दिल्ली, चार जून (भाषा) अरुणाचल प्रदेश की सियांग घाटी में चींटी की एक प्रजाति की खोज की गई है जिसका रंग नीला है।
अरुणाचल प्रदेश की ‘जैव विविधता केंद्र’ के रुप में विख्यात सियांग घाटी में चींटी की यह विशिष्ट और आश्चर्यजनक रूप से नीले रंग की प्रजाति मिली है।
वर्ष 1911 से 12 में ‘अबहोर’ अभियान के साथ शोधकर्ताओं का एक दल भी अरुणाचल प्रदेश की सियांग घाटी गया था। यह दल वहां के प्राकृतिक इतिहास और भूगोल का दस्तावेजीकरण कर रहा था। अबोहर अभियान सियांग घाटी के मूल निवासियों को लेकर चलाया गया अभियान था।
घाटी में खोज करने के बाद शोधकर्ताओं के दल ने हर पौधे, मेंढ़क, मछली, पक्षी और स्तनपायी और कीटों को सूचीबद्ध किया था जो उन्हें उस दौरान वहां मिले थे। उनकी खोजों को 1912 से 1922 तक भारतीय संग्रहालय के अभिलेखों में कई खंडों में प्रकाशित किया गया था।
अब एक सदी के बाद ‘अशोक ट्रस्ट फॉर रिसर्च इन इकोलॉजी एंड एनवायरनमेंट’ (एटीआरईई) के शोधकर्ताओं और फेलिस क्रिएशंस बैंगलोर की एक दस्तावेजीरण टीम ने सियांग घाटी की यात्रा ‘सियांग एक्सपीडिशन’ के बैनर तले शुरू की। इनका मुख्य उद्देश्य यहां की जैव विविधता का फिर से सर्वेक्षण और दस्तावेजीकरण करना था। इसी यात्रा के दौरान उन्हें एक पेड़ से चींटी की नई प्रजाति का पता चला।
यिनकू गांव के सुदूर इलाके में पेड़ पर 10 फुट ऊपर एक छेद की खोज के समय शोधकर्ताओं को अंधेरे में कुछ चमकता हुआ दिखाई दिया। शोधकर्ताओं के अनुसार, उन्हें बात में यह जानकर आश्चर्य हुआ कि ये चमकदार चींटियां थीं। ज़ूकीज़ पत्रिका में इस खोज को प्रकाशित किया गया।
एटीआरईई के शोधकर्ताओं ने बताया कि, इस नई प्रजाति का नाम पैरापैराट्रेचिना नीला है। उनके अनुसार, यह ‘आम लाल, काली या भूरी चींटियों जैसी नहीं है।’ शोधकर्ता ने इस नई प्रजाति की चींटी के बारे में कहा कि यह एक छोटी चींटी है और इसकी लंबाई दो मिलीमीटर से भी कम होती है, जिसका शरीर मुख्य रूप से धातुई नीले रंग का है।
शोधकर्ताओं ने बताया कि इस खास चींटी का सिर त्रिभुजाकार है, उसकी आंखें बड़ी हैं तथा उसका मुखभाग त्रिभुजाकार है, जिसमें पांच दांत हैं।
यह खोज पूर्वी हिमालय की जैवविविधता को दर्शाती है। ‘पैरापैराट्रेचिना नीला’ प्रजाति की खोज चींटी की प्रजातियों की विविधता की समृद्धि में योगदान देगी।
लेखक प्रियदर्शन धर्म रंजन ने कहा, ‘हिमालयी जैव विविधता के केंद्र में बसी अरूणाचल प्रदेश की सियांग घाटी अद्वितीय विविधता को दुनिया के सामने प्रस्तुत करती है। हालांकि सांस्कृतिक और पारिस्थितिक रुप से समृद्ध ये घाटी अभूतपूर्व खतरों का सामना कर रही है।’
उन्होंने कहा कि, ‘बड़े स्तर पर हो रहे निर्माण कार्य घाटी को प्रभावित कर रहे हैं। राजमार्ग, सैन्य प्रतिष्ठानों के ढांचे के निर्माण की परियोजना और बांध परियोजना जलवायु परिवर्तन के साथ घाटी को बदल रही हैं। इसका असर पूरी घाटी पर हुआ है। ये पहाड़ न सिर्फ विविध पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, बल्कि नीचे की ओर रहने वाले लाखों लोगों का कल्याण सुनिश्चित करने में भी इनका योगदान होता है।’’
भाषा स्वाती
Swati मनीषा
मनीषा
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