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Saturday, 21 December, 2024
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बम विस्फोट की धमकी, पुलिस की आत्मरक्षा- मेघालय में पूर्व उग्रवादी के ‘एनकाउंटर’ की क्या थी वजह

मेघालय में हुए दो बम धमाकों के पीछे एक पूर्व अलगाववादी चेरिश्टरफील्ड थांगख्यू का नाम आ रहा था. पुलिस का कहना है कि उसे गिरफ्तार करने के लिए छापेमारी की गई थी, जबकि परिवार का कहना है कि मुठभेड़ पूर्व नियोजित थी.

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शिलांग : 54 वर्षीय पूर्व उग्रवादी चेरिश्टरफील्ड थांगख्यू को गत 13 अगस्त को तड़के मेघालय के शिलांग स्थित उसके घर में जब पुलिस के एक छापे के दौरान कथित तौर पर आत्मरक्षा में गोली मार दी गई, उस समय वह अपने घर के टॉप फ्लोर पर सो रहा था.

छापेमारी के दौरान थांगख्यू के दो बेटे बगल के कमरे में सो रहे थे, जबकि उनकी पत्नी राजधानी के मवलाई क्षेत्र में स्थित इस घर में भूतल पर थी.

उसकी मौत के दो दिन बाद 15 अगस्त को शिलांग से बड़े पैमाने पर हिंसा फैल गई, जिसके कारण कर्फ्यू लगा दिया गया और गृहमंत्री लखमेन रिंबुई को इस्तीफा देना पड़ा.

मेघालय पुलिस के सूत्रों के अनुसार, छापेमारी तो थांगख्यू को गिरफ्तार करने के लिए की गई थी, जो अभी एक अलगाववादी संगठन हाइनीवट्रेप नेशनल लिबरेशन काउंसिल (एचएनएलसी) का जनरल सेक्रेटरी था, लेकिन स्थिति तब काबू से बाहर हो गई जब उसने कथित तौर पर चाकू से एक पुलिस अधिकारी पर हमला कर दिया.

घटनाक्रम के बारे में बताते हुए मेघालय के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, जो अपना नाम नहीं बताना चाहते थे, ने कहा, ‘वे (पुलिसकर्मी) भूतल से उसे बुला रहे थे, लेकिन जब उसकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया तो वे ऊपर पहुंचे और उसके कमरे में घुस गए. वहां पर अंधेरा छाया हुआ था और थांगख्यू ने उन पर चाकू से हमले की कोशिश की.

पुलिस सूत्रों ने कहा कि अपने बचाव के अधिकार—भारतीय संविधान में निहित आत्मरक्षा के अधिकार—के तहत चलाई गई गोली उसके पेट में लगी. उसे शिलांग के सिविल अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वह रास्ते में ही दम तोड़ चुका था.

Cherishterfield Thangkhiew's house in the Mawlai region of Shillong, Meghalaya | Photo: Praveen Jain | ThePrint
शिलांग, मेघालय के मालवाई क्षेत्र में चेरिश्टरफील्ड थांगख्यू का घर | फोटो: प्रवीण जैन | दिप्रिंट.

 

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थांगख्यू का परिवार बोला—‘मुठभेड़ पूर्व नियोजित थी’

इस बीच, थांगख्यू के परिवार और परिचितों ने मेघालय पुलिस पर पूर्व नियोजित ढंग से फर्जी मुठभेड़ को अंजाम देने का आरोप लगाया है.

कई लोगों ने छापेमारी के समय को लेकर भी सवाल उठाया, जिनमें मुख्यमंत्री कोनराड संगमा के सलाहकार ए.एल. हेक और राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री शामिल हैं.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘पुलिस को उसे दिन के समय गिरफ्तार करना चाहिए था, रात के अंधेरे में नहीं. ऐसा नहीं है कि वह कहीं भागा जा रहा था. हर कोई जानता है कि वह कहां रहता है.’

पूर्व उग्रवादी के छोटे भाई जी. थांगख्यू ने भी इसी तरह की बात कही. उनका कहना है, ‘अगर वे उससे पूछताछ करना चाहते थे तो उन्हें दिन में आकर यह काम करना चाहिए था, न कि आधी रात के दौरान छापा मारना चाहिए था. मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि उन्हें कोई सबूत मिला है.’

हालांकि, ऊपर उद्धृत अधिकारी का कहना है कि छापेमारी आधी रात के बाद की गई थी क्योंकि पुलिस को डर था कि वह सबूत नष्ट कर देगा.

पुलिस के अनुसार, थांगख्यू जुलाई और अगस्त में मेघालय में हुए दो बम धमाकों में शामिल था और उसी के सिलसिले में उसे गिरफ्तार करने के लिए छापा मारा गया था.

पुलिस का कहना है, ‘रात में छापेमारी का फैसला इस बात को ध्यान में रखकर किया गया था कि थांगख्यू को सबूत नष्ट करने का समय न दिया जाए. हमें यह भी जानकारी थी कि 13 अगस्त को शिलांग के पुलिस बाजार में एक और बम विस्फोट की साजिश रची जा रही है. यह स्वतंत्रता दिवस से ठीक दो दिन पहले था, इसलिए तुरंत कार्रवाई करना बहुत अहम था.’ साथ ही यह भी जोड़ा कि धमाके की साजिश को नाकाम कर दिया गया.

मारे गए पूर्व उग्रवादी के परिजनों ने थांगख्यू की तरफ से चाकू से हमला किए जाने की बात पर भी संदेह जताया और कहा कि उसकी स्वास्थ्य स्थितियों ने उसकी चलने-फिरने जैसी गतिविधियों को सीमित कर दिया था.

एचएनएलसी के एक पूर्व सदस्य ने दिप्रिंट को बताया कि थांगख्यू के बाएं हाथ को लकवा मार गया था और किडनी की गंभीर समस्या के कारण उसके पैरों में सूजन रहती थी, जिससे उसे रात में सोने और ठीक से चलने-फिरने तक में काफी दिक्कत होती थी.

थांगख्यू के पुत्र ग्रेनी एफ.जी. डिएंगदोह ने दावा किया कि पुलिस के घुसने के समय कमरे में कोई चाकू नहीं था. उसने पुलिस पर उसे लातें मारने और पीटने का आरोप भी लगाया.

नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर एचएलएनसी के एक पूर्व सदस्य ने बताया कि ग्रेनी को उसके भाई ओलिफिन जी. डिएंगदोह के साथ कथित तौर पर पुलिस ने उठा लिया था और 13 अगस्त की शाम 7 बजे तक वह घर नहीं लौटे.

पूर्व उग्रवादी के परिजनों ने बुधवार को पुलिस के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई और उस पर गुरुवार को भारतीय दंड संहिता की धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई.

पुलिस ने कहा है कि मामले की जांच की जा रही है.

इस बीच, मुठभेड़ की जांच के लिए एक सेवानिवृत्त जज और मेघालय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस टी. वैफेल की अध्यक्षता में एक न्यायिक जांच समिति भी गठित की जा चुकी है. कमेटी को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए तीन महीने का समय दिया गया है.

Police bazaar in Shillong where a bomb blast was purportedly planned by the HNLC | Photo: Praveen Jain | ThePrint
शिलांग में पुलिस बाजार जहां कथित तौर पर एचएनएलसी द्वारा एक बम विस्फोट की योजना बनाई गई थी | फोटो: प्रवीण जैन | दिप्रिंट

थांगख्यू के घर पर ‘छापे’ की वजह क्या थी

अपने सक्रिय रहने के दौरान सबसे खूंखार उग्रवादियों में गिना जाने वाला थांगख्यू एचएनएलसी के सक्रिय सदस्य के तौर पर बांग्लादेश में सुपारी की खेती का काम करता था.

एचएनएलसी की स्थापना उसने 1980 के दशक में जूलियस के. डोरफांग, एम. डिएंगदोह और बॉबी मारविन के साथ मिलकर हाइनीवट्रेप अचिक लिबरेशन काउंसिल (एचएएलसी) के एक अलग गुट के रूप में की थी—जो खासी, जयंतिया और गारो समुदायों का प्रतिनिधित्व करता था.

पूर्वोत्तर में उग्रवाद की तरह ही मेघालय में अलगाववादी संगठन उभरने लगे हैं, जो इस क्षेत्र में हावी हो रहे ‘दखरों’ (बाहरी लोगों) के डर से उपजे थे. एचएनएलसी—जो खासी और जयंतिया आबादी का प्रतिनिधित्व करता है—ने भारत से आजादी की मांग की, जबकि एचएएलसी भारतीय संविधान के भीतर राज्य का दर्जा चाहता था.

2018 में वह उग्रवादी समूह से रिटायर हुआ और खराब सेहत का हवाला देते हुए बांग्लादेश से भारत लौट आया.

एचएनएलसी के एक पूर्व सदस्य ने दिप्रिंट को बताया, ‘थांगख्यू ने सरकार के साथ एक समझौता किया था, जिसके तहत उसे भारत में सामान्य जीवन जीने में मदद करने का वादा किया गया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.’

पुलिस के मुताबिक, अपनी सेवानिवृत्ति के बाद थांगख्यू ने 2019 तक एक शांत जीवन व्यतीत किया और 2020 में फिर से सक्रिय होने लगा था.

एचएनएलसी के वर्तमान महासचिव-सह-प्रवक्ता सैंकुपर नोंगट्रॉवास ने दावा किया है कि थांगख्यू ने सरकार और गैरकानूनी संगठन के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी.

जिस एनकाउंटर में पूर्व उग्रवादी की मौत हुई उसे शिलांग के लैतुमखरा इलाके में कम तीव्रता वाले आईईडी बम के फटने के तीन दिन बाद अंजाम दिया गया था, 10 अगस्त को हुए इस धमाके में दो लोग घायल हुए थे.

एक महीने पहले 14 जुलाई को पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले के खलीहरियात में क्लैरिएट पुलिस रिजर्व में एक और बम विस्फोट हुआ था, जिसमें एक पुलिसकर्मी घायल हो गया था और पुलिस भवन को भी कुछ नुकसान पहुंचा था.

एचएनएलसी के नोंगट्रॉहास ने अपनी फेसबुक पोस्ट में इन दोनों धमाकों की जिम्मेदारी ली है. बहरहाल, इन धमाकों के पीछे थांगख्यू का नाम भी सामने आया था.

मेघालय के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आर. चंद्रनाथन ने दावा किया कि विस्फोटों के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए एचएनएलसी के अन्य सदस्यों की जांच और उनके बयानों से पता चलता है कि पूर्व उग्रवादी थांगख्यू भी इसमें शामिल था.

चंद्रनाथन ने 13 अगस्त को एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘हमें विशेष रूप से खलीहरियात बम धमाके के मामले में ऐसे सबूत मिले हैं जो स्पष्ट तौर पर चेरिस्टरफील्ड थांगख्यू की संलिप्तता का संकेत देते हैं, और हमने शिलांग विस्फोट से भी उसका लिंक पाया है.’

पुलिस की तरफ से क्रमशः 14 जुलाई और 10 अगस्त को दर्ज किए गए दोनों मामलों में उसका नाम शामिल किया गया था, और उस पर हत्या के प्रयास के साथ-साथ कड़े आतंकवाद विरोधी कानून गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम और विस्फोटक अधिनियम की धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे.

यह दोनों मामले 11 अगस्त को क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर कर दिए गए थे.

पहले उद्धृत पुलिस अधिकारी के अनुसार, राजधानी में स्थिति शांत होने के बाद विस्फोट के मामलों में कुछ और गिरफ्तारियां भी की जाएंगी.

Meghalaya Police personnel | Photo: Praveen Jain | ThePrint
मेघालय पुलिसकर्मी | फोटो: प्रवीण जैन | दिप्रिंट.

छापेमारी में 20 पुलिसकर्मी शामिल

इन्हीं दो मामलों के सिलसिले में उस रात मारे गए छापे के दौरान 20 पुलिस अधिकारी थांगख्यू के घर पहुंचे थे, जो एक तीन मंजिला इमारत है और जिसमें दूसरी मंजिल पर कुछ निर्माण चल रहा है.

छापेमारी का नेतृत्व पूर्वी जयंतिया हिल्स के पुलिस प्रमुख जगपाल सिंह धनोआ और ईस्ट खासी हिल्स के पुलिस अधीक्षक (यातायात) शैलेंद्र बामनिया ने किया. इसका उद्देश्य पूर्व उग्रवादी को गिरफ्तार करना था, जिसके बारे में प्रशासन का दावा है कि उसने आत्मसमर्पण किया था जबकि परिवार का कहना है कि बीमारी के कारण वह रिटायर हो चुका था.

दिप्रिंट ने फोन कॉल और टेक्स्ट मैसेज के जरिये दोनों एसपी से संपर्क साधा, लेकिन रिपोर्ट प्रकाशित किए जाने के समय तक उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली थी.

पुलिस के अनुसार उसके आवास से 10 मोबाइल फोन, एक लैपटॉप, एक 9 एमएम की पिस्तौल और थांगख्यू का कथित चाकू जब्त कर लिया गया है.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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