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Friday, 19 April, 2024
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बिहार के पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय ने लिया वीआरएस, विधानसभा चुनाव लड़ने की संभावना

गुप्तेश्वर पांडेय ने 2009 में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए समय से पहले सेवानिवृत्ति ले ली थी, लेकिन बाद में राज्य सरकार ने उनकी वीआरएस याचिका स्वीकार नहीं की और उन्हें पुलिस सेवा में बहाल कर दिया था.

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पटना: बिहार विधानसभा के चुनाव से ठीक पहले राज्य के पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय ने मंगलवार को अचानक स्वैच्छिक सेवानिवृति ले ली. बिहार के गृह विभाग द्वारा मंगलवार की देर शाम जारी एक अधिसूचना में कहा गया है कि राज्यपाल फागू चौहान ने पांडेय के अनुरोध को मंजूरी दे दी है

अपर पुलिस महानिदेशक (मुख्यालय) जितेंद्र कुमार ने बताया कि भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी एसके सिंघल को बिहार के पुलिस महानिदेशक के पद का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है.

सिंघल वर्तमान में महानिदेशक (होमगार्ड्स) के पद तैनात हैं.

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी पांडेय बक्सर जिले के रहने वाले हैं और ऐसा कयास लगाया जा रहा है कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं.

पांडेय हाल में अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले में महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार के नीतीश कुमार सरकार पर हमले को लेकर बिहार सरकार के बचाव के लिए सुर्खियों में रहे थे.

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हालांकि एक पुलिस अधिकारी के लिए राजनीतिक-के साथ-बॉलीवुड तमाशे के बीच सुर्खियों में छा जाना दुर्लभ मामला हो सकता है, पांडेय जैसा पुलिस अधिकारी कोई और नहीं रहा है.


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जून में जब सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले में जिस तरह से गुप्तेश्वर पांडेय मुंबई पुलिस से सीधी लड़ाई लड़ी थी उसके बाद यह आशंका तेज हो गई थी कि 2021 फरवरी में रिटायर हो रहे पांडेय कभी भी पद से इस्तीफा दे सकते हैं और आगामी विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं.

हालांकि इससे पहले गुप्तेश्वर पांडेय ने 2009 में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए समय से पहले सेवानिवृत्ति ले ली थी, लेकिन बाद में राज्य सरकार ने उनकी वीआरएस याचिका स्वीकार नहीं की और उन्हें पुलिस सेवा में बहाल कर दिया था.
वैसे सुशांत मौत मामले में भी जब उनसे पूछा गया था कि क्या वह राजनीति में कदम रखेंगे तो उन्होंने दिप्रिंट से बातचीत में कहा था,’ मैं हां या ना नहीं कर रहा लेकिन क्या राजनीति करना अधर्म है.’ यहां तक की उन्होंने एक टेलीविजन इंटरव्यू में यह भी कहा था कि अगर बिहार के लोगों ने चाहा तो वह राजनीति में जरूर जाएंगे.

करियर

पांडेय हमेशा से पिपुल फ्रेंडली आईपीएस के रूप में जाने गए हैं. जब वह जहानाबाद में 1990 के दशक में सुपरीटेंडेंट ऑफ पुलिस थे जब उन्होंने नक्सलियों के बच्चों को स्कूल में एडमिशन दिलाना शुरू किया था. वहीं मुज्जफ्फर पुर में बिताए अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने रेड लाइट एरिया में रह रहे लोगों की सुरक्षा के लिए भी कई काम किया था.

डीजीपी बनने के बाद वह कई पुलिस स्टेशन में बिना किसी पूर्व सूचना के पहुंच कर सुर्खियां बटोर चुके हैं. 2019 फरवरी में पांडेय को बिहार का डीजीपी बनाया गया था. बिहार सरकार द्वारा 12 आईपीएस अधिकारियों का नाम यूपीएससी को दिया गया था जिनके बीच से उनका सलेक्शन किया गया है.


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