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Tuesday, 5 November, 2024
होमदेशलॉकडाउन में कोटा से बेटे को बिहार लाए भाजपा विधायक, प्रशांत किशोर ने नीतीश की मर्यादा पर उठाए सवाल

लॉकडाउन में कोटा से बेटे को बिहार लाए भाजपा विधायक, प्रशांत किशोर ने नीतीश की मर्यादा पर उठाए सवाल

भाजपा विधायक अनिल सिंह द्वारा उनके बेटे को कोटा से लाए जाने पर आरजेडी के मनोज झा ने कहा कि नीतीश कुमार दोहरे रवैये का सारी सीमांए पार कर गए हैं.

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नई दिल्ली: कोटा में फंसे बिहार के बच्चों के मामले ने एक नया मोड़ ले लिया है. बिहार के सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) के पूर्व उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने एक डॉक्युमेंट ट्वीट करके लिखा है कि बिहार में भाजपा के एक नेता विशेष अनुमति के साहरे अपने बेटे को घर वापस ले आए. सूबे के सीएम नीतीश कुमार की मर्यादा इस पर क्या कहती है?

ऐसे विवाद के बीच ट्विटर पर #NitishFailedCM भी ट्रेंड कर रहा है. वहीं, प्रशांत किशोर ने दिप्रिंट से कहा कि नीतीश कुमार आख़िर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तमाम राज्यों में फंसे बिहार के लोगों की मदद के लिए बात क्यों नहीं करते हैं जिनमें कोटा में फंसे बच्चे और प्रवासी मज़दूर शामिल हैं.

कोटा में फंसे बच्चों का मामला पिछले कुछ दिनों से लगातार विवादों में बना हुआ है. इस पर ट्वीट करते हुए किशोर ने लिखा, ‘कोटा में फंसे बिहार के सैकड़ों बच्चों की मदद की अपील को नीतीश कुमार ने यह कहकर ख़ारिज कर दिया था कि ऐसा करना #lockdown की मर्यादा के ख़िलाफ़ होगा. अब उन्हीं की सरकार ने बीजेपी के एक एमएलए को कोटा से अपने बेटे को लाने के लिए विशेष अनुमति दी है. नीतीश जी अब आपकी मर्यादा क्या कहती है?’

अपने बेटे को कोटा से लाने वाले भाजपा के हिसुुआ के विधायक का नाम अनिल सिंह है. सिंह को बिहार के नवादा सदर के सब डिविजनल मैजिस्ट्रेट के दस्तख़त वाली ये अनुमति 15 अप्रैल को दी गई थी. आदेश में उन्हें नवादा से कोटा जाने और वहां से वापस आने की अनुमति दी गई.

हालांकि, ये आदेश 15 अप्रैल का है लेकिन एक अन्य मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जब अन्य बच्चे कोटा प्रशासन से ऐसे ही आदेश के साथ कोटा से बिहार को चले और राज्य में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे तब उन्हें बॉर्डर पर रोक दिया गया. बाद में उन्हें होम क्वारंटाइन में रहने की शर्त पर उनके घर जाने दिया गया.

दिप्रिंट ने सिंह से फ़ोन और मैसेज के जरिए संपर्क करने की कोशिश की. ख़बर लिखे जाने तक उनका कोई जवाब नहीं आया. हालांकि, स्थानीय मीडिया से ताज़ा बातचीत में उन्होंने कहा, ‘मैं तय मानकों के हिसाब से अनुमति लेकर गया था. प्रक्रिया का पालन करते हुए अन्य परिजनों को भी अपने बच्चों को लेकर आना चाहिए.’

इस बारे में सवालिया लहज़े में किशोर ने दिप्रिंट से कहा, ‘आख़िर अपने लोगों की मदद करने के लिए नीतीश कुमार को पीएम मोदी और राज्य के मुख्यमंत्रियों से बात करने में क्या दिक्कत है?’ आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अपने राज्य के बच्चों को कोटा से वापस ले आई है.

कोटा से उत्तर प्रदेश के तकरीबन 7000 बच्चों को वापस लाने के लिए शुक्रवार को 300 बसें भेजी गई थीं. बिहार के विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने इसे लेकर कुमार पर हमला बोला और सवाल किया कि अगर भाजपा के शासन वाले राज्य लोगों को वापस ला रहे हैं तो बिहार में ऐसा क्यों नहीं हो रहा.

कोटा में मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी करने वाले बच्चों की संख्या 8000 के करीब है. हालांकि, तमाम हमलों के बाद भी कुमार इन्हें वापस लाने के मूड में नहीं दिखाई दे रहे क्योंकि योगी सरकार द्वारा बच्चों को वापस लाए जाने को उन्होंने लॉकडाउन का उल्लंघन और घोर अन्याय करार दिया जबकि इन राज्यों के लोगों का अन्य राज्यों में बुरा हाल है.

पहले चरण के लॉकडाउन के बाद दिल्ली से आई दर्दनाक तस्वीरों और कहानियों के ज़रिए पता चला कि कई लोग पैदल ही अपने घरों को निकल गए हैं. केंद्र और राज्य सरकारों की आंखें काफ़ी देर से खुलीं. दूसरे चरण के लॉकडाउन के बाद मुंबई से भी ऐसी ऐसी तस्वीरें आईं जिन पर जमकर राजनीति हुई.

कोटा के बच्चों और प्रवासी मज़दूरों को जैसा दंश झेलना पड़ा है उसकी वजह से कुमार को विपक्ष बिहार में लगातार घेर रहा है और इसी घेराबंदी का नतीजा है ट्विटर ट्रेंड #NitishFailedCM है. मामले पर लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल नेता मनोज झा ने कहा कि हिपोक्रेसी की भी सीमा होती है.

उन्होंने कहा कि अभी तो नीतीश कुमार योगी आदित्यनाथ पर सवाल उठा रहे थे और अभी उनका सहयोगी विधायक अपने बेटे को कोटा से ले आया. उन्होंने ये भी कहा कि पटना में ऐसी चर्चा है कि जो अहम तबके के लोग हैं वो भी अपने बच्चों को कोटा से ले आए हैं.

उन्होंने कहा, ‘आख़िरी बच्चों से लेकर प्रवासी मज़दूरों तक के मामले में कुमार ऐसा दोहरा रवैया क्यों अपना रहे हैं.’

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