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Thursday, 25 April, 2024
होमदेश‘कश्मीर की आज़ादी तक शांति संभव नहीं’, OIC की बैठक में बोले बिलावल- कश्मीरियों को हमारा समर्थन जारी रहेगा

‘कश्मीर की आज़ादी तक शांति संभव नहीं’, OIC की बैठक में बोले बिलावल- कश्मीरियों को हमारा समर्थन जारी रहेगा

इस्लामिक देशों के संगठन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन की बैठक में बोलते हुए बिलावल भुट्टो ने कहा, ‘जब तक कश्मीर आजाद नहीं हो जाता है कश्मीरियों के संघर्ष को हमारा राजनयिक, नैतिक और राजनीतिक समर्थन जारी रहेगा.’

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नई दिल्ली: पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने कश्मीर को लेकर एक बार फिर राग अलापा है. इस बार मंच था इस्लामिक देशों के संगठन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन की बैठक का. बैठक के उद्घाटन सत्र के अपने भाषण दौरान बिलावल ने कहा कि पाकिस्तान कश्मीरियों की आजादी को लेकर अपना समर्थन देता रहेगा. उन्होंने कहा, ‘जब तक कश्मीर आजाद नहीं हो जाता है कश्मीरियों के संघर्ष को हमारा राजनयिक, नैतिक और राजनीतिक समर्थन जारी रहेगा. हम उनके संघर्ष के साथ खड़े रहेंगे.’

बिलावल ने कहा कि कश्मीरी और पाकिस्तानी भूगोल, इतिहास और संस्कृति से बंधे हुए हैं जिसके कारण कश्मीरियों के समर्थन की जरूरत है.

कश्मीर की आजादी के बिना शांति संभव नहीं

मंच को संबोधित करते हुए बिलावल ने कहा कि जब तक भारत सरकार कश्मीर का मुद्दा हल नहीं कर लेती तब तक भारत और पाकिस्तान के बीच कोई स्थाई शांति नहीं हो सकती.

उन्होंने कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी एक संकल्प अपनाया था कि जम्मू-कश्मीर की आजादी के लिए उसकी देखरेख में जनमत संग्रह हो और लोगों को उनके अधिकार का प्रयोग करने का मौका मिलना चाहिए. लेकिन भारत संयुक्त राष्ट्र के फैसले से पीछे हट गया.’

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बिलावल ने आरोप लगाया कि भारत ने कश्मीर को धोखाधड़ी और ताकत के दम पर नियंत्रण में रखा.

उन्होंने OIC से कश्मीर पर उचित और प्रभावी योजना बनाने की भी अपील की.

कुछ दिन पहले भी बिलावल भुट्टो ने यूएन में भी कश्मीर का मुद्दा उठाया था. हालांकि बिलावल ने उस वक्त स्वीकार किया था कि पाकिस्तान यूएन में कश्मीर का मुद्दा उठाने में नाकाम रहा.

कश्मीर के अलावा बिलावल ने इजरायल-फिलिस्तीन विवाद के मुद्दों को मंच से उठाया. उन्होंने कहा कि येरूशलम स्थित  ‘अल अक्सा मस्जिद’ और इजरायल के कब्जे वाले फिलिस्तीनी इलाके पर OIC को ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने 1967 में हुए सीमा समझौते के हिसाब से फिलिस्तीनी राज्य की जमीन को वापस करने की वकालत की.


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