नयी दिल्ली, 30 मई (भाषा) ‘द लैंसेट रीजनल हेल्थ साउथईस्ट एशिया’ पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया है कि रक्त समूह ‘एबीओ’ की असंगति भारत में गुर्दा प्रतिरोपण के पीछे एक प्रमुख कारक हो सकती है, जिसमें जीवित दाता को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
एबीओ असंगति तब होती है जब गुर्दा देने वाले का रक्त समूह गुर्दा लेने वाले से अलग होता है। इसके कारण गुर्दा लेने वाले की प्रतिरक्षा प्रणाली प्रतिरोपित अंग को अस्वीकार कर देती है।
अहमदाबाद स्थित श्रीमती जी आर दोशी और श्रीमती के एम मेहता गुर्दा रोग संस्थान एवं अध्ययन केंद्र (आईकेडीआरसी) के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया कि भारत में गुर्दा दान करने के इच्छुक एक तिहाई स्वस्थ व जीवित लोग गुर्दा लेने के इच्छुक लोगों से अलग होते हैं, जिसका मुख्य कारण रक्त समूह का बेमेल होना है।
टीम ने कहा कि भारत समेत निम्न और मध्यम आय वाले देशों में गुर्दा या यकृत अदला-बदली प्रतिरोपण को लेकर बड़े पैमाने पर कोई डेटा उपलब्ध नहीं है।
अध्ययन में भारत के 65 केंद्रों से प्राप्त 1,839 गुर्दा अदला-बदली मामलों का विश्लेषण किया गया, जिससे पता चला कि 1,610 (87 प्रतिशत) मामलों में एबीओ असंगति ऐसे ‘एक्सचेंज’ का मुख्य कारण थी।
भाषा जोहेब अविनाश
अविनाश
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