पटना, 12 मार्च (भाषा) बिहार सरकार ने पुजारियों द्वारा मंदिरों की परिसम्पत्तियों में ‘व्यापक अनियमितता बरते जाने’ के मद्देनजर 1958 गैर-पंजीकृत मंदिरों के प्रबंधन के लिए 21 जिलों के प्रशासकीय प्रमुखों को निर्देश दिया है।
इन मंदिरों की 2973 एकड़ जमीन के राजस्व रिकॉर्ड जमा कराने के निर्देश दिये गये हैं। इन जमीनों की कीमत करोड़ों में है।
बिहार के कानून मंत्री प्रमोद कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘यह निर्णय अनधिकृत दावों से इन परिसम्पत्तियों को संरक्षित करने के लिए लिया गया है, क्योंकि ऐसे मंदिरों/मठों के पुजारियों द्वारा बड़े पैमाने पर अनियमितता बरतने की शिकायत मिली है।’’
उन्होंने कहा कि यह देखा गया है ‘मंदिरों के लिए हमारे पुरखों’ द्वारा दान में दी गयी जमीन उसके केयरटेकर द्वारा ‘बेची’ जा रही है।
मंत्री ने कहा, ‘‘हम इन धार्मिक संस्थानों की परिसम्पत्तियों की रक्षा करने के लिए कानून को मजबूत करना चाहते हैं, ताकि उनकी देखभाल बेहतर तरीके से की जा सके और इसका इस्तेमाल सामाजिक हित में हो सके।’’
नोडल अधिकारी अतिरिक्त कलेक्टर स्तर के नौकरशाह होंगे और इनकी नियुक्ति के बाद ये गैर-पंजीकृत मंदिर बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद (बीएसआरटीसी) की सीधी निगरानी में संचालित होंगे।
बिहार हिंदू धार्मिक न्यास अधिनियम, 1950 के तहत राज्य के सभी सार्वजनिक मंदिर बीएसआरटीसी के तहत पंजीकृत होने चाहिएं।
कुमार ने कहा कि राज्य सरकार राजस्व रिकॉर्ड की जांच के बाद इन मंदिर परिसरों में स्कूल और अस्पताल खोलने पर विचार कर सकती है।
मंत्री ने कहा, ‘‘हमने अभी तक 21 जिलों के कलेक्टर से ऐसे मंदिरों का ब्योरा प्राप्त किया है। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, सर्वाधिक गैर-पंजीकृत मंदिरों/मठों की संख्या वैशाली (438) में है, उसके बाद कैमूर (307) और पश्चिम चम्पारण (273) का स्थान आता है। औरंगाबाद ही एक मात्र ऐसा जिला है जहां कोई भी मंदिर गैर-पंजीकृत नहीं है।’’
भाषा
सुरेश पवनेश
पवनेश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.