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Saturday, 16 November, 2024
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भाजपा आम चुनावों के साथ ही जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव कराने की कोशिश में

जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन के तहत प्रशासन संभाल रहे राज्यपाल सत्यपाल मलिक भी दोनों चुनाव एक साथ कराने के पक्ष में हैं.

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नई दिल्ली: भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व इस साल आम चुनावों के साथ ही जम्मू कश्मीर विधानसभा के चुनाव कराने की पुरज़ोर कोशिश कर रहा है.

केंद्र सरकार के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 3 फरवरी को राज्य के दौरे पर जाने की योजना है, जहां वे चुनावों के लिए अपनी पार्टी के प्रयासों को आगे बढ़ाएंगे. जनता तक इस बात का संदेश पहुंचाने के लिए वह बड़ी संख्या में योजनाओं की शुरुआत करेंगे.

इसके साथ ही, प्रधानमंत्री कई परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे जिनमें से कुछ में सारा निवेश केंद्र सरकार करेगी. नई परियोजनाओं में दो अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों की स्थापना – एक जम्मू और दूसरा श्रीनगर में – जम्मू-पुंछ राष्ट्रीय राजमार्ग को चार-लेन में परिवर्तित करना, कई पनबिजली परियोजनाएं और लद्दाख में एक विश्वविद्यालय की स्थापना शामिल हैं.

राज्य में भाजपा की लोकप्रियता सत्ताविरोधी भावनाओं के चलते थोड़ी कम हुई है, और यह गत जून में पार्टी के पीडीपी से गठबंधन तोड़कर महबूबा मुफ़्ती के नेतृत्व वाली सरकार से बाहर होने के बाद भी दिख रहा है. साथ ही इसके पीछे स्थानीय नेतृत्व, ख़ास कर पूर्व मंत्रियों और विधायकों के खिलाफ़ जनाक्रोश की भी भूमिका है. भाजपा को अपनी खोई ज़मीन हासिल करने का एक ही ज़रिया दिखता है कि विधानसभा चुनाव आम चुनाव के साथ हो.

जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन के तहत प्रशासन संभाल रहे राज्यपाल सत्यपाल मलिक भी दोनों चुनाव एक साथ कराने के पक्ष में हैं. उन्होंने इस बारे में राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों, ख़ास कर सुरक्षा से संबद्ध अधिकारियों, के साथ बैठकें भी की हैं.

राज्य प्रशासन ने जम्मू कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के ज़रिए भारतीय चुनाव आयोग को पहले ही सूचित कर दिया है कि आम चुनावों के साथ राज्य में चुनाव कराने में कोई समस्या नहीं आएगी.

भाजपा की योजना

जम्मू कश्मीर में भाजपा के लिए वोट बटोरने वाली मुख्य शख्सियत प्रधानमंत्री मोदी ही होंगे, पर पार्टी के प्रदेश नेतृत्व को स्पष्ट कह दिया गया है कि खोए जनाधार को हासिल करने के लिए उन्हें ज़्यादा ज़ोर लगाने की ज़रूरत है.

प्रदेश में पिछली बार हुए चुनाव में पार्टी ने 87-सदस्यीय विधानसभा में 25 सीटें जीत कर अभूतपूर्व सफलता हासिल की थी. पर पीडीपी से गठबंधन के कारण, जब सरकार में भाजपा जूनियर पर अधिक ताक़तवर साझीदार थी, पार्टी के जनाधार को ख़ासा नुकसान पहुंचा है. और पार्टी के गत जून में गठबंधन से अचानक बाहर निकलने के पीछे यही मुख्य कारण था.

उसके बाद से, भाजपा मुख्य रूप से राज्यपाल प्रशासन द्वारा किए गए विकास कार्यों को भुनाकर जनाधार फिर से मज़बूत करने की आस लगाए हुए है.

हाल के महीनों में, पार्टी के प्रदेश और केंद्रीय नेतृत्वों के बीच कई बैठकें हुई हैं. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव राम लाल और जम्मू कश्मीर मामलों के प्रभारी राम माधव की अगुआई में कई वरिष्ठ नेता इस सप्ताहांत राज्य के दौरे पर जाने वाले हैं.

भाजपा सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि पार्टी की योजना ‘कई अलोकप्रिय विधायकों’ की जगह नए चेहरों पर दांव खेलने की है.

एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने बताया, ‘हमारे कई विधायकों का प्रदर्शन स्तरीय नहीं रहा है और ये तय किया गया है कि आगामी विधानसभा चुनावों में उन्हें नहीं उतारा जाए. चुनाव प्रक्रिया शुरू होते ही हम उनकी जगह नए चेहरों को लाने की कवायद में जुट जाएंगे.’
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