर के मरीज हैं. उन्होंने दिप्रिंट से कहा कि उनके लिए उनका बेटा शोमवांग कोन्याक ही ‘बैसाखी’ था.
उन्होंने बताया, ‘मैं बीमार और लकवे का शिकार हूं. मैं कैंसर पीड़ित हूं और हर चीज के लिए अपने बेटे पर ही निर्भर था. मैं तो बिना सहारे चल भी नहीं सकता.
स्थानीय चर्च का एक युवा नेता शोमवांग 2018 से ही खदान में काम कर रहा था. वह अक्सर अपने पिकअप ट्रक से खनिकों को साइट पर लाता और ले जाता था.
यह उसका ही ट्रक था जिसे घेरकर सैन्य बलों ने हमला किया गया था.
चेमवांग ने कहा, ‘मैं उन सभी के खिलाफ मामला दर्ज करना चाहता हूं जो इसमें शामिल हैं. मैं यही चाहता हूं काश जो लोग मारे गए वो वापस आ जाएं.’
लैंगवांग और थापवांग कोन्याक, दोनों की उम्र 25 वर्ष
अवान कोन्याक आखिरी बार अपने 25 वर्षीय जुड़वां बच्चों लैंगवांग और थापवांग से तब मिली थी, जब वे घटना से एक हफ्ते पहले गांव में एक विवाह समारोह में शामिल होने आए थे.
29 नवंबर को जब वे दोनों खदानों में काम करने के लिए रवाना हो रहे थे तो अवान ने अपने बेटों से कहा था कि वे ‘जहां भी रहे, सुरक्षित ढंग से रहें.’
अवान ने बताया, ‘जुड़वां बेटे जिम्मेदार थे. वे दिहाड़ी मजदूर थे लेकिन साल में एक बार खदानों में काम करते थे. वह बहुत ही कड़ी मेहनत करते थे.’ 66 वर्षीय मां को शनिवार रात अपने बेटों से मिलने का इंतजार था.
उन्होंने कहा कि परिवार जुड़वा भाइयों की कमाई पर ही निर्भर था. अब, परिवार का ‘कोई सहारा नहीं बचा’ है.
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यिनजोंग कोन्याक, 23 वर्ष
शनिवार को अपने प्रियजनों को गंवा देने वाले कई करीबी रिश्तेदारों की तरह थाईवांग कोन्याक ने भी कहा कि उनके भाई यिनजोंग की हमले में मौत हो जाने से परिवार की समस्याएं और बढ़ जाएंगी.
उन्होंने बताया, ‘हमारे पिता का 2005 में निधन हो गया था और अपने बड़े होने के दौरान हमने बहुत संघर्ष किया. हम दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करते हैं ताकि गुजर-बसर कर सकें. अब जब उन्होंने मेरे भाई को मार डाला है, तो हमारी सारी उम्मीदें ही टूट गई हैं.’
होकुप कोन्याक, 38 वर्ष
घटना से नौ दिन पहले ओटिंग में माहौल एकदम हंसी-खुशी से भरा था क्योंकि हर कोई होकुप कोन्याक की शादी का जश्न मनाने के लिए जुटा था.
होकुप की मां नेइगम ने बताया कि उसका बेटा शादी से कुछ दिन पहले ही गांव लौटा था. उन्होंने कहा, ‘मैं बहुत खुश थी कि वह एक चर्च लीडर से शादी कर रहा था.’
होकुप की पत्नी मोंगलोंग ने अपने प्रेम के किस्से सुनाए. पास के ही गांव वाक्शिंग की रहने वाली यह 35 वर्षीय युवती 2014 में चर्च में काम करने आई थी.
उनका प्रेम संबंध एक साल बाद शुरू हुआ था. मोंगलोंग ने बताया, ‘मुझे उनकी सादगी बहुत पसंद थी. वह एक बहुत अच्छा इंसान था जो चर्च के काम में मदद करता था और तमाम जिम्मेदारियां संभालता था.’
हालांकि, मोंगलोंग को अपने माता-पिता को दूसरे गांव के किसी व्यक्ति से शादी करने की अनुमति देने पर राजी करने में काफी समय लगा. होकुप और मोंगलोंग की आखिरकार 25 नवंबर को शादी हो गई थी. और कुछ दिन बाद ही मोंगलोंग पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा.
मोंगलोंग ने बताया, ‘मैंने फायरिंग की खबर सुनकर रात में उसे फोन करने की कोशिश की लेकिन उसने फोन नहीं उठाया. आखिरकार उससे जब मेरी बात हुई तो उसने बताया कि वह घायल हो गया है. उसने कहा कि उसमें आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं है और मुझसे बाद में बात करेगा.’
आखिरी बार उसकी अपने पति के साथ यही बात हुई थी.
मोंगलोंग ने कहा, ‘हमने एक प्लॉट, एक इमारत खरीदने का सपना देखा था. हमने अपनी शादी का खर्चा खुद उठाया था और साथ में काम करने और परिवार बढ़ाने की तैयारी कर रखी थी. मुझे नहीं पता कि मैं क्या करूंगी. मैं केवल उसे वापस पाना चाहती हूं.’
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नगामफो कोन्याक, 32 वर्ष
48 वर्षीय शोंगमोई कोन्याक ने अपने बेटे नगामफो के बारे में कहा, ‘वह एक बहुत ही सरल, समय का पाबंद इंसान था और खदान में काम करके अपने छोटे भाई-बहनों की पढ़ाई का खर्च उठा रहा था.’
32 वर्षीय नगामफो स्कूल की फीस भरने में परिवार की असमर्थता के कारण छोटी उम्र में ही पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर हो गया था.
नगामफो आठ भाई-बहनों में एक था और परिवार में कमाने वाला इकलौता सदस्य था.
उनके पिता पेनफो ने बताया कि परिवार ने आखिरी बार शनिवार रात नगामफो से बात की थी- जैसे ही हमले की घटना की खबर फैली पूरे क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई थी.
पेनफो ने कहा, ‘उसे हमने कहा था कि अगर हम लोग काम करने के लिए बाहर हों तो कहीं भी किसी तरह की अशांति वाली घटनाओं से दूर रहें. हम अब सिर्फ शोक ही मना सकते हैं.
लैंगटुन कोन्याक, 36
36 वर्षीय लैंगटुन कोन्याक भी उन लोगों में शामिल थे, जो सैन्य बलों के हमले में मारे गए. उनके भाई तेनवांग ने उन्हें एक ‘सीधा-सादा इंसान’ बताया जिन्होंने कक्षा 6 तक पढ़ाई की थी.
तेनवांग ने कहा, ‘वह दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते थे और 5,000 से 6,000 रुपये प्रति माह कमाते थे और चर्च के एक युवा सदस्य थे.’ उन्होंने बताया कि लैंगटुन की पिछले साल ही शादी हुई थी और उसकी दो महीने की बेटी है. ‘अब, उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है.’
मनपेह कोन्याक, 26 वर्ष
26 वर्षीय मनपेह कोन्याक को उम्मीद थी कि वह खनिक के तौर पर काम करके पर्याप्त पैसा बचा लेगा और फिर अपना कुछ काम शुरू करेगा.
उसकी मां अवत ने कहा, ‘उसने इस साल ही खदान में काम करना शुरू किया था. आर्थिक तंगी के कारण वह कक्षा चार तक ही पढ़ सका था. वह परिवार में इकलौता लड़का था.’
उसके पिता वांग्यात ने कहा, ‘हम बहुत परेशान हैं. हम चाहते हैं कि घटना में शामिल सभी लोगों की पहचान हो और उनके खिलाफ उपयुक्त कार्रवाई की जाए.’
शनिवार की घटना में मारे गए तीन अन्य नागरिकों में ओटिंग के ही 39 वर्षीय फोकम कोन्याक, पास के गांव जकफांग गांव निवासी पोंगची कोन्याक और तिरु में रहने वाले दीपोल कोन्याक शामिल थे.
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