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Sunday, 22 December, 2024
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त्रिपुरा, नागालैंड में वापसी कर सकता है BJP गठबंधन, मेघालय में पिछड़ रहा

मेघालय में 3 सीटों पर आगे चल रही भाजपा के अपने दम पर बहुमत हासिल करने से चूकने की संभावना है और अगर राज्य में सरकार बनाना है तो चुनाव के बाद गठबंधन की तलाश करनी पड़ सकती है.

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नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और इसके सहयोगी आईपीएफटी व एनडीपीपी के त्रिपुरा और नागालैंड की सत्ता में वापसी की संभावना है, ऐसा नॉर्थ-ईस्ट के दो राज्यों में ताजा रुझानों से सामने आया है.

हालांकि, मेघालय में 3 सीटों पर आगे चल रही भाजपा के अपने दम पर बहुमत हासिल करने से चूकने की संभावना है और अगर राज्य में सरकार बनाना है तो चुनाव के बाद गठबंधन की तलाश करनी पड़ सकती है.

ताजा रुझानों के मुताबिक, जिसे चुनाव आयोग ने 2:30 पर साझा किया है, बीजेपी ने अभी तक त्रिपुरा में 13 सीटें जीती है और 20 सीटों पर आगे चल रही थी, जो कि आसानी 60 सीटों वाली विधानसभा में 31 के आधे अंक के पार जा सकती है.

त्रिपुरा में भाजपा की सहयोगी पार्टी इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) ने अभी तक एक सीट जीती है.

राज्य के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने कांग्रेस के आशीष साहा को टाउन बोरडोवली से 1,257 वोटों के अंतर से हराया है.

सीपीआई(एम) और कांग्रेस जो कि केरल में कट्टर प्रतिद्वंद्वी हैं, भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए साथ आए हैं. ताजा रुझानों के अनुसार, सपीआई(एम) ने 1 सीट जीती हैं और 10 सीटों पर आगे चल रही थी जबकि कांग्रेस ने 1 सीट जीती हैं और 2 सीटों पर आगे चल रही थी.

त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में किंगमेकर की भूमिका निभा सकने वाली टिपरा मोथा पार्टी ने 8 सीटें जीतीं हैं और 4 पर आगे चल रही थी.

ताजा रुझानों के मुताबिक, बीजेपी, जिसने नागालैंड में 20 सीटों पर चुनाव लड़ा है, 6 सीटें जीती हैं और 6 सीटों पर आगे चल रही थी. इसकी सहयोगी नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) जो कि 40 सीटों पर चुनाव लड़ा है, 12 सीटें जीती हैं और 12 सीटों पर आगे चल रही थी.

जेडीयू 1 सीट पर आगे थी, जबकि एनसीपी ने 2 सीटें जीती हैं और 5 पर आगे थी. एनपीपी ने 2 सीटें जीती हैं और 3 सीटों पर आगे थी, जबकि एनपीएफ 2 सीटों पर आगे थी.

पड़ोसी राज्य मेघालय में सत्ताधारी नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने 6 सीटें जीती है और 19 पर आगे चल रही थी, जबकि बीजेपी 3 सीटों पर आगे थी.

टीएमसी, जो कि राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी है, 1 सीट जीती है और 4 सीटों पर आगे चल रही थी, जबकि कांग्रेस ने 3 सीटें जीती है और 2 सीटों पर आगे चल रही थी.

पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट 2 सीटों पर आगे था जबकि यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी ने 5 सीटें जीती हैं और 6 सीटों पर आगे चल रही थी.

इसके अलावा मेघालय में ताजा रुझानों के मुताबिक, त्रिशंकु विधानसभा के हालात के आसार है, जहां एनपीपी ज्यादा संभावना है अकेली सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरेगी.

मेघालय के मुख्यमंत्री कोरनाड संगमा साउथ तुरा विधानसभा क्षेत्र में आगे चल रहे थे, और 49.42 प्रतिशत वोट शेयर के साथ कुल 10,090 वोट हासिल किए थे.

बीजेपी जिसने 2018 में वामदलों से राज्य को छीनकर इतिहास रचा था, राज्य में अधिकांश एक्जिट पोल अनुमानों में अपने प्रतिद्वंद्वियों से आगे रहने की बात कही गई थी.

पूर्वोत्तर के इस राज्य ने कांग्रेस और सीपीआईएम के रूप में त्रिकोणीय मुकाबला देखा, जो वर्षों से कट्टर प्रतिद्वंद्वी रहे हैं, ने सत्तारूढ़ भाजपा को हराने के लिए चुनाव पूर्व गठबंधन किया है.

60 सदस्यों वाली त्रिपुरा विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 30 है और एग्जिट पोल्स ने बीजेपी की उसके प्रतिद्वंद्वी के विरुद्ध साफ बढ़त का अनुमान लगाया था.

बीजेपी ने 2018 से पहले त्रिपुरा में एक भी सीट नहीं जीती थी. आईपीएफटी के साथ गठबंधन करके पिछले चुनाव में सत्ता में आई थी और वाम मोर्चे को बाहर कर दिया था, जिसने 1978 से इस बॉर्डर राज्य में 35 साल से सत्ता में था.

बीजेपी ने 55 सीटों पर चुनाव लड़ा था और इसकी सहयोगी, आईपीएफटी ने 6 सीटों पर. लेकिन दोनों सहयोगियों ने अम्पीनगर विधानसभा क्षेत्र जो कि गोमती जिले में है, उम्मीदवार उतारे थे.

वाम मोर्चा ने 47 सीटों पर चुनाव लड़ा और कांग्रेस ने 13 सीटों पर. कुल 47 सीटों में सीपीएम ने 43 सीटों पर जबकि फॉरवर्ड ब्लॉक, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) और रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) ने 1-1 सीटों पर चुनाव लड़ा था.

बीजेपी ने 2018 के चुनाव में 36 सीटें जीती थीं और उसका कुल वोट शेयर 43.59 प्रतिशत था. सीपीआई(एम) ने 42.22 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 16 सीटें जीती थीं. आईपीएफटी ने 8 सीटें जीती थीं जबकि कांग्रेस खाता भी नहीं खोल सकी थी.

1988 और 1993 के बीच के अंतराल के साथ, सीपीआई-एम के नेतृत्व वाले वाममोर्चे ने राज्य में लगभग 4 दशकों तक शासन किया, जब कांग्रेस सत्ता में थी लेकिन अब दोनों पार्टियां बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के इरादे से एक साथ आई हैं.


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