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बुधवार, 23 अप्रैल, 2025
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बीजेपी नेता हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा- एनआरसी लिस्ट ‘गड़बड़’, बाहर होने चाहिए ज्यादा लोग

उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ भाजपा अब बांग्लादेश की सीमा से लगे जिलों में नागरिकता के 'पुन: सत्यापन' के लिए फिर से उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगी.

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गुवाहाटी : असम के वित्त मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार को कहा कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) से बाहर किए गए लोगों की संख्या अधिक होनी चाहिए थी क्योंकि 19 लाख लोगों को बाहर करने वाली सूची गलत थी.

सरमा ने कहा, ‘थोड़ा और अधिक (बहिष्करण) होना चाहिए था क्योंकि हमारे पास विरासत आंकड़े में हेरफेर के सबूत थे. हमने सोचा कि पुन: सत्यापन का आदेश दिया जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. मुझे लगता है कि संख्या थोड़ी रूढ़िवादी है, इसे और अधिक होनी चाहिए थी. 1951 एनआरसी और 24 मार्च 1971 तक के निर्वाचक नामावली को सामूहिक रूप से विरासत डेटा कहा जाता है.

उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ भाजपा अब बांग्लादेश की सीमा से लगे जिलों में नागरिकता के ‘पुन: सत्यापन’ के लिए फिर से उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगी.

भाजपा नेता ने कहा, ‘हम उच्चतम न्यायालय के समक्ष सीमावर्ती जिलों में 20 प्रतिशत पुन: सत्यापन का आदेश दिए जाए की मांग को जारी रखेंगे और शेष जिलों में 10 प्रतिशत पुन: सत्यापन का आदेश देने की अपील करेंगे.
उन्होंने कहा कि भाजपा राज्य में रहने वाले अधिक अवैध अप्रवासियों को निर्वासित करने के अपने प्रयासों को जारी रखेगी.

उन्होंने कहा कि बीजेपी राज्य में रह रहे अवैध प्रवासियों को बाहर करने के लिए लगातार कोशिश जारी रखेगी.
सरमा ने कहा, ‘केंद्र एक राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर की तैयारी के साथ सामने आएगा. असम को इसमें हिस्सा लेना चाहिए ताकि जो हम अभी हासिल नहीं कर सके उसे अगली कोशिश में हासिल कर सकें.

केंद्र और राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एनआरसी के मसौदे में 20 फीसदी नामों का फिर से सत्यापन कराने की मांग की थी. अदालत ने, हालांकि, इस महीने की शुरुआत में अनुरोध को खारिज कर दिया था.

1951 में असम में पहली बार प्रकाशित किया गया रजिस्टर, शीर्ष अदालत के आदेश पर अपडेट किया जा रहा है ताकि राज्य में रहने वाले भारतीय नागरिकों को बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने वाले लोगों से अलग किया जा सके.

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