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Sunday, 6 April, 2025
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वक्फ विधेयक पर रुख बदलने को लेकर बीजद का आंतरिक असंतोष सामने आया

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भुवनेश्वर, छह अप्रैल (भाषा) ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के नेतृत्व वाले बीजू जनता दल (बीजद) में सब कुछ ठीक नहीं लग रहा है क्योंकि हाल में संसद में पारित वक्फ (संशोधन) विधेयक पर बीजद के रुख में कथित बदलाव के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने अपनी आपत्तियां व्यक्त की हैं।

पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने बीजद में मौजूदा स्थिति को ‘काल बैशाखी’ जैसा बताया, वहीं विधानसभा में पार्टी के उपनेता और पूर्व सांसद प्रसन्न आचार्य ने वक्फ विधेयक का विरोध न करने के पार्टी के कथित फैसले के पीछे किसी ‘बाहरी ताकत’ का हाथ होने का संदेह जताया।

ऐसा लगता है कि यह दरार धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है, क्योंकि बीजद के कार्यकर्ता पार्टी के रुख में आए बदलाव की निंदा कर रहे हैं, जिससे पार्टी की धर्मनिरपेक्ष साख दांव पर लग गई है।

हालांकि, आचार्य ने पार्टी के रुख का बचाव करते हुए कहा कि विधेयक के संबंध में निर्णय में बदलाव हुआ, लेकिन बीजद अपनी धर्मनिरपेक्ष साख को कायम रखे हुए है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी पार्टी धर्मनिरपेक्ष है और हम राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) दोनों से समान दूरी बनाए रखते हैं। क्षेत्रीय पार्टी के रूप में बीजद ओडिशा के हितों पर आधारित किसी भी मुद्दे का समर्थन या विरोध करता है।’’

विधानसभा में पूर्व में नेता प्रतिपक्ष रहे भूपेंद्र सिंह ने भी वक्फ विधेयक मुद्दे पर पार्टी के भीतर असंतोष को स्वीकार किया।

सिंह ने कहा, ‘‘पार्टी के भीतर असंतोष है और हमें इसे स्वीकार करना चाहिए। हालांकि, हमारे नेता नवीन पटनायक स्थिति को संभालने में सक्षम हैं।’’

उन्होंने कहा कि पटनायक ने धार्मिक भेदभाव के बिना हमेशा सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा दिया है।

यह विवाद तब शुरू हुआ जब राज्यसभा में बीजद के नेता सस्मित पात्रा ने एक संदेश पोस्ट किया जिसमें कहा गया कि पार्टी के सदस्य अपनी अंतरात्मा के आधार पर वक्फ विधेयक पर मतदान करने के लिए स्वतंत्र हैं। यह बयान पार्टी के पहले के निर्णय के विपरीत था, जिसमें संसदीय दल ने विधेयक का विरोध करने का संकल्प लिया था।

आचार्य ने स्वीकार किया कि पार्टी के भीतर इस बात पर व्यापक चर्चा हुई है कि बीजद का रुख किसने बदला और क्या कोई ‘‘बाहरी ताकत’’ निर्णय को प्रभावित कर रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘पार्टी के पक्ष और विपक्ष में काम करने वाली ताकत कौन है? सभी नेता इस बात पर एकमत हैं कि ऐसे फैसले संसदीय दल की तरह पार्टी फोरम में लिए जाने चाहिए। अगर फैसले बाहरी ताकतों द्वारा लिए जाएंगे तो पार्टी को समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।’’

आचार्य ने कहा कि पात्रा वह व्यक्ति नहीं हैं जिन्होंने वक्फ विधेयक पर पार्टी के रुख को बदला है। आचार्य ने कहा, ‘‘पात्रा को विदेश दौरे से वापस आने दीजिए…एक बार जब वह इस बारे में बोलेंगे कि उन्हें पार्टी का फैसला बदलने का निर्देश किसने दिया तो सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा।’’

इस बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष नरसिंह मिश्रा ने आरोप लगाया कि बीजद के लिए कोई और निर्णय ले रहा है, जबकि पटनायक प्रभावी रूप से ‘‘घर में नजरबंद’’ हैं।

उन्होंने भाजपा और बीजद के बीच संभावित ‘‘सौदेबाजी’’ का भी आरोप लगाया और कहा कि यह वक्फ विधेयक पर पार्टी के रुख में बदलाव की वजह हो सकती है।

भाजपा सांसद बलभद्र माझी ने बीजद पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘पार्टी के पास कोई विचारधारा या मार्गदर्शक सिद्धांत नहीं है और इसका संचालन अनुभवहीन नेतृत्व कर रहा है। यह पार्टी जल्द ही राज्य के राजनीतिक परिदृश्य से गायब हो जाएगी।’’

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वक्फ (संशोधन) विधेयक-2025 को शनिवार को अपनी मंजूरी दे दी जिसे पिछले दिनों संसद ने पारित किया था।

भाषा आशीष संतोष

संतोष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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