बेंगलुरु, 21 अगस्त (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने ‘धर्मस्थल’ मुद्दे से निपटने के राज्य सरकार के तौर-तरीके की बृहस्पतिवार को निंदा की। उन्होंने आरोप लगाया कि धर्मस्थल को बदनाम करने के लिए जारी अभियान के पीछे एक “सुनियोजित साजिश” है।
विजयेंद्र ने बेंगलुरु में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान घोषणा की कि भाजपा शुक्रवार से ‘धर्मयुद्ध’ नामक राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करेगी, जो आने वाले हफ्तों में सभी विधानसभा क्षेत्रों में जारी रहेगा।
उन्होंने कहा कि धर्मस्थल के खिलाफ सोशल मीडिया पर चलाए जा रहे अभियान ने “लाखों श्रद्धालुओं की भावनाओं को गहरी ठेस पहुंचाई है।”
विजयेंद्र ने आरोप लगाया, “सोशल मीडिया पोस्ट के लिए हिंदू कार्यकर्ताओं के खिलाफ तुरंत प्राथमिकी दर्ज किए जाने और उन्हें गिरफ्तार किए जाने के कई मामले सामने आए हैं, लेकिन धर्मस्थल को बदनाम करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।”
उन्होंने याद दिलाया कि भाजपा ने राज्य सरकार के विशेष जांच दल (एसआईटी) का स्वागत किया था और एक पारदर्शी एवं निष्पक्ष जांच का समर्थन किया था।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने सवाल किया, “आज भी, हम उस स्थिति पर कायम हैं। लेकिन दुर्भावनापूर्ण प्रचार को रोकने में सरकार की विफलता यह सवाल उठाती है-क्या उसमें कार्रवाई करने की इच्छाशक्ति का अभाव है, या क्या वह इस अभियान को बढ़ावा देने में शामिल है?”
विजयेंद्र ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार और पुलिस की निष्क्रियता एक “सम्मानित संस्था को निशाना बनाने” के एक बड़े, संगठित प्रयास का हिस्सा है।
उन्होंने कहा, “यह एक सुनियोजित साजिश है। सरकार की चुप्पी या तो कमजोरी या फिर झूठ फैलाने वालों को जानबूझकर समर्थन देने का संकेत देती है। पूरे कर्नाटक के श्रद्धालु सवाल उठा रहे हैं कि इसके पीछे कौन है और सरकार उन्हें क्यों बचा रही है।”
विजयेंद्र ने धर्म की रक्षा के लिए भाजपा की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए कहा, “जब आस्था और परंपरा पर हमला हो रहा हो, तो हम मूकदर्शक नहीं बने रहेंगे। भाजपा धर्म की रक्षा और पूरे कर्नाटक में श्रद्धालुओं की भावनाओं के लिए यह लड़ाई-एक धर्मयुद्ध-लड़ेगी।”
कर्नाटक के ‘धर्मस्थल’ कस्बे में सामूहिक हत्या, यौन उत्पीड़न और शवों को सामूहिक रूप से दफनाए जाने के गंभीर आरोपों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है, जो कथित तौर पर दो दशकों से अधिक समय से जारी था।
शिकायतकर्ता एक पूर्व सफाई कर्मचारी है, जो 1995 से 2014 के बीच धर्मस्थल में कार्यरत था। उसने आरोप लगाया है कि इस दौरान उसे कई शवों को दफनाने के लिए मजबूर किया गया, जिनमें महिलाओं और नाबालिगों के शव भी शामिल थे।
शिकायतकर्ता ने दावा किया है कि कुछ शवों पर यौन उत्पीड़न के निशान थे। उसने अपने दावों के संबंध में मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज कराए हैं।
भाषा पारुल नरेश
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