नई दिल्ली: बिहरा के जल संसाधन विभाग बाढ़ के संभावित प्रभावों से निपटने के लिए तटबंधों की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु पूरी तरह सतर्क हो गया है और तैयारियों को तेजी से आगे बढ़ा रहा है. इस दिशा में विभाग ने तटबंधों की मजबूती और टिकाऊपन सुनिश्चित करने के लिए जियो-ट्यूब तकनीक का उपयोग शुरू किया है.
जियो-ट्यूब एक विशेष प्रकार की भू-प्रौद्योगिकीय सामग्री (जियो टेक्सटाइल) से निर्मित होती है, जिसमें नदी के तल से निकाली गई सिल्ट भरी जाती है. इस काम के लिए मड पंप का इस्तेमाल होता है. पंप के नीचे लगे कटर नदी की तलहटी की रिवर बेड मैटेरियल को काटकर जियो-ट्यूब के अंदर भर देते हैं. इस प्रक्रिया से न केवल जियो-ट्यूब भरी जाती है, बल्कि नदी की तलहटी की सफाई और गाद निकालने का काम भी स्वतः हो जाता है.
जियो-ट्यूब पूरी लंबाई में एकीकृत रूप से काम करता है, जिससे यह एक ठोस संरचना की तरह व्यवहार करता है. जब बाढ़ या तेज जल प्रवाह के दौरान इसे जमीन की सतह पर बिछाया जाता है, तो इसकी सतह समतल रहती है और इसे आसानी से स्थापित किया जा सकता है. इससे तटबंध की सुरक्षा और मजबूती में वृद्धि होती है.
इसमें भरी गई नदी की मैटेरियल का भार काफी अधिक होता है, जिससे सामान्य परिस्थितियों में जियो-ट्यूब के खिसकने या बह जाने की संभावना कम हो जाती है. यह विधि पारंपरिक निर्माण तरीकों की तुलना में अधिक टिकाऊ, मजबूत और प्रभावकारी मानी जाती है.
जल संसाधन विभाग के इस प्रयास से तटबंधों को बाढ़ से बेहतर सुरक्षा मिलेगी और साथ ही दीर्घकालिक रूप से नदी किनारे क्षेत्रों की संरचनात्मक स्थिरता भी बनी रहेगी. यह कदम न केवल वर्तमान में बाढ़ नियंत्रण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि भविष्य में भी नदी तटबंधों की सुरक्षा के लिए एक मजबूत आधार तैयार करेगा.
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