पटना, 22 दिसंबर (भाषा) बिहार में यह बात सामने आने के बाद विवाद खड़ा हो गया है कि राज्य भर में पंचायत पुस्तकालयों के लिए कथित तौर पर अनुशंसित 20 से अधिक किताबें उस नौकरशाह के पिता द्वारा लिखी गई थीं जो उस समय विभाग के प्रमुख थे।
इस बीच, पंचायती राज मंत्री केदार प्रसाद गुप्ता ने कहा कि वह इस मामले को देखेंगे और कार्रवाई तभी की जाएगी जब कोई अनियमितता पाई जाएगी।
जब 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के तहत पंचायत पुस्तकालयों के लिए लगभग 1,600 पुस्तकों की सूची को मंजूरी दी गई थी तब आईएएस अधिकारी मिहिर कुमार सिंह पंचायती राज विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव थे।
सिंह ने विवाद उठने पर नाराजगी जताई।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से रविवार को कहा, ‘‘पुस्तकों की पूरी सूची को इस उद्देश्य के लिए गठित समिति द्वारा अनुमोदित किया गया था। लेकिन मेरे पिता जगदीश प्रसाद सिंह को लेकर विवाद खड़ा किया जा रहा है, जिनके नाम 40 से अधिक उपाधियां हैं और उन्हें 2013 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।’’
मीडिया के एक तबके की खबरों के अनुसार, जब सिंह विभाग के प्रमुख थे तब उन्होंने कथित तौर पर राज्य भर के पंचायत पुस्तकालयों के लिए अपने पिता द्वारा लिखी गई 20 से अधिक पुस्तकों की सिफारिश की थी।
वह वर्तमान में सड़क निर्माण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के रूप में तैनात हैं।
गया कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर के पद से सेवानिवृत्त हुए जगदीश प्रसाद सिंह का इस साल की शुरुआत में निधन हो गया था।
अधिकारियों के अनुसार, समिति ने उस सूची को मंजूरी दे दी थी जिसमें राज्य भर में 8,053 पंचायतों में पुस्तकालयों के लिए कुल 303 पुस्तकों की सिफारिश की गई थी और संबंधित विभाग किताबें खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर चुका है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा, ‘‘किताबों का चयन विभिन्न हितधारक विभागों के अधिकारियों और शिक्षाविदों की एक समिति द्वारा किया गया था। उनकी सिफारिशों को पंचायती राज विभाग ने स्वीकार कर लिया था। सूची में तीन श्रेणियां शामिल थीं – साहित्य, सामान्य ज्ञान, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान की किताबें।’’
उन्होंने कहा, ‘‘बाकी सूची पर कोई विवाद नहीं है। लेकिन डॉ. जेपी सिंह की किताबों को शामिल करने पर ही विवाद खड़ा किया जा रहा है।’’
घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए पंचायती राज मंत्री केदार प्रसाद गुप्ता ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मुझे विवाद के बारे में कोई विस्तृत जानकारी नहीं है। मैंने एक साल से भी कम समय पहले कार्यभार संभाला है। मुझे इसके बारे में पता चला है… मैं इस मामले को देखूंगा और यदि कोई अनियमितता पाई जाती है तो ही कार्रवाई की जाएगी। यदि उनके पिता एक साहित्यकार थे तो उनके द्वारा लिखी गई पुस्तकों को निश्चित रूप से पंचायत पुस्तकालयों में अनुमति दी जाएगी। मैंने अब तक समिति द्वारा अनुशंसित पुस्तकों की खरीद बंद करने का कोई आदेश जारी नहीं किया है।’’
इसी तरह का विचार व्यक्त करते हुए पंचायती राज विभाग के सचिव दिवेश सेहरा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘इस मुद्दे पर कोई विवाद नहीं है। जेपी सिंह एक प्रसिद्ध लेखक थे और उनके द्वारा लिखी गई पुस्तकों को पंचायत पुस्तकालयों में अनुमति दी जानी चाहिए।’’
भाषा नेत्रपाल संतोष
संतोष
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