नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को एक याचिका दायर की गई, जिसमें बिहार जहरीली शराब त्रासदी की स्वतंत्र एसआईटी जांच की मांग की गई है. प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष आज इस याचिका को पेश किया गया ताकि इस पर जल्द सुनवाई की जा सके. हालांकि, पीठ ने मामले को सूचीबद्ध नहीं किए जाने के कारण सुनवाई करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, ‘यदि यह इतना महत्वपूर्ण है, तो आपको सूचीबद्ध होना चाहिए था. हालांकि, मेरी अदालत में सबसे महत्त्वपूर्ण मामला मेरी कोर्ट का अनुशासन है.’
एडवोकेट पवन प्रकाश पाठक के जरिए आर्यावर्त महासभा फाउंडेशन द्वारा दायर याचिका में अवैध शराब के निर्माण, व्यापार और बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए एक नेशनल एक्शन प्लान तैयार करने की मांग की गई है.
जनहित याचिका में राज्य सरकार को यह निर्देश देने की भी मांग की गई है कि वह पीड़ितों के परिवारों को पर्याप्त मुआवजा दे क्योंकि लोगों के अधिकारों का उल्लंघन किया गया है और उन्हें खतरे में डाला गया है.
याचिका में कहा गया है, ‘यह निर्देश दिया जाए कि प्रतिवादी द्वारा स्वतंत्र विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया जाए और देश के कानून के अनुसार प्रभावी कदम उठाने के लिए इस जहरीली शराब त्रासदी की स्वतंत्र जांच की जाए.’
जनहित याचिका में आगे कहा गया है कि जब से बिहार सरकार ने 2016 में राज्य में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया है, तब से प्रतिबंध को लागू करने में पर्याप्त विफलता के लिए और इस कदम ने बिहार के लोगों पर कई प्रतिकूल परिणामों के लिए आलोचना की है.
इसमें कहा गया है कि राज्य नेपाल, पश्चिम बंगाल, झारखंड और उत्तर प्रदेश के साथ अपनी सीमाएं साझा करता है और इनमें से कोई भी राज्य शराबबंदी का पालन नहीं करता है, और इस बात के सबूत हैं कि बिहार में पश्चिम बंगाल और झारखंड से शराब आती है. इन दोनों राज्यों के उत्पाद शुल्क राजस्व में अभूतपूर्व वृद्धि को देखते हुए भी ऐसा ही लगता है.
याचिका में कहा गया है कि चूंकि जहरीली शराब पीने से कई लोगों की मौत हुई है, इसलिए राज्य की शराबबंदी नीति पर हमले बढ़ रहे हैं.
याचिका में कहा गया है कि हाल ही में लोकसभा में इसी मुद्दे पर सवाल उठाया गया था और इसका समाधान किया गया था, लेकिन शराब माफिया और शो चलाने वाले कार्टेल के खतरे को रोकने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए जा रहे हैं.
जनहित याचिका में कहा गया है कि यह पहली बार नहीं है जब भारत ने जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत की घटना की सूचना दी है. हाल के वर्षों में गुजरात, पंजाब और हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक से इसी तरह के मामले सामने आए हैं, जिससे लोगों की जान चली गई.
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