जयपुर, 31 अगस्त (भाषा) कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) लोकसभा चुनाव में अपने ‘400 पार’ के दावे को पूरा न कर पाने के बाद, विपक्ष की आवाज़ दबाने और ‘बैसाखियों’ के सहारे सत्ता बनाए रखने के लिए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री तथा मंत्रियों के 30 दिन तक हिरासत में रहने पर उन्हें पद से हटाने वाला कानून ला रही है।
टोंक जिला कांग्रेस कमेटी कार्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए, पूर्व उपमुख्यमंत्री ने शनिवार को कहा कि 400 से ज़्यादा सीटें जीतने का दावा करने वाली भाजपा 300 का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाई।
उन्होंने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ दल अब अपनी सरकार को बचाने और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के अपने सहयोगियों और विपक्ष के भीतर असंतोष को दबाने के लिए विधायी बदलावों का सहारा ले रहा है।
पायलट ने कहा कि भाजपा ने एक ऐसा विधेयक पेश किया है जो किसी मुख्यमंत्री या मंत्री को 30 दिनों से ज़्यादा जेल में रहने पर पद से हटाने का अधिकार देता है। उन्होंने इसे विपक्षी नेताओं को अस्थिर करने के लिए राजनीति से प्रेरित कदम बताया।
पूर्ववर्ती संप्रग सरकार की नीतियों पर प्रकाश डालते हुए, पायलट ने कहा कि मनरेगा, शिक्षा का अधिकार अधिनियम और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम जैसी योजनाओं ने खासकर कोविड महामारी जैसे संकट के दौरान लाखों लोगों को सशक्त बनाया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने लोकतांत्रिक आवाजों पर दमन करते हुए इन जनकल्याणकारी योजनाओं और संवैधानिक संस्थाओं को व्यवस्थित रूप से कमजोर किया है।
पायलट ने कहा कि भाजपा मतदान के संवैधानिक अधिकार को कमजोर करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सबूत पेश किए हैं कि भाजपा चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी कर रही है और वोट चुरा रही है।
उन्होंने कांग्रेस पर सवाल उठाने के लिए निर्वाचन आयोग की आलोचना की।
पायलट ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व वाली ‘मतदाता अधिकार यात्रा’ को व्यापक जनसमर्थन मिला है।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) की नियुक्ति प्रक्रिया में संशोधन पर सवाल उठाते हुए, पायलट ने कहा कि चयन समिति से भारत के प्रधान न्यायाधीश को हटाकर एक केंद्रीय मंत्री को शामिल करना निर्वाचन आयोग की स्वतंत्रता पर सवाल उठाता है।
उन्होंने कहा, ‘पहले, प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और प्रधान न्यायाधीश तय करते थे कि अगला मुख्य निर्वाचन आयुक्त कौन होगा। अब, प्रधान न्यायाधीश की जगह एक मंत्री ने ले ली है। इसकी मांग किसने की? यह प्रक्रिया को नियंत्रित करने का जानबूझकर उठाया गया कदम था।’
पायलट ने आरोप लगाया कि मतदाताओं के नाम हटाए जाने की जांच करने के बजाय, निर्वाचन आयोग कांग्रेस से हलफनामे और स्पष्टीकरण मांग रहा है।
उन्होंने आयोग पर राजनीतिक प्रवक्ता की तरह काम करने का भी आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब हम निर्वाचन आयोग से सवाल करते हैं, तो भाजपा के प्रवक्ता जवाब देते हैं। आयोग एक संवैधानिक संस्था है, लेकिन इसे व्यवस्थित रूप से कमजोर किया जा रहा है।’
बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण की आड़ में मतदाता सूचियों से कथित तौर पर बड़े पैमाने पर नाम हटाए जाने का जिक्र करते हुए, पायलट ने कहा कि राहुल गांधी के अभियान ने मतदाताओं को दबाने की पूरी व्यवस्था को उजागर कर दिया है।
राजस्थान पुलिस उपनिरीक्षक भर्ती परीक्षा रद्द करने के राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए पायलट ने आरपीएससी के पुनर्गठन की अपनी मांग दोहराई।
उन्होंने कहा, ‘ राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) में अनियमितताओं के बारे में चिंता जताने वाला मैं पहला व्यक्ति था। मैंने कहा था कि इसका पुनर्गठन होना चाहिए, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ। सरकार यह नहीं बता रही है कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है।’
उन्होंने राज्य सरकार पर अपने अड़ियल रवैये के कारण स्थानीय निकाय और पंचायत चुनावों से बचने का आरोप लगाया और इस बात पर ज़ोर दिया कि किसानों को फसल नुकसान का समय पर मुआवजा नहीं मिल रहा है।
पायलट ने कहा कि सरकार में विभागों के बीच समन्वय और जवाबदेही का अभाव है।
भाषा कुंज नोमान
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