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शनिवार, 14 जून, 2025
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देवगिरि किले में मराठा-निजाम के बीच युद्ध पर किताब लिखी जाएगी : इतिहास विशेषज्ञ

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(आदित्य बाघमारे)

औरंगाबाद (महाराष्ट्र), 17 जुलाई (भाषा) इतिहास के एक शोधकर्ता मराठा और निजाम के बीच युद्ध के विवरण संकलित कर रहे हैं ताकि इतिहास के पन्नों में बेहद कम चर्चित मराठा-निजाम युद्ध पर संकलित इन विवरणों को वह किताब की शक्ल दे सकें।

इसके लिए पुणे के इतिहास विशेषज्ञ राज मेमाणे ने करीब 15,000 ऐतिहासिक दस्तावेजों का अध्ययन किया है। जिस समय औरंगाबाद जिले के दौलताबाद स्थित देवगिरि किले पर मराठों का नियंत्रण था, उस अवधि के बारे में सार्वजनिक रूप से अधिक विवरण उपलब्ध नहीं हैं।

मेमाणे ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘वास्तव में, मराठा और निजाम सैनिकों के बीच की लड़ाई को मराठा सैनिकों की जीत के रूप में देखा जाना चाहिए और हर साल 17 जुलाई को इसका जश्न मनाया जाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि यह लड़ाई 3 से 17 जुलाई, 1763 तक हैदराबाद के तत्कालीन निजाम के 10,000 सैनिकों और करीब 500 मराठों के बीच हुई थी।

मेमाणे ने कहा कि मराठा-निजाम के सैनिकों की संख्या में भारी अंतर के बावजूद, मराठा किले पर अपना नियंत्रण बनाये रखने में सफल रहे। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने पेशवा दफ्तर (पुणे में अभिलेखागार कार्यालय) से हजारों दस्तावेजों की पड़ताल की है, जहां मुझे इस लड़ाई का विवरण मिला।’’

मेमाणे के अनुसार, हैदराबाद के निजाम ने देवगिरि किले में सेना भेजी थी। उनके अनुसार, मराठा किले से बाहर आए और निजाम के सैनिकों पर हमला करने के लिए छापामार रणनीति का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि युद्ध में केवल एक मराठा सैनिक की मृत्यु हुई थी। उन्होंने निजाम के सैनिकों को हुए नुकसान के बारे में विस्तार से जानकारी नहीं दी।

मेमाणे ने दावा किया कि कुछ दस्तावेजों के अनुसार, मराठा सैनिकों ने निजाम के सैनिकों पर हमला करने के लिए किले से ‘अग्निबाण’ का इस्तेमाल किया था। उन्होंने कहा कि ये दस्तावेज ऐसे हथियार बनाने के लिए प्रयुक्त सामग्री पर भी प्रकाश डालते हैं।

उन्होंने कहा कि 15 दिनों तक लड़ाई लड़ने के बाद, मराठा किले पर नियंत्रण बरकरार रखने में सफल रहे, जबकि निजाम के सैनिकों को देवगिरि से हटना पड़ा।

मेमाणे ने कहा कि वह अपनी आगामी पुस्तक ‘मराठेकालीन देवगिरि’ में युद्ध का विस्तृत विवरण लाएंगे। उन्होंने कहा कि देवगिरि का किला 17 साल तक 1760 से 1775 तक और 1795 से 1797 तक मराठों के नियंत्रण में रहा।

भाषा अमित सुरभि

सुरभि

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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