पटना: बिहार में लोग शायद ही उन्हें उनके असली नाम से जानते हों, लेकिन कोविड-19 के रोगियों के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाले गौरव राय को ‘ऑक्सीजन मैन’ के तौर पर जीवन रक्षक के रूप में तुरंत पहचाना जाता है.
पटना निवासी गौरव राय ने एक मिशन के तहत राज्य की राजधानी और बिहार के अन्य हिस्सों में घर में पृथक-वास में रह रहे कोविड-19 के एक हजार से अधिक मरीजों की जान बचाने में मदद की है.
एक साक्षात्कार के दौरान उन्होंने कहा, ‘कोरोना महामारी की दूसरी लहर में पटना में ही बहुत अधिक जरूरतंमद मरीजों को 365 ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराए गए हैं.‘
ऐसे समय में जब बिस्तर और ऑक्सीजन की कमी के कारण अस्पताल मरीजों को लौटा रहे हैं, राय एक मसीहा के रूप में सामने आए और कई रोगियों ने कहा कि उनके प्रयासों के कारण एक नया जीवन दान मिला है.
पटना में कारों के लिए हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट बनाने वाली निजी कंपनी में काम करने वाले 52 वर्षीय राय और उनकी पत्नी अरुणा भारद्वाज 10 किलो के 250 से अधिक सिलेंडर के साथ एक ‘ऑक्सीजन बैंक‘ संचालित करते हैं.
खुद बीमार हुए तो लोगों की बेहाली को जाना
राय ने कहा कि इसका विचार उन्हें उस समय आया जब वह पिछले साल जुलाई में इस घातक वायरस का शिकार हो गए थे.
उन्होंने कहा, ‘मुझे पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां मैंने ऑक्सीजन सिलेंडर के सख्त जरूरत कोविड रोगियों की निराशाजनक स्थिति देखी.’
राय ने कहा, ‘मैंने अपनी पत्नी से कहा कि अगर भगवान मुझे नया जीवन दान देते हैं तो मैं मानव जाति के लिए कुछ करूंगा. मैं कुछ दिनों में ठीक हो गया था और ऐसा लगता था कि ईश्वर ने वास्तव में मेरे लिए यह काम चुना था.’
उन्होंने कहा, ‘ अपने वेतन के एक हिस्से को अलग कर और पत्नी और कुछ करीबी दोस्तों की वित्तीय मदद के साथ मैंने पिछले साल जुलाई महीने के अंत में सिर्फ तीन ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ इस आक्सीजन बैंक की शुरूआत की और फिर स्टॉक को 54 तक बढ़ाया.‘
राय ने कहा कि बाद में बिहार फाउंडेशन से भी मदद मिली जिसने 200 ऑक्सीजन सिलेंडर दान स्वरूप दिए.
बिहार फाउंडेशन 2010 में उद्योग विभाग द्वारा गठित एक स्वतंत्र निकाय है, जो अनिवासी बिहारियों तक पहुंचने का प्रयास करता है.
राय ने बताया कि मार्च 2020 में महामारी के प्रकोप के बाद से हमने पटना और राज्य के अन्य हिस्सों में कुल 1103 रोगियों को सिलेंडर प्रदान किए हैं.
यह ऑक्सीजन बैंक पटना के अलावा अन्य जिलों बक्सर, भागलपुर, सीवान, गोपालगंज, गया, अरवल, पूर्वी चंपारण, जहानाबाद, वैशाली, नालंदा, बेगूसराय और मधेपुरा में सेवाएं प्रदान करता है.
इस ‘ऑक्सीजन मैन‘ के लिए दिन की शुरुआत सुबह पांच बजे होती है जो अपनी कार से गंभीर कोविड मरीजों के लिए सिलेंडर पहुंचाते हैं.
राय ने कहा, ‘ऑक्सीजन सिलेंडरों की बढ़ती मांग के मद्देनजर मैं मरीजों के परिवार के सदस्यों से पटना के श्रीकृष्णानगर मुहल्ले स्थित अपने निवास से प्राप्त करने का अनुरोध करता हूं. इसके बाद हम प्राप्तकर्ताओं को इसे कैसे संचालित करते हैं, इसका एक वीडियो भेज देते हैं.’
उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन सिलेंडर पहले उन लोगों को मिले, जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है, यह सुनिश्चित करने के लिए वे डॉक्टरों के नुस्खों पर जोर देते हैं.
राय ने कहा कि पटना स्थित एक प्रतिष्ठान ‘कुमार एंटरप्राइजेज‘ द्वारा उनके खाली सिलेंडर को मात्र 100 रुपये में फिर से भर दिया जाता है.
राय ने कहा, ‘ हमारा ऑक्सीजन बैंक मुफ्त सिलेंडर देता है. इस उद्देश्य के लिए मैं अपने वेतन का 20,000 रुपये और अपनी पत्नी की कमाई का भी हिस्सा खर्च करता हूं.‘
पटना के पुरंदरपुर के निवासी पवन सिंह ने कहा कि वह राय को अपने कोरोना वायरस संक्रमित पिता के लिए ‘संजीवनी‘ (सिलेंडर) ले जाने वाले एक ‘देवदूत’ के रूप में देखते हैं.
पुणे में काम करने वाले आशीष कुमार ने कहा कि राय एक मसीहा से कम नहीं जिन्होंने पिछले साल दिसंबर में उनके पिता की जान बचाई थी.