मुंबई : बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने बंबई उच्च न्यायालय को बताया कि उसने निजी आवासीय सोसायटी, कार्यालयों, शैक्षणिक संस्थानों और अन्य परिसरों में फर्जी टीकाकरण शिविरों को रोकने के लिए दिशा निर्देशों का मसौदा तैयार किया है.
बीएमसी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल साखरे ने बृहस्पतिवार को उच्च न्यायालय को बताया कि नगर निकाय ने नोडल अधिकारी नियुक्त करने का फैसला किया है जो ऐसे स्थानों पर कोरोना वायरस रोधी टीकाकरण शिविरों की निगरानी करेंगे. उन्होंने बताया कि ये नोडल अधिकारी इन स्थानों पर अगर कोई गलत काम हो रहा होगा तो स्थानीय पुलिस और स्वास्थ्य प्राधिकारियों को सूचित करेंगे.
दिशा निर्देशों के मसौदे के अनुसार, ऐसा शिविर आयोजित करने का अनुरोध मिलने पर बीएमसी शिविर के शुरू होने से पहले कोविन पोर्टल पर संबंधित निजी कोविड-19 टीकाकरण केंद्र (पीसीवीसी) के पंजीकरण की पुष्टि करेगा.
साखरे ने अदालत को बताया कि बीएमसी ने कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटीज के पंजीयक और उच्च एवं प्रौद्योगिकी शिक्षा प्राधिकारियों को पत्र लिखकर उन्हें सभी परिसरों और शिक्षण संस्थानों को मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) और दिशा निर्देशों के बारे में जानकारी देने को कहा है.
ये दलीलें मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्त और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ के समक्ष रखी गयी जो वकील सिद्धार्थ चंद्रशेखर की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है. याचिका में टीकों तक नागरिकों की पहुंच और कोविन पोर्टल पर बुकिंग कराते वक्त लोगों के सामने आ रही दिक्कतों से निपटने में अदालत के हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया गया है. अदालत इसी माह में फिर इस मामले पर सुनवाई करेगी.
मुंबई के एमआईडीसी अंधेरी पुलिस थाने में एक निजी कंपनी के लिए फर्जी कोविड-19 टीकाकरण शिविर आयोजित कराने के लिए आठ लोगों के खिलाफ बृहस्पतिवार को प्राथमिकी दर्ज की गयी. पिछले महीने आवासीय सोसायटीज और निजी कंपनियों के लिए फर्जी टीकाकरण शिविर आयोजित करने वाले एक गिरोह का पता चला था जिसके बाद महानगर में दर्ज यह 10वीं प्राथमिकी है.