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शनिवार, 26 अप्रैल, 2025
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भाजपा नेता ने स्मार्ट मीटर टेंडर प्रक्रिया में 15,568 करोड़ रुपये की ‘अनियमितता’ का आरोप लगाया

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बेंगलुरु, 25 मार्च (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सी एन अश्वथ नारायण ने मंगलवार को आरोप लगाया कि ‘बेंगलुरु इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी लिमिटेड’ (बीईएससीओएम) और अन्य इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनियों (ईएससीओएमएस) की स्मार्ट मीटर निविदा प्रक्रिया में लगभग 15,568 करोड़ रुपये की ‘अनियमितता’ हुई है।

अधिकारियों के अनुसार, स्मार्ट मीटर एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, जो बिजली की खपत, वोल्टेज स्तर, लोड और विभिन्न अन्य तकनीकी मापदंडों जैसे डेटा को रिकॉर्ड करता है।

यह जानकारी समय-समय पर सर्वर को प्रेषित की जाती है। निविदा प्रक्रिया में सिद्धरमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार पर ‘पक्षपात और अनियमितता’ करने का आरोप लगाते हुए विधायक ने दावा किया कि इस गड़बड़ी का पैमाना और भी बड़ा है और इस बात पर जोर दिया कि ईएससीओएमएस को कर्नाटक विद्युत नियामक आयोग (केईआरसी) के नियमों का पालन करना चाहिए।

पूर्व उपमुख्यमंत्री का बयान ऊर्जा विभाग द्वारा स्मार्ट मीटर लगाने में अनियमितता के आरोपों को खारिज करने के एक दिन बाद आया है। बीईएससीओएम के एमडी शिवशंकर ने जोर देकर कहा कि स्मार्ट मीटर का खरीद मूल्य वैज्ञानिक रूप से निर्धारित किया गया था और पूरी पारदर्शिता के साथ इस पर अमल किया गया।

संवाददाता को संबोधित करते हुए भाजपा नेता ने तर्क दिया कि कर्नाटक विद्युत विनियामक आयोग (केईआरसी) के नियम स्मार्ट मीटर के उपयोग को अनिवार्य नहीं बनाते हैं। उन्होंने कहा कि अस्थायी कनेक्शन के लिए स्मार्ट मीटर अनिवार्य किए जा सकते हैं, लेकिन उन्हें स्थायी और नए ग्राहकों के लिए लागू नहीं किया जा सकता है।

केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) के नियमों का हवाला देते हुए पूर्व मंत्री ने स्पष्ट किया कि नए उपभोक्ताओं के लिए स्मार्ट मीटर तभी अनिवार्य किए जा सकते हैं, जब सभी मौजूदा मीटरों को स्मार्ट मीटर से बदल दिया गया हो।

नारायण ने कहा, ‘‘केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के नियमों के तहत भी स्मार्ट मीटर अनिवार्य नहीं हैं। कर्नाटक सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम के तहत बोली क्षमता का उल्लेख निविदा में नहीं किया गया था। यह 6,800 करोड़ रुपये होनी चाहिए थी।’’

भाजपा विधायक ने बताया कि केटीपीपी अधिनियम के तहत, आवश्यक कारोबार 1,920 करोड़ रुपये होना चाहिए, जबकि निविदा का संशोधित अनुबंध मूल्य 107 करोड़ रुपये वार्षिक निर्दिष्ट किया गया था।

‘पारदर्शिता की कमी’ की आलोचना करते हुए अश्वथ नारायण ने कहा, ‘‘निविदा कुल राशि निर्दिष्ट किए बिना जारी की गई थी। केटीपीपी अधिनियम का पालन नहीं किया गया, न ही केंद्र सरकार के नियमों को लागू किया गया। स्मार्ट या डिजिटल मीटर बनाने या लगाने का कोई अनुभव न रखने वाले ठेकेदार पर विचार किया गया।’’

हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना और केरल जैसे कांग्रेस शासित राज्यों में कम लागत पर स्मार्ट मीटर लगाए जाने पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, ‘‘कर्नाटक में प्रत्येक मीटर की कीमत 17,000 रुपये है, जबकि अन्य राज्यों में कीमत 7,740 रुपये प्रति मीटर है।’’

इसी तरह के घोटाले में 2023 में बिहार के एक आईएएस अधिकारी और एक मंत्री को गिरफ्तार किए जाने की याद दिलाते हुए नारायण ने आरोप लगाया कि कर्नाटक सरकार ने हर स्तर पर केटीपीपी अधिनियम का उल्लंघन किया है।

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘यह दिनदहाड़े लूट है। (राज्य) सरकार को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। वे बिना किसी कानूनी समर्थन के स्मार्ट मीटर को अनिवार्य बना रहे हैं।’’

भाषा संतोष दिलीप

दिलीप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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