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Friday, 1 November, 2024
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बिहार: आरएसएस से जुड़े आदेश से मचा राजनीतिक भूचाल, जानें- संघ और नीतीश सरकार ने क्या कहा

आदेश में आरएसएस से जुड़े पदाधिकारियों के नाम, पते, फोन नंबर और पेशे की जानकारी एक सप्ताह के अंदर देने को कहा गया है. आदेश पत्र को 'अतिआवश्यक' बताया गया है.

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नई दिल्ली: बिहार पुलिस के स्पेशल ब्रांच के एक आदेश के सार्वजनिक होने के बाद बिहार की सियासत में भूचाल आ गया है. स्पेशल ब्रांच ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और उससे जुड़े संगठनों और उसके अधिकारियों की जानकारी इकट्ठा करने का आदेश जारी किया है.

मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए आरएसएस के इंद्रेश कुमार ने कहा, ‘कांग्रेस ने भी भगवा आतंकवाद के नाम पर एजेंसियों का इस्तेमाल करके संघ पर कीचड़ उछालने की कोशिश की, लेकिन असफल रही.’

इंद्रेश कुमार ने आगे कहा, ‘हम सभी लोगों से अपील करते हैं कि आरएसएस के बारे में पहले ठीक से पढ़ें और जानें, ताकि, उसके बारे में सही विचार बनाने में सहायता मिले.’

28 मई के इस आदेश को स्पेशल ब्रांच द्वारा सभी क्षेत्रीय पुलिस उप-अधीक्षक, स्पेशल ब्रांच और सभी जिला विशेष शाखाओं के पदाधिकारियों को भेजा गया है. आदेश में इन संगठनों के पदाधिकारियों के नाम, पते, फोन नंबर और पेशे की जानकारी एक सप्ताह के अंदर देने को कहा गया है. आदेश पत्र को ‘अतिआवश्यक’ बताया गया है.

मामले पर दिप्रिंट से बात करते हुए जेडीयू प्रवक्ता अफजाल अब्बास ने कहा, ‘लोगों ने तरह-तरह के संगठन बना लिए हैं और उपद्रव मचा रहे हैं. इससे सरकार की बदनामी हो रही है. इसी पर लगाम लगाने के लिए ये आदेश दिया गया है.’

विशेष शाखा की ओर से जारी आदेश में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और इससे जुड़े विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, हिंदू जागरण समिति, धर्म जागरण समन्वय समिति, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच, हिंदू राष्ट्र सेना, राष्ट्रीय सेविका समिति, शिक्षा भारती, दुर्गा वाहिनी, स्वेदशी जागरण मंच, भारतीय किसान संघ, भारतीय मजदूर संघ, भारतीय रेलवे संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, अखिल भारतीय शिक्षक महासंघ, हिंदू महासभा, हिंदू युवा वाहिनी, हिंदू पुत्र जैसे संगठनों से जुड़ी जानकारी मांगी गई है.

इस आदेश की कॉपी सार्वजनिक होने के बाद राजनीतिक प्रतिक्रियाएं तेज़ हो गई. बिहार के शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा से इस बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘मुझे इसकी जानकारी नहीं है. मैं पार्टी का छोटा कार्यकर्ता हूं. यह मुझे नहीं मालूम.’ इधर, भाजपा के नेता और मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि आरएसएस सामाजिक दायित्वों को निभाने वाला संगठन है.

2019 के आम चुनाव नतीजों के बाद मंत्रालयों के बंटवारे के दौरान नरेंद्र मोदी की भाजपा और नीतीश कुमार के जेडीयू के बीच तनाव एक बार फिर सार्वजनिक हो गया. दरअसल, राज्य में 15 सीटें जीतने वाली जेडीयू की मांग थी कि इसे दो मंत्रालय दिए जाएं, जबकि मोदी सरकार महज़ एक पर अड़ी थी. ऐसे में नीतीश की पार्टी ने कोई भी मंत्रालय लेने से मना कर दिया.

हालांकि, बाद में ये घोषणा की गई कि नीतीश की पार्टी सरकार में बनी रहेगी. ये पहला मौका नहीं है, जब भाजापा और जेडीयू की खींचतान ने ऐसा मोड़ लिया है. जिसमें आरएसएस को बीच में लाया गया है. 2014 के आम चुनाव के पहले भी नीतीश ने नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस का साथ छोड़ दिया था और अपने दम पर लोकसभा चुनाव लड़े थे. लेकिन, उनका ये दांव उल्टा पड़ गया और राज्य में उन्हें मुंह की खानी पड़ी.

इसके बाद 2015 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के साथ गठबंधन कर लिया. उस विधानसभा चुनाव की रैलियों के दौरान नीतीश कुमार ने लगातार आरएसएस मुक्त भारत के नारे लगाए. हालांकि, इस चुनाव में आरजेडी के साथ सरकार बनाने के बाद नीतीश ने इस गठबंधन को भी 2017 में तोड़ दिया और वापस एनडीए में आ गए.

हालिया खींचतान के बीच ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि 2020 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन एक बार फिर से टूट सकता है. गठबंधन टूटने की अटकलों पर नीतीश के पार्टी के प्रवक्ता अब्बास ने कहा, ‘भाजपा की कई नीतियां हैं. इनमें से हम कई का समर्थन और कुछ का विरोध करते हैं. लेकिन अलायंस बरकरार रहेगा.’

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