इंदौर (मध्यप्रदेश), नौ अप्रैल (भाषा) पारंपरिक प्लास्टिक से पर्यावरण को होने वाली समस्याओं का हरित समाधान पेश करते हुए इंदौर के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) ने देशी सूक्ष्मजीवों की मदद से ‘‘बायो प्लास्टिक’’ बनाने की तकनीक विकसित की है। आईआईटी के एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी।
अधिकारी ने बताया कि आईआईटी इंदौर के अनुसंधान दल ने देश में पाए जाने वाले सूक्ष्म शैवाल और बैक्टीरिया के खास समूह की मदद से ‘बायो प्लास्टिक’ बनाने के लिए किफायती और टिकाऊ तकनीक विकसित की है।
उन्होंने बताया,‘‘इस तकनीक के जरिये बड़े पैमाने पर बायो प्लास्टिक का औद्योगिक उत्पादन किया जा सकता है। इस तकनीक से पैकेजिंग, स्वास्थ्य और कृषि के क्षेत्रों में इस्तेमाल होने वाले उत्पादों के साथ ही अलग-अलग उपभोक्ता वस्तुएं तैयार की जा सकती हैं। इससे उद्योगों की पारम्परिक प्लास्टिक पर निर्भरता घट सकती है।’
अधिकारी ने कहा कि इन सूक्ष्मजीवों की मदद से कार्बन डाइऑक्साइड, सूर्य के प्रकाश और औद्योगिक अपशिष्ट जैसे सामान्य संसाधनों का उपयोग करके ‘पॉलीहाइड्रॉक्सीअल्केनोएट्स (पीएचए)’ नाम का ‘‘बायो प्लास्टिक’’ विकसित किया जा सकता है।
‘पीएचए’, प्राकृतिक रूप से सड़कर नष्ट होने वाला पर्यावरण हितैषी प्लास्टिक है।
अधिकारी ने बताया,’बायोप्लास्टिक बनाने के लिए आईआईटी इंदौर की विकसित तकनीक चक्रीय जैव-अर्थव्यवस्था के लिए वैश्विक प्रयासों के मुताबिक है। इस तरह की अर्थव्यवस्था में अपशिष्ट पदार्थों को कीमती संसाधनों में बदला जाता है जिससे एक टिकाऊ उत्पादन चक्र का निर्माण होता है।’
भाषा हर्ष नोमान
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