भुवनेश्वर, 11 मार्च (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ विधायक जयनारायण मिश्रा ने मंगलवार को राज्य गीत ‘बंदे उत्कल जननी’ पर आपत्ति जतायी। मिश्रा ने यह आपत्ति अपनी उस टिप्पणी को लेकर विवाद के बीच जतायी जिसमें उन्होंने कहा था कि पूर्ववर्ती कोसल क्षेत्र ने ओडिशा में शामिल होकर एक ‘ऐतिहासिक भूल’ की थी क्योंकि यह क्षेत्र उपेक्षित रहा है।
मिश्रा ने विधानसभा के बाहर संवाददाताओं से कहा कि ओडिशा का गठन 1936 में तीन क्षेत्रों – कलिंग (दक्षिणी), कोसल (पश्चिम) और उत्कल (तटीय) को मिलाकर किया गया था।
संबलपुर से विधायक मिश्रा ने कहा, ‘‘मुझे ओडिशा से एक राज्य के रूप में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन ‘बंदे उत्कल जननी’ गीत से मुझे आपत्ति है। अगर इसे बदलकर ‘बंदे ओडिशा जननी’ कर दिया जाए तो मुझे कोई आपत्ति नहीं होगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘राज्य गीत एक क्षेत्र का महिमामंडन करता है और इसमें दो अन्य क्षेत्रों का कोई उल्लेख नहीं है। इसलिए, मैं इसके खिलाफ हूं।’’
भाजपा के वरिष्ठ विधायक मिश्रा ने शनिवार को एक सरकारी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि 1936 में कोसल क्षेत्र का ओडिशा का हिस्सा बनना एक ऐतिहासिक भूल थी। उन्होंने कहा था, ‘इस क्षेत्र के लोगों ने ओडिशा में विलय के लिए आंदोलन में भाग लिया था। लेकिन यह हमारी सबसे बड़ी गलती थी।’
विपक्ष की इस आलोचना का जवाब देते हुए कि उनके बयान से ‘उड़िया अस्मिता’ को ठेस पहुंची है, मिश्रा ने कहा, ‘‘क्या ओडिशा की अस्मिता को तब ठेस नहीं पहुंची जब पूर्व मुख्यमंत्री उड़िया नहीं बोल पाये? अब जब मैं अपने क्षेत्र के विकास के बारे में आवाज उठा रहा हूं, तो इससे गौरव को ठेस पहुंच रही है?’’
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि कोई राज्य गीत या झंडा नहीं हो सकता। उन्होंने कहा, ‘‘‘ओडिशा तीन क्षेत्रों के विलय से बना है। इसलिए, गीत को बदला जाना चाहिए। केवल एक क्षेत्र का गुणगान किया जाता है, जबकि अन्य दो की उपेक्षा की जाती है। पश्चिमी क्षेत्र के लोग इसे स्वीकार नहीं कर सकते। सभी क्षेत्रों का विकास होना चाहिए और सत्ता का विकेंद्रीकरण होना चाहिए।’
‘बंदे उत्कल जननी’ को 1994 में बीजू पटनायक सरकार के दौरान विधानसभा द्वारा राज्य गीत के रूप में अपनाया गया था।
भाषा अमित रंजन
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