नई दिल्ली/ जेएनयू : साल 2016 में ‘टुकड़े टुकड़े गैंग’ की धरती के नाम से देशभर में चर्चित हुआ जेएनयू कल 17 अगस्त को भारत माता और वंदे मातरम के नारों से गूंज उठा. दरअसल भाजपा की छात्र ईकाई एबीवीपी ने यूनिवर्सिटी पर लगे इस ठप्पे को हटाने के लिए हर 15 अगस्त को ’एक शाम शहीदों के नाम’ कार्यक्रम आयोजित कराने का फैसला लिया था. इस कार्यक्रम में देश को आजाद कराने वाले वीर जवानों के लिए देशभक्ति से ओत-प्रोत गाने गाए जाते हैं. कार्यक्रम कराने वालों का ऐसा मानना है कि देशभक्ति वाले गाने लेनिन और मार्क्स की शिक्षाओं पर भारी पड़ेंगे.
इस बार के कार्यक्रम में एक नहीं बल्कि भाजपा से जुड़े तीन बड़े गायकों को निमंत्रण दिया गया था. दिल्ली के दो भाजपा सांसदों मनोज तिवारी और हंसराज हंस के अलावा भोजपुरी गायक व भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ चुके दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को बुलाया गया. 2017 में इस कार्यक्रम में किसी बैंड को बुलाया गया था पर वो नहीं आया. 2018 में मनोज तिवारी आए थे.
साढ़े छह बजे शुरू होने वाले कार्यक्रम में मुख्य अतिथि 2 घंटे देरी से आए लेकिन मनोज तिवारी ने आते ही भाजपा समर्थित गुटों के निशाने पर रहे फिल्ममेकर अनुराग कश्यप की फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ के गाने ‘जिया हो बिहार के लाला’ से समां बांध दिया. गौरतलब है कि सरकार की आलोचना करने के बाद मिलनेवाली धमकियों से उकताकर अनुराग कश्यप ने अपना ट्विटर अकाउंट डिलीट कर दिया है.
अतिथियों के आने से पहले मंच संचालन कर रहे जेएनयू एबीवीपी के वाइस प्रेसिडेंट सुजीत शर्मा ने बार बार ‘सुहानी शाम के मुख्य अतिथियों’ का जिक्र करते हुए कहा कि टुकड़े–टुकड़े गैंग के इस कैंपस से हम राष्ट्रवाद की पताका फहरायेंगे. उन्होंने सोलह–सत्रह साल के युवाओं के बलिदान की बात भी कही. साथ ही सावरकर से कठोर तपस्या सीखने की बात कही. जब सुजीत मातरम–मातरम के नारे लगा रहे थे, पीछे बैठे चार–पांच फर्स्ट ईयर के छात्र हंसने लगे और कहा कि दूर से तो ये टोन और लहजा कन्हैया कुमार का ही लग रहा है. सुजीत शर्मा भी कन्हैया कुमार की तरह बिहार से हैं.
वहीं, मनोज तिवारी को पूर्व भोजपुरी गायक कहकर संबोधित किया गया. जैसा कि सांसद मनोज तिवारी गाने की बात पर गुस्सा हो जाया करते हैं, वैसा इस बार देखने को नहीं मिला. बल्कि ये संबोधन सुनकर वो गदगद हो गए. उन्होंने अपने गायकी के दिनों को याद करते हुए शेर भी दोहराया– मैं उस माटी का वृक्ष नहीं, जिसको नदियों ने सींचा है,
बंजर माटी में पल कर मैंने, मृत्यु से जीवन खींचा है!
एबीवीपी के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री श्री श्रीनिवास ने देश के भूतकाल और भविष्यकाल पर प्रकाश डालते हुए कहा– ‘2016 में जेएनयू में काफी घिनौना काम हुआ था. निरहुआ रिक्शावाला जेएनयू के प्रेम में पटना से फ्लाइट पकड़कर आए हैं. बच्चों, इस बार के चुनाव में नई इबारत लिख दो, देश बदल गया है, इसे भी बदल दो. इस टुकड़े टुकड़े गैंग ने इंदिरा गांधी को भी जेएनयू में रोका, मनमोहन सिंह को भी रोका, अब्दुल कलाम को भी रोका. इस गैंग को पहले ही रोक दिया जाता तो आज बच्चे डॉर्मिटरी में ही नहीं रहते. गिरिराज सिंह ने इस गैंग को बिहार में औकात दिखा दी. मॉस्को में बारिश होती है तो ये लोग छाता खोलकर खड़े हो जाते हैं. जैसे ‘मुन्नी बदनाम हुई’ वैसे ही जेएनयू को इन्होंने बदनाम कर दिया. ये कहते हैं विमर्श करो, अब हम कहते हैं कि आओ, विमर्श करते हैं. देश को गाली देकर ये मैग्सेसे जीत लेते हैं.’
तीनों गायकों के बीच आपस में काफी दोस्ती दिखी. मनोज तिवारी और निरहुवा ने खुद की जोड़ी अमित शाह और नरेंद्र मोदी की तरह जुगल जोड़ी की तरह बताया. निरहुवा ने भोजपुरी गाना ‘जुगल जोड़ी’ गाना गाया तो श्रोताओं में से किसी ने अमित शाह को मोटा भाई कह दिया.
रोचक बात ये भी रही कि मनोज तिवारी ने राजनीति छोड़ने के बाद हंसराज हंस की कुछ तस्वीरें लीक करने की बात कह दी. लेकिन बाद में क्लियर किया कि ऐसी वैसी तस्वीरों की बात नहीं हो रही है.
साबरमती ढाबे के पास वाले इस कार्यक्रम को बारिश के चलते एक किलोमीटर दूर कन्वेंशन सेंटर में रखा गया. विपक्षी छात्र संगठनों ने आरोप लगाते हुए कहा, ‘सुबह तक इनके पास कन्वेंशन हॉल में कार्यक्रम कराने की इजाजत नहीं थी. लेकिन कम समय में प्रशासन से मिलीभगत कर हॉल ले लिया. हम लोग इसी चीज के लिए हफ्तों प्रशासन की इजाजत का इंतजार करते हैं.’
600 लोगों की भीड़ के बीच हंसराज हंस ने जेएनयू की फुल फॉर्म पूछते हुए मनोज तिवारी की तरफ देखा तो उधर से जवाब आया– जवाहर. इतने में हंसराज हंस ने कहा, ‘अब तो इसका नाम संत आदमी मोदी जी के नाम पर होना चाहिए. जैसे एमएनयू.’ हालांकि एमएनयू की फुल फॉर्म पर चर्चा नहीं हुई.
इस दौरान बाकी पार्टियों जैसे आइसा, एसएफआई, बापसा और एआईएसएफ के लोग नदारद थे. ना ही कांग्रेस की छात्र ईकाई एनएसयूआई के लोग शरीक हुए. पूछने पर एनएसयूआई के एक छात्र ने बताया, ‘इस तरह छद्म देशभक्ति गानों और शेर ओ शायरी से जेएनयू के लोगों को फर्क नहीं पड़ता है. अब कमर और चुनरी वाले गायक हमें देशभक्ति सिखाएंगे ?’
आखिर में तीनों ही गायकों ने एक स्वर में कहा कि जेएनयू को निर्मला सीतारमण और एस जयशंकर की वजह से पहचाना जाना चाहिए ना कि ‘टुकड़े टुकड़े गैंग’ की वजह से. कुल मिलाकर मुआमला ये रहा कि जिनको देशभक्ति सिखाने के लिए ये कार्यक्रम रखा गया था वो ढाबों पर चाय की चुस्कियों के साथ बैठे ‘मार्क्स लेनिन’ पर डिबेट करते रहे.