आगरा: आगरा की एक एमपी/एमएलए अदालत ने शनिवार को 12 साल पुराने मारपीट मामले में इटावा से भाजपा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री राम शंकर कठेरिया को दो साल कैद की सजा सुनाई. उन पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया.
जब तक उनकी दोषसिद्धि पर रोक नहीं लग जाती, जैसा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मानहानि मामले में सुप्रीम कोर्ट से किया था, कठेरिया एक सांसद के रूप में अयोग्य घोषित रहेंगे और आगामी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ सकेंगे.
12 साल तक चली सुनवाई के बाद अदालत ने यह सजा सुनाई. सांसद पर 2011 में आगरा के साकेत मॉल में कंपनी के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन के दौरान बिजली वितरण कंपनी टोरेंट पावर के एक अधिकारी पर हमला करने का आरोप लगाया गया था. कठेरिया उस समय आगरा से सांसद थे. उस समय उन पर कंपनी के एक कार्यालय में तोड़फोड़ करने का भी आरोप लगाया गया था.
उन पर आईपीसी की धारा 147 (दंगा) और 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना) के तहत मामला दर्ज किया गया था. सांसद के खिलाफ हरीपर्वत थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी.
कठेरिया के वकील ने कहा कि वह जल्द ही सजा के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील दायर करेंगे. फिलहाल सांसद को जमानत मिल गई है.
कठेरिया 2009 से 2019 तक लगातार दो बार आगरा के सांसद रहे और अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान, उन्हें केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री नियुक्त किया गया, जिसे अब शिक्षा मंत्रालय कहा जाता है. बाद में उन्हें राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष बनाया गया. 2019 के चुनाव में कठेरिया को पार्टी आलाकमान ने इटावा भेज दिया, जहां से वह भारी मतों से निर्वाचित हुए.
कठेरिया ने आगरा में डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफेसर के रूप में भी काम किया. उन पर पहले कथित तौर पर आगरा विश्वविद्यालय में नौकरी हासिल करने के लिए अपनी दो डिग्री मार्कशीट में फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगाया गया था. 2015 में उन्हें इस मामले में बरी कर दिया गया. कठेरिया ने अपने चुनावी हलफनामे में अपने खिलाफ 20 अन्य लंबित मामलों का भी जिक्र किया.
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(संपादन: अलमिना खातून)
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