नई दिल्ली: समुद्र के बीच में रहने के दौरान कई दिनों तक तेज बुखार और खांसी से पीड़ित रहे 37 वर्षीय बिजॉय सेकिरा ने अपने भाई एल्डन को एक चिंताजनक व्हाट्सएप वॉयस नोट भेजा.
एमवी जबल अल खावर नामक एक निजी जहाज—जो मलेशिया से केप टाउन जा रहा था—पर सवार बिजॉय ने 17 सितंबर अपनी मौत से कुछ ही पहले भेजे गए इस वॉयस नोट में कोंकणी में कहा था, ‘मैं खुद को एकदम बेदम महसूस कर रहा हूं. मुझे लगता है कि तीन या चार और लोग भी संक्रमित हैं.’
चार दिन बाद जहाज को डायवर्ट करके मॉरीशस ले जाया गया तो वहां जांच में कैप्टन को कोविड-19 पॉजिटिव पाया गया. मॉरीशस में भारतीय उच्चायोग ने एक ईमेल के जरिये दिप्रिंट को बताया कि कैप्टन और चालक दल इस समय इस आइसलैंड में क्वारंटाइन हैं और समय-समय पर उनकी जांच की जा रही है.
उच्चायोग के मुताबिक, 17 से 30 सितंबर तक जहाज पर सवार मुख्य कुक सेकिरा के शव को जहाज पर ‘मॉर्चरी’ में रखा गया था.
नौवहन महानिदेशक अमिताभ कुमार ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि ‘जहाज आमतौर पर खाद्य पदार्थों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले एक फ्रीजर को एक तरह के मुर्दाघर में बदल देते हैं.
बिजॉय के शव को 30 सितंबर को मॉरीशस पुलिस को सौंप दिया गया था, जो जल्द ही इसकी जांच और पोस्टमार्टम करेगी.
नेशनल यूनियन ऑफ सीफेरर्स ऑफ इंडिया (एनयूएसआई) के महासचिव अब्दुलगनी सेरांग कहते हैं कि यह घटना इस बात का एक उदाहरण है कि इस महामारी के दौरान नाविकों की नौकरियां किसी खतरनाक हो गई हैं.
उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘कोविड के दौरान ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां नाविकों को जहाज पर इलाज मिलने में बहुत मुश्किलें आईं. यह विडंबना ही है कि कार्गो के साथ अक्सर क्रू से बेहतर व्यवहार किया जाता है.’
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डीजी शिपिंग, अन्य अधिकारी शव वापसी की कोशिश में जुटे
सेकिरा के शव को फिलहाल मॉरीशस के पोर्ट लुइस स्थित जीतू अस्पताल में रखा गया है. इस बीच, भारतीय उच्चायोग, मॉरीशस के अधिकारी और भारतीय शिपिंग मंत्रालय वर्तमान उनके शव को वापस लाने की कोशिशों में जुटे हैं.
इस कवायद में जहाज की मालिक ओमान शिपिंग कंपनी और वी-शिप्स—जो मुंबई स्थित एक क्रू मैनेजमेंट कंपनी है जिसके साथ सेकिरा पिछले करीब दस सालों से काम कर रहे थे—की तरफ से भी हरसंभव सहायता की जा रही है.
हालांकि, कुमार ने कहा कि इसमें अभी दो हफ्ते और लग सकते हैं. उन्होंने कहा, ‘वे (मॉरीशस के अधिकारी) पोस्टमार्टम के बिना शव को वापस नहीं भेज सकते. चूंकि टेस्ट में शव को कोविड पॉजिटिव पाया गया था, इसलिए मुझे यही बताया गया है कि वे अभी 14 दिन इंतजार करेंगे और उसके बाद ही पोस्टमार्टम किया जाएगा.’
हालांकि, इस बात को लेकर कोई बहुत ठोस शोध तो नहीं हुआ है कि क्या मृत लोगों से भी वायरस फैल सकता है, लेकिन मई में साइंसडायरेक्ट में प्रकाशित एक पीर-रिव्यू रिसर्च पेपर में कहा गया था कि कोविड वायरस 30 दिनों से अधिक समय तक किसी शव में बना रह सकता है.
तमाम प्रक्रियाओं को देखते हुए सेकिरा के परिवार को उनका पार्थिव शरीर पाने के लिए लगभग एक महीने और इंतजार करना पड़ सकता है.
‘शव इतने दिन तक फ्रीजर में रहने से मुझे बेहद तकलीफ हो रही’
गोवा में रहने वाला सेकिरा का परिवार सितंबर मध्य में मौत के बाद से ही उनका पार्थिव शरीर दफनाने का इंतजार कर रहा है.
पीड़ित की पत्नी फेमिला और बड़े भाई एल्डन ने दिप्रिंट को बताया कि वह कोमोर्बिडिटी से पीड़ित नहीं थे और इस साल मार्च में जहाज पर जाने से पहले वैक्सीन नहीं लगवा पाए थे क्योंकि तब टीके आसानी से उपलब्ध नहीं थे.
फेमिला ने दिप्रिंट को बताया, ‘मुझे सबसे ज्यादा तकलीफ इस बात से है कि उनके शरीर को इतने दिनों तक फ्रीजर में रखा गया. ईसाई होने के नाते हम किसी की मृत्यु के बाद उसे दफनाने में देरी में विश्वास नहीं करते. अंतिम संस्कार जल्द से जल्द होना चाहिए लेकिन हम हफ्तों से इंतजार ही कर रहे हैं.’ साथ ही कहा कि 4 और 5 साल की दो बेटियां हैं जो यह समझने के लिए बहुत छोटी हैं कि उनके पिता की मृत्यु हो गई है.
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परिवार ने वी-शिप्स के कैप्टन पर लापरवाही का आरोप लगाया
वी-शिप्स के प्रवक्ता अजय यादव ने बताया कि एमवी जबल अल खावर पर सवार चालक दल के अन्य सदस्यों ने भी कोविड-19 के लक्षण पाए गए थे जो सेकिरा द्वारा अपने भाई को भेजे व्हाट्सएप वॉयस नोट में दी गई जानकारी की पुष्टि करते हैं.
यादव ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम बिजॉय की मौत से दुखी हैं. पोत अभी भी मॉरीशस के पोर्ट पर है और केवल उसमें ही नहीं बल्कि मास्टर और चालक दल के सदस्यों में भी कोविड के लक्षण दिखे थे.’
हालांकि, पीड़ित परिवार का आरोप है कि चालक दल की लापरवाही के कारण सेकिरा की मौत हुई और जहाज के कैप्टन ने समय पर चिकित्सा सहायता मुहैया नहीं कराई.
डीजी कुमार ने दिप्रिंट को बताया, ‘अगर लॉग बुक से पता चला कि कैप्टन की ओर से चिकित्सा सहायता मुहैया कराने में कोई देरी की गई थी तो हम फ्लैग स्टेट के समक्ष इस मुद्दे को उठाएंगे.’
फ्लैग स्टेट वह स्थान होता है जहां कोई जहाज पंजीकृत होता है या जहां से लाइसेंस मिला होता है. इस मामले में यह मार्शल द्वीप समूह है, जो हवाई और फिलीपींस के बीच प्रशांत महासागर में स्थित एक देश है.
यह पहली बार नहीं है कि भारतीय नाविक अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में फंसे हैं.
इस साल के शुरू में कई भारतीय नाविक चीनी जल क्षेत्र में महीनों फंसे रहने के बाद घर लौट पाए थे क्योंकि चीनी अधिकारियों ने कार्गो उतारने या कोविड संबंधी पाबंदियों के कारण चालक दल को बदलने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था.
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