नयी दिल्ली, नौ अप्रैल (भाषा) नायब सूबेदार चुन्नी लाल के जीवन और विरासत पर एक नयी किताब भारतीय सेना के इतिहास में सबसे जांबाज सैनिकों में से एक की प्रेरक कहानी प्रस्तुत करती है।
लाल के कमांडिंग ऑफिसर रहे लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ (सेवानिवृत्त) की किताब ‘ब्रेवेस्ट ऑफ द ब्रेव’ को हार्पर कॉलिन्स इंडिया द्वारा प्रकाशित किया गया है।
दक्षिण कश्मीर के भद्रवाह के भारा गांव के निवासी लाल एकमात्र सैनिक हैं जिन्हें सेना मेडल, वीर चक्र और अशोक चक्र (मरणोपरांत) मिला। वह जम्मू-कश्मीर लाइट इन्फैंट्री की 8वीं बटालियन में थे।
वर्ष 2018 में ‘चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ’ के पद से सेवानिवृत्त हुए लेखक दुआ ने लाल का वर्णन करते हुए कहा, ‘‘भारतीय सेना के सभी जवान बहादुर हैं, लेकिन चुन्नी लाल सबसे बहादुर थे…एक मामूली किसान का यह विनम्र बेटा बहादुर सैनिकों में सबसे बहादुर, महान व्यक्ति, कर्तव्यपरायण पुत्र, प्यार करने वाला पति, स्नेही पिता और भारत माता का समर्पित पुत्र बना। मुझे लगता है कि उनकी कहानी युवाओं और सैनिकों की भावी पीढ़ियों को अपनी मातृभूमि की सेवा करने के लिए प्रेरित करेगी।’’
लाल 19 साल की उम्र में 1987 में सियाचिन ग्लेशियर पर हमले के दौरान एक नायक के रूप में उभरे। वह दुश्मन के ठिकाने पर पहुंचने वाले पहले जवान थे, जिसके लिए उन्हें सेना पदक (वीरता) मिला। एक दशक बाद, जब दुआ ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर उनके कमांडिंग ऑफिसर के रूप में काम किया, तो लाल हवलदार बन गए और अपने साथियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बने। आतंकवाद रोधी अभियानों के लिए उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया।
फिर, 24 जून 2007 को, जब लाल उत्तर कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ रोधी अभियान के दौरान तैनात थे, तो कुपवाड़ा सेक्टर में घुसपैठियों से लड़ते हुए शहीद हो गए।
प्रकाशक के अनुसार, भारत का सैन्य इतिहास व्यक्तिगत साहस की उल्लेखनीय कहानियों से भरा पड़ा है, जिसमें ऐसे सैनिक शामिल हैं जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया। लाल की कहानी इन असाधारण कहानियों में से एक है।
‘हार्पर कॉलिन्स इंडिया’ के कार्यकारी प्रकाशक उदयन मित्रा ने एक बयान में कहा, ‘‘हार्पर कॉलिन्स में हम चुन्नी लाल के जीवन की दिलचस्प कहानी को पाठकों तक पहुंचाने में सक्षम होने पर गर्व महसूस करते हैं, जिसे उनके कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ ने बताया है- इस उम्मीद के साथ कि कई लोग इस पुस्तक से प्रेरणा पाएंगे।’’
भाषा आशीष नेत्रपाल
नेत्रपाल
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.