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Saturday, 2 November, 2024
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लॉकडाउन के बाद दरियागंज, नई सड़क की दुकानें खुली, पुस्तक विक्रेता ग्राहकों के इंतज़ार में

पुरानी दिल्ली के नई सड़क इलाके में स्टेशनरी की दुकान चलने वाले गगन ने निराश स्वर में बताया कि उन्होंने दुकान खोली तो है पर सुबह से एक भी ग्राहक नहीं आया है.'

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नई दिल्ली: 41 दिनों के लॉकडाउन के बाद सोमवार को दिल्ली के दरियागंज में किताबों और स्टेशनरी की दुकानें भी आखिरकार खुल गयी, पर शराब की दुकानों की तरह इन दुकानों पर इतनी भीड़ नज़र नहीं आई और दुकानदार ग्राहकों के इंतज़ार में नज़र आये.

गौरतलब है कि गृह मंत्रालय ने सोमवार से लॉकडाउन को दो हफ़्तों के लिए बढ़ा दिया पर साथ में कुछ छूट भी दी है. 4 मई को पहली बार कुछ दुकानें खुली. मंगलवार को कुछ और दुकानें खोली गयीं.

पुरानी दिल्ली के नई सड़क इलाके में स्टेशनरी की दुकान चलने वाले गगन ने निराश स्वर में बताया कि उन्होंने दुकान खोली तो है, पर सुबह से एक भी ग्राहक नहीं आया है. ज्ञात हो कि नई सड़क दिल्ली में चांदनी चौक और चावड़ी बाज़ार को जोड़ने वाली एक सड़क है, जहां थोक में स्टेशनरी का सामान मिलता है.

ग्राहकों के इंतजार में नई सड़क स्थित एक दुकानदार । फोटो साभार : उन्नति शर्मा

इसी इलाके में दुकान चलाने वाले सुशील कुमार को भी ग्राहकों के आने की उम्मीद कम ही है, वो कहते हैं कि जब तक स्कूल और विश्वविद्यालय खुल नहीं जाते, स्टेशनरी के सामान की ज़रुरत कम रहेगी.

हालांकि, कुछ दुकानों पर इक्का दुक्का ग्राहक नज़र भी आये. सुमित कुमार अपने बारहवीं में पढ़ने वाले बेटे के साथ दरियागंज की ए-वन बुक स्टोर पर सिलेबस की किताबें खरीदने आये थे. कुमार ने दिप्रिंट को बताया कि अचानक लॉकडाउन हो जाने के कारण सभी दुकानें बंद हो गयीं और वे अपने बेटे के लिए किताबें खरीद नहीं पाए. सभी किताबें ऑनलाइन मौजूद नहीं हैं. कुछ एक किताबों का इ-वर्ज़न है पर वो भी नए संस्करण में उपलब्ध नहीं है. इसलिए हमें दिक्कत आ रही थी. आज जैसे ही दुकान खुली, हम यहां आ गए.’

किताबों की दुकानें में भले ही बहुत ज्यादा ग्राहक नज़र ना आ रहे हों, पर संचालकों का कहना है कि लोग फ़ोन और ईमेल के माध्यम से दुकान खुलने के बारे में पता कर रहे हैं. देहाती पुस्तक भंडार चलाने वाले वंशदीप गुप्ता ने बताया वे किताबों की होम-डिलीवरी पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘दुकान हमने इस उम्मीद के साथ खोली है की अब हम अपने स्टोर से ज्यादा से ज्यादा संख्या में होम डिलीवरी कर सकें. आने वाले दिनों में उसी की मांग बढ़ने वाली है.’


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राजकमल प्रकाशन में डिजिटल और इ-कॉमर्स का काम देखने वाले अलिंद महेश्वरी ने दिप्रिंट को बताया कि प्रकाशन हाउस खुलने से उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि ऑडियो और इ-बुक्स अभी भी ग्राहकों की पहली पसंद नहीं है. 4 मई के बाद से हमारे पास स्टोर के खुलने को लेकर लगातार सवाल आ रहे हैं. ग्राहक पूछ रहे हैं की कौनसी किताबें मौजूद हैं और क्या वो उन्हें लेने आ सकते हैं. इससे ये पता चलता है कि कागज़ पर छपी किताबों की अभी भी अपनी एक अलग ही अहमियत है.’

महेश्वरी ने बताया कि उनके स्टोर पर दो दिनों में कुछ ग्राहक ज़रूर नज़र आये हैं. हम इस कोशिश में भी जुटे हैं की कैसे ऑरेंज और ग्रीन जोन जहां नॉन-एसेंशियल चीज़ों की डिलीवरी की जा सकती है, वहां हम अपनी किताबें पहुंचाएं. हालांकि, इस बात का अफ़सोस है कि किताबों को भारत में नॉन एसेंशियल (गैर-ज़रूरी) माना जाता है.

दूसरे दिन दुकानों पर कुछ ग्राहक आए । फोटो साभार : उन्नति शर्मा

व्हाट्सएप से हैं संपर्क में

भले ही दुकानें पिछले एक महीने से ज्यादा समय से बंद रही हों, पर पुस्तक विक्रताओं ने व्हाट्सएप के माध्यम से अपने पाठकों से संपर्क बनाये रखा है.

महेश्वरी ने बताया, ‘हमनें एक नयी पहल शुरू की. जिन पाठकों को इ-बुक्स या ऑडियो बुक्स उपलब्ध नहीं है, उन्हें हम रोज़ किताबों के कुछ अंश व्हाट्सएप के माध्यम से भेजते हैं, ताकि उनका पढ़ना चलता रहे. हम हर रोज़ तीन किताबों के अंश और एक कविता भेजते हैं. इसे काफी पसंद किया जा रहा है. इस माध्यम से करीब 10,000 लोग हमसे जुड़े हैं.’

गुप्ता ने बताया, देहाती पुस्तक भंडार पर भी विक्रेता व्हाट्सएप के ज़रिये ग्राहकों से जुड़े हुए हैं. जब भी कोई ग्राहक किसी पुस्तक की सामग्री या अन्य जानकारी पाना चाहते हैं, हम व्हाट्सएप से उन्हें भेज देते हैं.’

स्टेशनरी विक्रेताओं को ग्राहकों का इंतज़ार

किताबों की दुकानों पर भले ही इक्का-दुक्का ग्राहक आ रहे हों, पर स्टेशनरी की दुकानें अभी भी सूनी पड़ी हैं. दुकानों के बहार चाक से कुछ दूरी पर वृत्त बनाये गए हैं. ताकि सोशल डिसटेंसिंग का पालन किया जा सके. दुकानदार भी मास्क और दस्ताने पहने नज़र आते हैं, पर ग्राहक नदारद हैं.

दिल्ली स्टेशनर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष सुनील कुमार गुप्ता ने बताया की मजदूरों और मॉल वाहकों की कमी के चलते भी बहुत सी दिक्कतों का सामना करन पड़ रहा है. कल से बहुत कम ग्राहक नज़र आये हैं. अभी सभी दुकानदार सामान और दुकानों की सफाई में ही लगे हुए हैं.’

सुनील कुमार गुप्ता, दिल्ली स्टेशनर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष। फोटो साभार : उन्नति शर्मा

उन्होंने बताया कि फाइल ट्रेडर्स से भी दुकानें खोलने की दरख्वास्त की गयी, क्योंकि वो भी स्टेशनरी एसोसिएशन का हिस्सा हैं. परन्तु कागज़ विक्रेताओं ने अभी दुकानें नहीं खोली हैं. वे उम्मीद करते हैं कि जब लेबर वापस काम पर लौटेंगे तब थोड़ी दिक्कतें कम होंगी.

दिल्ली स्टेशनर्स के मालिक गुप्ता ने दिप्रिंट को बताया, नई सड़क मार्केट में हर तरह का स्टेशनरी का सामान मिल जाता है. यहां कॉलेज स्कूल के छात्रों से लेकर सभी की ज़रूरतों के लिए सामान मिलता है. मेरी दुकान पर ऑफिस के लिए समान मिलता है और अभी सरकारी ऑफिस चल रहे हैं, पर हम अभी सिर्फ ज़रूरी ऑर्डर्स ही ले रहे हैं, ज्यादातर दुकानदार कैशलेस पेमेंट को बढ़ावा दे रहे हैं.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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