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Thursday, 25 April, 2024
होमदेशपूर्व पुलिस, बुकी, 93 सिम, 14 फोन, 3 दिन, व्हाट्सएप- कैसे बनी थी मनसुख हिरेन की 'हत्या की योजना'

पूर्व पुलिस, बुकी, 93 सिम, 14 फोन, 3 दिन, व्हाट्सएप- कैसे बनी थी मनसुख हिरेन की ‘हत्या की योजना’

जांचकर्त्ता अभी उस घटनाक्रम के तार जोड़ने में लगे हैं, कि 4 मार्च की रात को क्या हुआ था, जब मुकेश अंबानी के घर के पास से मिली, विस्फोटों से भरी SUV के मालिक, मंसुख हिरेन ग़ायब हो गए.

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नई दिल्ली: पूर्व मुम्बई पुलिस सिपाही विनायक शिंदे और बुकी नरेश गोर जो कारोबारी मनसुख हिरेन की हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए थे, जुर्म को अंजाम देने के लिए, 3 मार्च से 5 मार्च के बीच 93 सिम कार्ड्स, और 14 मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया था. ये बात आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) ने दिप्रिंट को बताई है.

सूत्रों ने बताया कि ये लोग, अपने साथियोंं के साथ को-ऑर्डिनेट करते वक्त अधिकारियों की नज़र से बचने के लिए अलग अलग मोबाइल फोन्स में, कई व्हाट्सएप अकाउंट्स का इस्तेमाल करते थे- मैसेज भेजने के लिए फोन का सिर्फ एक बार इस्तेमाल करते थे.

गोर एक क्रिकेट बुकी है, जबकि शिंदे एक सिपाही है, जिसे 2006 के एक केस में, गैंग्सटर छोटा राजन के सहायक, लखन भैया के साथ मुठभेड़ में सहायता करने का दोषी क़रार दिया गया था. मुम्बई पुलिस का कहना है कि शिंदे लगातार असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर सचिन वाज़े के संपर्क में था, ‘उसकी सभी ग़ैर-क़ानूनी करतूतों में वाज़े की मदद करता था’.

सूत्रों ने कहा कि हिरेन की हत्या के तार उस एसयूवी से जुड़े हैं, जो 25 फरवरी को उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर एंटिलिया के बाहर मिली थी, और जिसमें जिलेटिन की छड़ें भरी हुईं थीं. 5 मार्च को मृत पाए जाने वाले हिरेन की पहचान, एसयूवी गाड़ी स्कॉर्पियो मालिक के तौर पर की गई. उनकी पत्नी ने कहा कि उन्हें ‘पूरा शक’ है, कि उनके पति की हत्या के पीछे वाज़े का हाथ था.

13 मार्च को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने, वाज़े को अंबानी-एसयूवी मामले में गिरफ्तार कर लिया, और वो इन दिनों एजेंसी की हिरासत में है.

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‘पुलिस अधिकारियों ने दिया हत्या की योजना को अंजाम’

हिरेन 4 मार्च को अपने घर से ये कहकर निकले थे, कि उन्हें तावड़े नाम के क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी ने, स्कॉर्पियो के बारे में पूछताछ के सिलसिले में बुलाया था.

सूत्रों के मुताबिक़, मुम्बई पुलिस की अपराध शाखा में, तावड़े नाम का कोई अधिकारी नहीं है, और ये शिंदे ही था जिसने ‘जाल में फंसाने के लिए’, उसे एक फोन से कॉल किया था. सूत्रों ने बताया कि फोन्स और सिम कार्ड्स, एक ‘बुकी चैनल’ के ज़रिए ख़रीदे गए थे.

सूत्र ने कहा, ‘इस पूरी योजना को बनाने, और उसे अमलीजामा पहननाने का काम, कुछ चुनिंदा पुलिस अधिकारियों ने दिया. ये वो लोग हैं जिनका वास्ता कुख्यात अराधियों से रहा है, और ये सब मिलाकर 200 से अधिक एनकाउंटर्स कर चुके हैं, और शिंदे इन्हीं में से एक है. उसने इस काम को वाज़े और उसकी टीम के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर अंजाम दिया है.’

सूत्र ने ये भी कहा, ‘फोन्स का बंदोबस्त किया गया, और हिरेन को फोन करके, एक ख़ास जगह पर आने के लिए कहा गया. उसके बाद सब सहयोगियों ने आपस में बात की. इसे साबित करने के लिए हमारे पास ढेर सारे सुबूत हैं.’

सूत्र ने बताया, ‘लेकिन अभी ये स्पष्ट नहीं है कि उस रात को क्या हुआ था. मनसुख कहां गए थे और वो क्रीक में कैसे पहुंच गए…क्या उन्हें पहले मारा गया, और फिर क्रीक के अंदर फेंका गया, या उन्हें ज़बर्दस्ती डुबोया गया ….ये अभी जांच का विषय है’.

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हिरेन की हत्या का मामला एनआईए को ट्रांसफर कर दिया, जो पहले से ही अंबानी-एसयूवी केस की जांच कर रही है, लेकिन मुम्बई एटीएस ने कहा कि उसे अभी इस बारे में औपचारिक रूप से कोई पत्र या मेल प्राप्त नहीं हुआ है. सूत्र ने ये भी कहा कि एजेंसी ‘केस को सुलझाने के बहुत क़रीब है’.

इस मामले ने महाराष्ट्र में एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है, जिसके चलते मुम्बई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह का तबादला, होमगार्ड में एक निचले दर्जे के पद पर कर दिया गया है, जिसके बाद सिंह ने सीधे राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार के आरोप जड़ दिए.

इन आरोपों के राजनीतिक प्रभावों से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली, तीन पार्टियों की सत्तारूढ़ महा विकास अघाड़ी सरकार पर अस्थिरता के बादल मंडराने लगे हैं और बीजेपी देशमुख के इस्तीफे की मांग करते हुए दबाव बढ़ा रही है.

ठाकरे और राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी को लिखे एक पत्र में, सिंह ने दावा किया था कि देशमुख ने, वाज़े और अन्य पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया था कि मुम्बई के बार्स और रेस्ट्रॉन्ट्स से हर महीने 100 करोड़ रुपए की उगाही की जाए.


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‘काम हो गया’

एटीएस के सूत्र के अनुसार, शिंदे और गोर व्हाट्सएप संदेशों के ज़रिए, वाज़े और अन्य के संपर्क में थे. 4 मार्च के एक मैसेज में जो पुलिस के हाथ लगा है, लिखा है: ‘काम हो गया’.

सूत्र ने कहा, ‘इन सिम कार्ड्स के ज़रिए, वो अपने सहयोगियों के संपर्क में थे. चूंकि एक सिम कार्ड सिर्फ एक मैसेज के लिए इस्तेमाल हो रहा था, इसलिए बहुत कम डेटा उपयोग हो रहा था और लोकेशन का पता लगाना बहुत मुश्किल था. ये पता लगाना बहुत मुश्किल था कि व्हाट्सएप अकाउंट्स का कौन से फोन पर और किन जगहों पर इस्तेमाल हो रहा था. एक फोन इतनी कम देर के लिए चालू किया जाता था कि उसकी लोकेशन का पता लगा पाना ही बहुत मुश्किल था.’

सूत्र ने कहा कि ‘हमने ढेर सारा डेटा निकाला और बारीकी से जांच करने के बाद ही, कुछ नतीजों पर पहुंचे हैं. हमारी तकनीकी टीम अथक प्रयासों के बाद, इस जटिल डेटा को सुलझाकर दो अभियुक्तों तक पहुंची है, जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है. अब हमें उन्हें वाज़े के सामने बिठाकर पूछताछ करनी है.’

हत्या के मक़सद के बारे में पूछे जाने पर, सूत्र ने कहा कि अभी उसका ‘पता नहीं’ चल पाया है. सूत्र ने कहा, ‘हमें अभी भी नहीं मालूम कि हिरेन को क्यों मारा गया. मक़सद अभी भी साफ नहीं है. ये वाज़े से पूछताछ के बाद ही साफ हो पाएगा. हमें कुछ अहम सुराग़ मिले हैं…सब चीज़ें साफ हो जाएंगी.’

एनआईए के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि एजेंसी को वाज़े के ख़िलाफ कुछ सबूत मिले हैं, जिनमें जाली आधार कार्ड्स भी हैं, जिनका इस्तेमाल करके इंस्पेक्टर ने कई बार नोटों के बैग लेकर पांच सितारा होटलों में चेक-इन किया था.

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