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Thursday, 20 February, 2025
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मध्यप्रदेश में ‘बॉयो फ्यूल योजना-2025’ को मंजूरी, हरित ऊर्जा और रोजगार सृजन को मिलेगा बढ़ावा

इस ऐतिहासिक पहल से मध्यप्रदेश को जैव ईंधन उत्पादन का प्रमुख केंद्र बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी.

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नई दिल्ली: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बॉयो फ्यूल योजना-2025 को प्रदेश की आर्थिक समृद्धि और हरित ऊर्जा उत्पादन की दिशा में क्रांतिकारी पहल बताया है. यह योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाइफ स्टाइल फॉर एनवायरमेंट (एलआईएफई) अभियान के अनुरूप है, जिसमें सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी गई है.

इस योजना के तहत बॉयो फ्यूल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स, बॉयो ऊर्जा संयंत्र और सप्लाई चेन के विभिन्न स्तरों पर रोजगार के अवसर सृजित होंगे. साथ ही, प्रदेश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने और औद्योगिक विकास को गति देने में भी यह योजना सहायक होगी.

प्रदेश सरकार ने बॉयो फ्यूल उत्पादन संयंत्रों की स्थापना के लिए भूमि आवंटन, कर रियायतें और निवेश प्रोत्साहन देने का निर्णय लिया है. 200 करोड़ रुपये तक के निवेश पर प्रोत्साहन मिलेगा, जबकि बिजली, पानी, सड़क और अपशिष्ट प्रबंधन के लिए 50% अनुदान (अधिकतम 5 करोड़ रुपये तक) दिया जाएगा.

बॉयो फ्यूल उत्पादन में बॉयो सीएनजी, बॉयो मास ब्रिकेट, पेलेट और बॉयोडीजल शामिल होंगे. किसानों को कृषि उपकरणों पर सब्सिडी, बॉयो मास और खाद की बिक्री सुनिश्चित करने की व्यवस्था की जाएगी. सरकारी भूमि को कलेक्टर दर के 10% वार्षिक शुल्क पर उपलब्ध कराया जाएगा.

ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में होगी योजना की प्रस्तुति

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि 24-25 फरवरी 2025 को भोपाल में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में इस योजना को प्रमुखता से प्रस्तुत किया जाएगा, जिससे देश-विदेश के निवेशकों को हरित ऊर्जा और सतत विकास की संभावनाओं से जोड़ा जा सके.

इस ऐतिहासिक पहल से मध्यप्रदेश को जैव ईंधन उत्पादन का प्रमुख केंद्र बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी.

मुख्यमंत्री यादव ने बताया कि बॉयो फ्यूल यूनिट लगाने के लिए सरकार 200 करोड़ रुपये तक की आर्थिक सहायता (बुनियादी निवेश प्रोत्साहन – बीआईपीए) देगी. इसके अलावा, बिजली, पानी, गैस पाइपलाइन, सड़क, जल निकासी और अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली (ईटीपी, एसटीपी, प्रदूषण नियंत्रण उपकरण) जैसी सुविधाओं के विकास के लिए 50% तक की मदद (अधिकतम 5 करोड़ रुपये तक) दी जाएगी.

सरकार विद्युत शुल्क और ऊर्जा विकास उपकर में 10 साल तक छूट देगी। साथ ही, अगर कोई 500 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करता है, तो उसे विशेष पैकेज दिया जाएगा. इसके अलावा, आईपीआर (बौद्धिक संपदा अधिकार) और क्वालिटी कंट्रोल को भी इस योजना में शामिल किया गया है.


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